Mirabai Chanu Win Silver Medal: वे आंसू, वे जख्म और वो जज्बा … टूटकर चांदी सा चमकना क्या होता है, आज सिखा गईं मीराबाई चानू

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Mirabai Chanu Win Silver Medal: वे आंसू, वे जख्म और वो जज्बा … टूटकर चांदी सा चमकना क्या होता है, आज सिखा गईं मीराबाई चानू

नई दिल्ली
वो कहते हैं कि सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता। उसके बाद जब हमें कामयाबी हासिल होती है तो फक्र होता है। भारत की वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम भार में सिल्वर मेडल हासिल किया। वो पल जब उन्होंने अपना आखिरी दांव खेला तो करोड़ों हिंदुस्तानियों की निगाहें उन पर टीकी हुईं थीं। लोगों को वो तस्वीर याद आ रही थी जब 2016 रियो ओलिंपिक में मीराबाई चानू की कई बार प्रयास असफल करार दिए गए। वो टूट गईं थीं।

रियो ओलिंपिक के बाद चानू ने बताया था कि वो पल कैसा था

रियो ओलिंपिक में खराब रहा था प्रदर्शन
उस वक्त चानू की नम आंखें बयां कर रहीं थीं कि क्या होता है वो दर्द जब आप अपना 100 प्रतिशत लगा देते हैं फिर भी वो कामयाबी नाम की चीज आपके सामने से होकर गुजर जाती है। मणिपुर इंफाल की मीराबाई चानू ने रियो पोडियम से सीखकर आंसुओं को अपनी ताकत बनाया और फिर आईं तोक्यो ओलिंपिक में। किसी को भी यकीन नहीं था कि चानू इतिहास रच देंगी। किसी को भी यकीन नहीं था ये वहीं एथलीट है रियो ओलिंपिक पोडियम में जिनकी आंखें रो पड़ीं थीं।

पूरा हिंदुस्तान कर रहा था दुआ
उस पल शायद अकेले मीराबाई चानू नहीं रोई थीं बल्कि रोया था पूरा मणिपुर, पूरा नॉर्थ ईस्ट और पूरा भारत। जो ओलिंपिक को नहीं भी जानता या खेलों से उसका कोई खास लगाव नहीं होता वो भी टेलीविजन स्क्रीन से सटकर मैच को देखता है। मीराबाई चानू जब वेट लिफ्ट कर रहीं थीं उस वक्त लोगों के हाथ जुड़ें हुए थे और जुंबा चानू की जीत के लिए दुआएं हो रहीं थीं। हर धर्म, हर मजहब के लोगों की यही दुआ थी बस चानू की ये लिफ्ट हो जाए।

Mirabai Chanu wins Silver : मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलिंपिक में खोला भारत के पदकों का खाता, जीता सिल्वर मेडल
आसान नहीं रहा यहां तक का सफर
बचपन में जलाने वाली लकड़ी का गट्ठर उठाने से लेकर अंतरराष्ट्रीय पोडियम तक पहुंचने का वेटलिफ्टर साईखोम मीराबाई चानू का सफर बेहद शानदार रहा है। यह उनके संघर्ष और लगन की दास्तां बयां करता है। स्कॉटलैंड में हुए 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीतकर मीराबाई चानू ने 20 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। हमें याद है 2016 का वो दिन। जब मीराबाई चानू ने रियो ओलिंपिक में 6 में 5 प्रयास इनवैलिड करार दिया गया। उसके बाद उनकी आंखों में आंसू थे वो आगाज था कि मुझे कमजोर मत समझना। अगले ओलिंपिक में इस पोडियम में मेरा ही डंका बजेगा…

मीराबाई चानू का रेकॉर्ड
मीराबाई ने 2017 में वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप (48 किलो) की चैंपियन बनी थीं। उन्होंने इस साल अप्रैल में में 86 किलो स्नैच और वर्ल्ड रेकॉर्ड 119 किलो वजन उठाकर खिताब जीता था। उन्होंने कुल 205 किलो वजन उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था। चानू के 2016 के रियो ओलिंपिक निराशाजनक रहा था। लेकिन उसके बाद उन्होंने अपने खेल में लगातार सुधार किया। उन्होंने 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2018 में कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीता था।

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काफी सुधार किया
26 वर्षीय चानू बीते ओलिंपिक से अब तक अपने खेल में काफी सुधार किया है। उन्होंने अपनी तकनीक में काफी सुधार किया है। चानू 1 मई को स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग की ट्रेनिंग करने के लिए अमेरिका चली गई थी। उन्होंने अपने कोच डॉक्टर आरोन हार्सचिंग के साथ ट्रेनिंग की। उन्होंने वहां अपने कंधे की चोट का इलाज भी करवाया। मीराबाई अमेरिका से सीधा जापान ओलिंपिक के लिए पहुंचीं।



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