OPS vs NPS: एनपीएस में मिनिमम रिटर्न देने का फॉर्म्युला क्या कामयाब हो पाएगा?

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OPS vs NPS: एनपीएस में मिनिमम रिटर्न देने का फॉर्म्युला क्या कामयाब हो पाएगा?

OPS vs NPS: एनपीएस में मिनिमम रिटर्न देने का फॉर्म्युला क्या कामयाब हो पाएगा?


नई दिल्ली: कई राज्य सरकारें इन दिनों ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) बहाल करने पर जोर दे रही हैं। इस स्कीम के तहत रिटायर होने पर पेंशन शुरू से तय होती थी। कर्मचारी अपनी आखिरी सैलरी का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन हासिल करते थे। साल 2004 से जो लोग सरकारी कर्मचारी बने, उनके लिए नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) लागू कर दिया गया। इसमें पेंशन के लिए अपनी जेब से खर्च करना होता है और रिटर्न भी तय नहीं होता। इस वजह से इसका विरोध बढ़ने लगा। अब इसका इलाज ढूंढा गया है, NPS में भी तय रिटर्न दिया जाए। सवाल है कि क्या यह फॉर्म्युला कामयाब होगा?

सरकारी कर्मचारी लगातार मांग करते रहे हैं कि NPS खत्म कर पहले की तरह तय पेंशन वाली ओल्ड स्कीम लागू होनी चाहिए। ‌BJP की सरकारें इसके लिए कभी तैयार नहीं हुईं, जबकि विपक्षी दल एक-एक कर इसका वादा करने लगे। पिछले कुछ महीनों के दौरान ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा चुनावी बन गया। गैर BJP शासित राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में इसे लागू करने का फैसला किया गया है। हाल में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के पीछे इसे ही श्रेय दिया जाने लगा।

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नई योजना

NPS का विरोध और न बढ़े, इसके लिए कुछ कदम उठना लाजिमी था। अब इसमें भी तय रिटर्न वाली पेंशन स्कीम पर विचार किया जा रहा है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) की ओर से भी इसकी तैयारी की जानकारी दी जा चुकी है। स्कीम अप्रैल से जून के बीच आ सकती है।
PFRDA को इस तरह की स्कीम का थोड़ा-बहुत अनुभव है। उसी की निगरानी में अटल पेंशन योजना चलाई जा रही है। इसमें भी ग्राहक को योगदान देना होता है, लेकिन न्यूनतम पेंशन तय है। हालांकि, ये 5000 रुपये प्रतिमाह से ज्यादा नहीं हो सकती। एक आकलन के मुताबिक इसके लिए जितना योगदान दिया जाता है, उस पर 8 पर्सेंट का रिटर्न निकलता है।

NPS का रिटर्न

अब NPS के रिटर्न पर नजर डाल लें। भले ही इसमें फायदा मार्केट पर निर्भर है, लेकिन अपनी शुरुआत से अब तक इसका रिटर्न शानदार है। लोग इसमें अपनी इच्छा के मुताबिक शेयर बाजार, कॉरपोरेट बॉण्ड और सरकारी सिक्योरिटीज में रकम लगा सकते हैं। अब तक शेयर बाजार में इसका जो हिस्सा लगा, उसने करीब 12 पर्सेंट रिटर्न दिया। कॉरपोरेट बॉण्ड्स में किए गए निवेश में करीब 9 पर्सेंट रिटर्न मिला, जबकि सरकारी सिक्योरिटीज में करीब 8 पर्सेंट मिला। लंबी अवधि में निवेश को देखते हुए इसे फाइनैंशल प्लानर कमतर नहीं मानते। फिर भी आम लोगों को अक्सर मार्केट रिटर्न पर भरोसा नहीं होता।

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बढ़े ग्राहक

तमाम विरोध और मुश्किलों के बावजूद हाल के बरसों में NPS के ग्राहक तेजी से बढ़ते रहे। पिछले साल दिसंबर में तो ग्राहक एक साल पहले के मुकाबले 36 फीसदी बढ़ गए। इसकी एक वजह ये भी है कि NPS सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए नहीं है। कोई भी व्यक्ति पेंशन हासिल करने के लिए इससे जुड़ सकता है। इसमें जमा राशि पर टैक्स छूट मिलती है। अब इसके दायरे में वो पेंशन स्कीम सामने आएगी, जिसमें मार्केट का रिटर्न भले ही कम हो, लेकिन जिस न्यूनतम रिटर्न का वादा कर दिया जाएगा, उसे मुहैया कराया जाएगा। अभी इसके कुछ प्रस्तावों को बोर्ड की मंजूरी बाकी है, लेकिन PFRDA के चीफ इन दिनों मीडिया को कई बातों की शुरुआती जानकारी दे रहे हैं।

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क्या है प्लान

खबरों के मुताबिक, पहले प्राइवेट कर्मचारियों के लिए यह स्कीम आएगी, फिर सरकारों को पसंद आई तो वहां भी इसे पेश किया जाएगा। न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी के बीच हो सकता है। जो भी तय होगा, सिर्फ एक साल के लिए। फिर नए सिरे से गौर किया जाएगा। स्कीम 10 साल ही चलेगी और निवेशक को भी 10 साल बने रहना होगा। कम से कम 5000 रुपये सालाना का निवेश जरूरी होगा। सबसे बड़ी बात इसमें फंड मैनेजमेंट की फीस ज्यादा होगी। यानी मौजूदा NPS के मुकाबले खर्चा ज्यादा, रिटर्न कम। NPS में फंड मैनेजरों पर कई तरह की बंदिशें हैं, लेकिन तय रिटर्न देने के लिए फंड मैनेजरों से कई तरह की बंदिशें हटाई जा सकती हैं। इससे रिस्क बढ़ भी सकता है। पर्सनल फाइनैंस मामलों के जानकार चंदन सिंह पडियार कहते हैं कि गारंटी कीमत मांगती है। एक और एक्सपर्ट पट्टाभिरमन मुरारी के मुताबिक, नई स्कीम यह सुनिश्चित करेगी कि ग्राहक वित्तीय आजादी न हासिल कर सकें।

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