Onion-Tomato Price: आर्थिक सर्वे में भी हुआ टमाटर-प्याज का जिक्र, समझिए क्यों बढ़ती हैं इनकी कीमतें और कैसे काबू होंगे दाम!

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Onion-Tomato Price: आर्थिक सर्वे में भी हुआ टमाटर-प्याज का जिक्र, समझिए क्यों बढ़ती हैं इनकी कीमतें और कैसे काबू होंगे दाम!

नई दिल्ली: बजट पेश होने से पहले आर्थिक सर्वे पेश हो चुका है। इस सर्वे में तमाम पहलुओं पर तो बात हुई ही, महंगाई पर भी बात हुई। आर्थिक सर्वे के बारे में बात करते हुए प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सन्याल बोले कि प्याज-टमाटर के दाम अचानक से बहुत अधिक क्यों बढ़ जाते हैं, ये चर्चा का विषय है।

टमाटर-प्याज ऐसी सब्जियां हैं, जो हर साल अपने ऊंचे दाम की वजह से चर्चा में जरूर आती हैं। महंगाई बढ़ाने में इनका अहम रोल होता है। 2020-21 में महंगाई 6.2 फीसदी पर जा पहुंची है, जो 2019-20 में 4.8 फीसदी के करीब थी। आइए आपको बताते हैं टमाटर प्याज के दाम क्यों और कितने अधिक बढ़ जाते हैं।

पहले बात टमाटर की
पिछले कुछ महीने पहले टमाटर की कीमतें 100 रुपये तक जा पहुंची थी। कई दिनों तक ये कीमतें 80-100 के बीच में घूमती रहीं। लोगों की थाली से टमाटर गायब ही होने लगा था। वहीं नासिक और औरंगाबाद से ऐसी भी खबरें आई थीं कि वहां पर किसानों को टमाटर के दाम नहीं मिल पा रहे थे। हालात ऐसे हो गए थे कि टमाटर महज 4 रुपये किलो के हिसाब से मंडी में बिक रहा था। कई किसानों ने तो सड़कों पर टमाटर फेंक डाले थे। यानी पूरे साल में कभी टमाटर अपनी ऊंची कीमतों के चलते ग्राहकों को रुलाता है तो कभी कौड़ी के भाव में बिक कर किसानों को रुलाता है।

टमाटर के दाम में क्यों आता है इतना उतार चढ़ाव
टमाटर की कीमतें में इतना उतार-चढ़ाव सीजन की वजह से आता है। सर्वे में भी कहा गया है कि हर साल जुलाई से नवंबर के बीच कीमतें पर सबसे अधिक दबाव रहता है। जुलाई में तो ये दबाव सबसे अधिक रहता है। दरअसल, 70 फीसदी टमाटर का प्रोडक्शन रबी के सीजन में होता है, ऐसे में जुलाई से नवंबर के दौरान खरीफ के सीजन में सिर्फ 30 फीसदी टमाटर का उत्पादन होता है। वहीं दूसरी ओर टमाटर की मांग साल भर बनी रहती है। इस वजह से जब टमाटर की सप्लाई कम होती है तो दाम बढ़ जाते हैं और जब सप्लाई बढ़ती है तो दाम घटने लगते हैं। सर्वे में तो यह भी कहा गया है कि अगर टमाटर की सप्लाई लगातार पर्याप्त मात्रा में बनी रही तो टमाटर के दाम 15 रुपये किलो के करीब रहेंगे।

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अब बात प्याज की
टमाटर की तरह ही प्याज का भी हाल होता है। बल्कि प्याज के मामले में तो हालात टमाटर से भी बुरे हो जाते हैं। बहुत से लोग महंगे टमाटर देखकर उसे खाना कम कर देते हैं या कुछ समय के लिए बंद तक कर देते हैं, लेकिन प्याज बंद नहीं की जा सकती। यह हर खाने का जायका बढ़ाने में सबसे अहम होता है। वहीं प्याज लंबे वक्त तक स्टोर भी किया जा सकता है, जिससे इसकी जमाखोरी भी बढ़ जाती है, जो कीमतों को और हवा देने का काम करती है।

क्यों बढ़ती-घटती है प्याज की कीमत
प्याज की कीमतें घटने-बढ़ने के पीछे की वजह भी टमाटर जैसी ही है। सीजन की वजह से ही इसकी कीमतों में भी उतार-चढ़ाव आता है। प्याज की खेती दिसंबर-जनवरी के करीब होती है और मार्च से मई के बीच इसकी हार्वेस्टिंग की जाती है। इस रबी सीजन में ही प्याज की करीब 70 फीसदी खेती होती है। खरीफ सीजन में प्याज की खेती टमाटर की तरह ही बहुत कम होती है।

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कम कामकाज वाले दिनों में टमाटर-प्याज का हो उत्पादन
सरकार को कीमतों में वृद्धि पर अंकुश रखने के लिए खेती के कम कामकाज वाले दिनों में टमाटर और प्याज उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए रणनीति विकसित करनी चाहिए। सरकार को अधिशेष टमाटर उत्पादन के प्रसंस्करण और प्याज भंडारण के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना चाहिए। उत्पादन की बर्बादी को कम करने और बेहतर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन से भी मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।

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