Pallavi Patel: ‘बहन से कोई विवाद नहीं, विचाधारा की लड़ाई है’, NBT से बातचीत में हर सवाल का पल्लवी पटेल ने दिया जवाब

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Pallavi Patel: ‘बहन से कोई विवाद नहीं, विचाधारा की लड़ाई है’, NBT से बातचीत में हर सवाल का पल्लवी पटेल ने दिया जवाब

Pallavi Patel: ‘बहन से कोई विवाद नहीं, विचाधारा की लड़ाई है’, NBT से बातचीत में हर सवाल का पल्लवी पटेल ने दिया जवाब

लखनऊ : सिराथू से सपा विधायक और अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पल्लवी पटेल अपनी बहन अनुप्रिया पटले से झगड़े की बात से इनकार करती हैं। हालांकि, वह यह साफ तौर पर कहती हैं कि भाजपा उनकी पार्टी का विलय बीजेपी में करवाना चाहती थी। जब इससे इनकार किया गया तो बीजेपी ने दो हिस्सों में पार्टी तोड़वा दी। एनबीटी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंगलवार को पहुंचीं पल्लवी ने अनुप्रिया के साथ अपने संबंध, सपा से गठबंधन की मौजूदा स्थिति, सिराथू चुनाव समेत अन्य राजनीतिक मसलों पर एनबीटी से विस्तार से बातचीत की और सवालों के जवाब दिए।2024 लोकसभा चुनावों में भी क्या आप सपा के ही साथ रहेंगी? अगर मन मुताबिक सीटें न मिलीं तो क्या स्टैंड रहेगा?
2020 में जातीय जनगणना और किसान कमेरों के अधिकारों को लेकर मैंने यूपी के 22 जिलों में 60 दिवसीय पदयात्रा की थी। इस मुद्दे को अखिलेश यादव ने भी उठाया। यही वजह थी हम 2022 में मिलकर चुनाव लड़े। अखिलेशजी अब भी इन मुद्दों के साथ हैं। ऐसे में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जहां तक बात सीटों की है, तो यह न तो 2022 में मुद्दा था और न अब है।

सपा के पुराने साथी ओपी राजभर, संजय चौहान, केशव देव मौर्य अब अलग हो चुके हैं। इसकी क्या वजह मानती हैं?
गठबंधन मुद्दों पर हुआ था। हर व्यक्ति ने अपना 100 प्रतिशत दिया। हार या जीत बाद की बात है। सभी को गठबंधन में प्राथमिकता मिली। दूसरे संगठनों को क्या दिक्कत आई, यह वही बताएं तो बेहतर है।

नगर निकाय चुनावों में आपने अपने सिंबल पर प्रत्याशी खड़े किए। क्या इसे सपा से रिश्तों में दरार के तौर पर देखा जाए?
नहीं, निकाय चुनाव संगठन की मजबूती जांचने और कार्यकर्ताओं को मौका देने का प्लेटफॉर्म है। चुनाव से पहले हम दोनों दलों में बातचीत हुई और इसपर सहमति बनी थी।

2022 में डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती पर आपकी पार्टी ने उनकी मौत को ऐक्सिडेंट नहीं, बल्कि साजिश मानते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। फिर यह मामला ठंडा पड़ गया। क्या भीतरखाने कोई समझौता हुआ, जिसकी वजह से इस मुद्दे को आप नहीं उठा रहे हैं?
डॉ. सोनेलाल की मृत्यु के बाद से हम लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। 2009 में जब उनकी मृत्यु हुई थी, तब भी हमने दिल्ली में प्रदर्शन करके सीबीआई जांच की मांग की थी। हम राज्यपाल को 22-23 बार ज्ञापन दे चुके हैं। हमने धरना दिया। ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे पर कोई समझौता हुआ है। इस मामले में समझौते की कोई संभावना भी नहीं है।

इस मामले में आप लोगों को किसी पर कोई शक है?
शक किसी पर नहीं है। हम सिर्फ इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच चाहते हैं। 17 अक्टूबर को निधन से पहले 1 से 15 अक्टूबर के बीच भी तीन बार उनका ऐक्सिडेंट हुआ था, इसलिए साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

पुरानी पार्टी होने के बावजूद आपका एक भी विधायक नहीं है, जबकि बाद में अस्तित्व में आई अपना दल (एस) का ग्राफ काफी तेज है।
2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा से गठबंधन हुआ। यह बड़ा प्लेटफॉर्म था। हमें दो सीटें मिलीं और हमने 100 प्रतिशत रिजल्ट दिया। इसके बाद हमारी पार्टी तोड़ी गई। 2017 में जब हम उबर रहे थे, तब प्रभाव का इस्तेमाल करके हमें निर्दलीय घोषित कर दिया गया। दो-तीन महीने में नई पार्टी को सिंबल मिल जाता है, लेकिन हमें तीन साल लगे। 2022 में चुनाव से दो महीने पहले हमें नई पार्टी का दर्जा मिला। सपा से गठबंधन करके हमने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा और नतीजे संतोषजनक रहे।

आखिर सपा के सिंबल पर आपको सिराथू से चुनाव क्यों लड़ना पड़ा?
सिराथू हमारे गठबंधन के लिए हाई प्रोफाइल सीट थी। सपा मुखिया ने मुझे मौका दिया और हमने उम्मीद को परिणाम में बदला।

क्या आप आगे भी केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी?
यह तो पार्टी नेतृत्व तय करेगा।

आप और अनुप्रिया दोनों सोनेलालजी की नीतियों को आगे बढ़ाने का दावा करती हैं। यह कौन सी नीति है, जिसके तहत आप भाजपा के विरोध में हैं और अनुप्रिया सरकार में मंत्री हैं।
भाजपा की बजाय दिक्कत वहां बैठे लोगों के काम करने के तरीके से है। जातीय जनगणना, किसानों और रोजगार के मुद्दों को सपा गठबंधन में हम आगे बढ़ा पा रहे हैं।

क्या राजनीतिक महत्वाकांक्षा की वजह से आप दोनों बहनों के रिश्ते खराब हुए?
बहनों में विवाद जैसा कुछ नहीं है। यह विचारधारा की लड़ाई है। डॉ. सोनेलाल के न रहने के बाद माताजी उनकी नीतियों पर आगे बढ़ रही हैं। 2014 में माताजी पर दबाव था कि वह अपना दल का विलय बीजेपी में कर दें। उन्होंने इनकार कर दिया, जबकि अनुप्रिया को लगा कि वह हमसे अलग होकर बेहतर कर सकती हैं।

क्या अनुप्रिया और पल्लवी एक हो सकती हैं?
यह निर्णय तो माताजी करेंगी।

क्या केशव मौर्य पर अब भी हमले की वजह राजनीतिक की जगह व्यक्तिगत है?
नहीं, सिराथू में मुझे मुद्दे ही ऐसे मिल जाते हैं, जो अपने आप केशवजी से जुड़ जाते हैं।

पार्टी अपनी नीतियों के प्रसार में क्यों कमजोर है?
जो कभी पार्टी में थे, वही अब बाधा डाल रहे हैं। यह लोग सत्ता में भी हैं तो उसका भी इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन हमारा ग्राफ बढ़ रहा है।

क्या आपको लगता है कि बिना बसपा के विपक्षी एकता की कवायद संभव है?
पहले यही सुनिश्चित हो जाना चाहिए कि हम भाजपा को सत्ता से हटाना चाहते हैं या सिर्फ प्रोपगेंडा चाहते हैं। अगर भाजपा को सत्ता से हटाकर देश को आगे बढ़ाना है, तो हमें मजबूत विपक्ष तैयार करना होगा।

…इसलिए सपा विधायक दल की बैठकों से दूरी

पल्लवी ने सपा विधायक दल की बैठक में शामिल न होने पर कहा कि यह बात शुरू से साफ थी कि जहां सपा को मेरी जरूरत होगी, मुझे बुलाया जाएगा। मैं स्वतंत्र रखी गई हूं, ताकि अपनी पार्टी का भी काम देख सकूं। हालांकि, विधानमंडल की कुछ बैठकों में मुझे बुलाया जाता है। अलग से भी बात होती है। जो निर्देश दिए जाते हैं, उसका पालन करती हूं। पार्टी विस्तार के मसले पर उन्होंने कहा कि पार्टी का विघटन, सिंबल न होने और रजिस्ट्रेशन में वक्त लगने के बावजूद हमारा ग्राफ लगातार बढ़ रहा है।

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