Mundka Fire: मुंडका अग्निकांड में लोगों की जान बचाने वाले ‘नायकों’ से मिले मुख्यमंत्री केजरीवाल

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Mundka Fire: मुंडका अग्निकांड में लोगों की जान बचाने वाले ‘नायकों’ से मिले मुख्यमंत्री केजरीवाल

विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुंडका हादसे में इमारत में फंसे लोगों की जान बचाने वाले फरिश्तों से मुलाकात की। अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को इमारत से बाहर निकलने में मदद करने वाले लोगों से प्रभावित सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनकी बहादुरी और एकजुटता को जमकर सराहा। केजरीवाल ने कहा कि इसी तरह दिल्ली एक-दूसरे का सुख-दुख में साथ देती है।

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पिछले शुक्रवार को बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में एक बहुमंजिला इमारत में भीषण आग लग गई थी। इस दर्दनाक हादसे में कई लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग घायल हुए। इस दौरान बहुमंजिला इमारत में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए स्थानीय लोग आगे आए और अपनी जान जोखिम में डालकर उनकी जान बचाई। इन लोगों की बहादुरी और एकजुटता से प्रभावित होकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में इन्हें बुलाकर मुलाकात की। मुख्यमंत्री से मिलने करीब 20-25 लोग पहुंचे।

सीएम ने एक-एक व्यक्ति से उनका हाल पूछा और हादसे के दौरान उनके द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से जाना। सीएम ने उनका शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि इसी तरह दिल्ली एक-दूसरे का सुख-दुख में साथ देती है। हम सब लोगों को एकजुट होकर हमेशा एक-दूसरे की मदद करते रहना है और साथ मिलकर काम करना है।

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जब इमारत में आग लगी थी, उस समय दयानंद तिवारी नाम के एक शख्स क्रेन लेकर जा रहे थे। जैसे ही उन्होंने देखा कि इमारत में भीषण आग लगी है, तो उन्होंने लोगों की मदद करने की सोची। उन्होंने क्रेन के मालिक विजय को फोन किया और उनसे पूछा कि क्या मैं क्रेन से लोगों की मदद कर सकता हूं? इस पर विजय ने कहा कि मशीन बेशक टूट जाए, लेकिन लोगों की जान बचाओ। दयानंद तिवारी ने इमारत तक पहुंचने के लिए पहले क्रेन से फुटपाथ को तोड़ा और फिर क्रेन से इमारत का शीशा तोड़कर लोगों को नीचे उतारना शुरू किया।

38 साल के बबलू की वहीं पर कबाड़ की दुकान है। उन्होंने अपनी दुकान से गद्दे निकालकर वहां बिछाए, ताकि ऊपर से नीचे कूदने वाले लोगों को चोट न आए। 45 साल के ट्रांसपोर्टर सुरेंद्र ने रस्सी की मदद से कई लोगों को नीचे उतारा। किसान विजय मान ने दमकल कर्मियों के पहुंचने से पहले ही गांव वालों के साथ मिलकर रस्सी की मदद से लोगों को नीचे उतारना शुरू कर दिया और घायलों को अस्पताल भी पहुंचाया। एमसीडी में काम करने वाले 37 साल के संजीव ने रस्सी और सीढ़ियों की मदद से लोगों को नीचे उतारा। इस दौरान गद्दे और रस्सियां कम पड़ रही थीं, तो सामाजिक कार्यकर्ता विकास और परचून की दुकान चलाने वाले प्रदीप ने आसपास के लोगों से मांग कर इनका इंतजाम किया। 35 साल के अनिल ने भी गद्दे और रस्सियों का इंतजाम कर मदद की। कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले दीपक यादव ने भी पास के अपने गांव से रस्सी और गद्दे लाकर दिए।

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