Nalanda News : ‘नटवर’ अगरबत्ती से मिठाई चोरी की ‘बाल-लीला’ तक, नालंदा में एक जज के फैसले जो बन गए नजीर

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Nalanda News : ‘नटवर’ अगरबत्ती से मिठाई चोरी की ‘बाल-लीला’ तक, नालंदा में एक जज के फैसले जो बन गए नजीर

हाइलाइट्स

  • नालंदा किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र का प्रमोशन
  • नालंदा कोर्ट में मानवेंद्र बनाए गए एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट
  • किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी रहते हुए दिए कई अनोखे फैसले

प्रणय राज, नालंदा
पटना हाईकोर्ट के आदेश पर नालंदा किशोर न्याय परिषद (Juvenile Justice Council) के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र अब एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बना दिए गए। पांच साल के कार्यकाल में मानवेंद्र मिश्र ने कई फैसले और आदेश ऐतिहासिक दिए। जिनकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हुई।

बाल कैदियों की बनाई ‘नटवर’ अगरबत्ती कर रही सुगंधित
नालंदा किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा अपने कड़े से कड़े और मानवता के आधार पर फैसले देने के लिए जाने गए। रेप के एक मामले में महज 24 घंटे की सुनवाई कर आरोपी को अधिकतम तीन साल की सजा सुनाई। वहीं, रितिक छात्र हत्याकांड मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी को अधिकतम सजा दी थी। मासूम बच्चे को डीएनए जांच कराकर पिता का हक दिलवाया। दूसरे जिलों के अधिवक्ता और अभिभावक नालंदा आकर मानवेंद्र मिश्र की फैसलों की कॉपी लेकर अपने कोर्ट में दाखिल कर दलील देते थे। दर्जनों बच्चों को कौशल विकास योजना से जोड़कर रोजगारपरक शिक्षा और प्रशिक्षण दिलवाया। यहां के किशोर बंदियों की बनाई गई ‘नटवर’ अगरबत्ती लोगों के पूजा घरों को सुगंधित कर रही हैं। अपने कार्यकाल के दौरान मानवेंद्र मिश्रा ने कई चर्चित फैसले दिए।

केस नंबर वन : किशोर की शादी को वैध बताकर रिहाई
नालंदा किशोर न्याय परिषद ने नवजात के हित को देखते हुए किशोर और किशोरी की शादी को वैध बताया था। अपने फैसले में मानवेंद्र मिश्र ने कहा था कि किशोर का कृत कानून के हिसाब से दंडनीय है। लेकिन, किशोर की सजा देने से तीन जिंदगी प्रभावित होती है। दोनों पति-पत्नी के रूप में रह रहे हैं। वर्तमान में एक माह की बच्ची भी है। किशोर को ये आदेश दिया था कि वो अपने माता-पिता के साथ मिलकर पत्नी और बच्ची की सही तरह से देखभाल करे। ये सुनवाई महज तीन दिन में पूरी की गई थी। हालांकि, फैसले में यह स्पष्ट लिखा था कि इसे आगे कभी आधार बनाकर अन्य कोर्ट में फैसले में उपयोग नहीं किया जा सकेगा। इस फैसले की राष्ट्रीय स्तर पर काफी चर्चा हुई थी।

केस नंबर दो : डीएनए से बच्ची को दिलाया पिता का हक
सोहसराय थाने से जुड़े मामले में तीन साल की बच्ची का डीएनए टेस्ट कराकर उसे पिता का हक दिलाया था। इस मामले में पिता उसे अपनी बेटी मानने से इनकार कर रहा था। इसके बाद नवजात की किशोरी मां बच्ची की हक के लिए कोर्ट में शरण ली थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी का ब्लड सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट कराया था। इसके बाद बच्ची को उसका हक मिला। डीएनए को आधार बनाकर राज्य का ये पहला फैसला था।

केस नंबर तीन : मिठाई चोरी को बाल-लीला बताकर रिहाई
मिठाई चोरी मामले को बाल-लीला करार देते हुए मानवेंद्र मिश्र ने किशोर को तुरंत रिहाई दी थी। इसमें किशोर ने फ्रीज में रखी मिठाई चुराकर खा ली थी। इसमें जज मानवेंद्र मिश्र ने टिप्पणी की थी कि माखन चोरी बाल-लीला तो मिठाई चोरी अपराध कैसे। यह फैसला भी राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा था। कोर्ट में आरोपी किशोर ने स्वीकार किया था कि प्यास लगने के कारण वो घर में घुस गया। इसी दौरान फ्रीज में रखी मिठाई पर उसकी नजर गई। बालसुलभ मन नहीं माना और उसने मिठाई खा ली थी। चोरी की ये घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी।

केस नंबर चार : बीमार मां के भोजन के लिए चुराया था पर्स
इस्लामपुर में एक किशोर ने बीमार मां और छोटी बहन के भोजन के लिए रेलवे स्टेशन से एक महिला का पर्स चुराया था। सुनवाई के दौरान किशार ने कोर्ट को बताया था कि उसके पिता नहीं हैं। मां बीमार है। घर में छोटी बहन है। कोई कमाने वाला नहीं है। बालक ने जज से कहा था कि मुझे छोड़ दीजिए, साहब नहीं तो मां बहन मर जाएगी। घर में खाने को कुछ नहीं है। बाद में जज ने स्थानीय थाने से उसके घर की छानबीन कराई थी। इसमें सारी बातें सही थी। इसके आधार पर न सिर्फ उन्होंने किशोर की रिहाई दी थी। बल्कि, उसे आवास, राशन, पढ़ने की व्यवस्था भी करने का आदेश स्थानीय अधिकारियों को दिया था। इस फैसले की भी लोगों ने काफी चर्चा की थी।

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