Political Kisse : सीएम जो अपने पूरे कार्यकाल हड़ताल और दंगों से जूझता रहा, मरे थे 181 लोग | Political Kisse Riots and Strikes during CM Veer Bahadur Singh tenuer | Patrika News

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Political Kisse : सीएम जो अपने पूरे कार्यकाल हड़ताल और दंगों से जूझता रहा, मरे थे 181 लोग | Political Kisse Riots and Strikes during CM Veer Bahadur Singh tenuer | Patrika News


लखनऊ. Political Kisse- यूपी विधानसभा के चुनाव में कुछ महीनों का ही वक्त बचा है। चुनावी माहौल में तमाम पुराने पॉलिटिकल किस्से भी लोगों की जुबां पर चढ़ गये हैं। आज के ‘पॉलिटिकल किस्से’ सीरीज में हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के ऐसे में मुख्यमंत्री की जो अपने करीब ढाई साल के कार्यकाल में सिर्फ और सिर्फ दंगों और हड़ताल से जूझता रहा। बात हो रही है पूर्वांचल के पहले मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में कुल 37 दंगे हुए और 181 लोग इन दंगों में मारे गये। वीर बहादुर की मौत भी रहस्यमय तरीके से हुई औऱ आज भी उनकी मौत का रहस्य दफन है।

वीर बहादुर सिंह के शासन काल में 37 जिलों में दंगे हुए। मेरठ के दंगों में 181 लोग मरे। अयोध्या विवाद शुरू हो गया। 16 लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। सिनेमा थिएटरों समेत 29 संस्थानों ने हड़ताल की। किसानों के नेता महेंद्र सिंह टिकैत के आह्वान पर पूरी ग्रामीण जनता हथियार उठाने के मूड में थी। 1987 में हुए मेरठ दंगे में वीर बहादुर पर हिन्दू समर्थक होने का आरोप लगा। इससे उन्होंने साफ इनकार कर दिया। कहा था कि दंगा तो हमारी राष्ट्रीय समस्या है। प्रधानमंत्री बनने से पहले वीपी सिंह ने एक पब्लिक मीटिंग में वीर बहादुर सिंह को लेकर कहा था, ‘इतना कमजोर नेता तो इस राज्य में कभी जन्मा ही नहीं है। कांग्रेस के कैंडिडेट से वो किसी भी सीट पर चुनाव लड़ लें, पता चल जाएगा।’

छह बार विधानसभा पहुंचे
वीर बहादुर सिंह 1967 में पहली बार गोरखपुर की पनियारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये। इसके बाद 1969, 1974, 1980 और 1985 तक पांच बार यूपी विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। राज्यसभा सदस्य भी रहे। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद वीर बहादुर सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। 1985 से 1988 तक वह प्रदेश के सीएम रहे।

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बाहुबली हरिशंकर तिवारी से थी अदावत
पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने उस वक्त पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी का विरोध किया, जब कोई ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। उस वक्त जय प्रकाश नारायण (जेपी) का दौर था। पूरे देश में इंदिरा के खिलाफ विरोध की आग सुलग रही थी। लेकिन, पूर्वांचल में अलग ही कहानी चल रही थी। वर्चस्व के लिए अदावत की जंग का एक सिरा बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी थामे हुए थे जो राजनीतिक रूप से भी सक्रिय थे और कांग्रेस में पकड़ मजबूत कर रहे थे। दोनों की बीच अदावत की जंग शुरू होती है 1974 से। विधान परिषद चुनाव की दुदुंभी बज चुकी थी। वीर बहादुर सिंह ने हरिशंकर तिवारी के खिलाफ एक मजबूत प्रतिद्वंदी बस्ती के शिवहर्ष उपाध्याय को मैदान में उतारा। कांटे के मुकाबले में वीर बहादुर सिंह का प्रत्याशी 11 वोटों से जीता। तभी से हरिशंकर तिवारी और वीर बहादुर के बीच ठन गई और दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। इसके बाद वीर बहादुर मुख्यमंत्री बने और प्रदेश की सत्ता संभाली।

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