Metro से पूरी तरह से अलग होगी रैपिल रेल, दरवाजे खास सिस्टम से बने, देखिए और क्या बदला
रैपिड रेल पर सरकार का पूरा फोकस है। इस पर बहुत तेजी से काम चल रहा है। इसमें कई बदलाव किए गए हैं, जोकि मेट्रो से काफी अलग हैं।
बिजली की होगी बचत, ईको फ्रेंडली होगा सिस्टम
नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) ने यह सुविधा इसलिए रखी है, क्योंकि बार-बार अपने आप गेट खुलने से बिजली की खपत अधिक होती है। साथ ही एसी को भी अधिक काम करना पड़ता है। प्रवक्ता पुनीत वत्स ने बताया कि पुश बटन डोर ईको फ्रेंडली है। बिजली बचाएगा। जब ट्रेन चलेगी तो गेट नहीं खुलेंगे। बीच रास्ते में कोई पुश बटन का इस्तेमाल नहीं करे, इसके लिए बटन ट्रेन चलने के दौरान अपने आप डीएक्टिवेटेड रहेगा। ऐसे में अगर किसी प्लेटफॉर्म पर पैसेंजर को उतरना या चढ़ना होगा तो वह खुद ज़रूरत के हिसाब से पुश बटन दबाएगा। यह सुविधा अभी तक किसी भी ट्रेन या मेट्रो में मौजूद नहीं है। इसके अलावा, यह भी कोशिश की जा रही है कि एनसीआरटीसी ऐप टिकट के लिए और एक मल्टिपल यूज कार्ड शुरू करे।
बीमार और महिलाओं के लिए होगी विशेष सुविधा
रेल में महिलाओं की सुरक्षा और मेडिकल इमरजेंसी को देखते हुए कई तरह की सुविधाएं दी गई हैं। इसमें व्हील चेयर और स्ट्रेचर के लिए एक अलग से जगह दी गई है। मरीज़ों के साथ आने वाले तीमारदारों के बैठने के लिए दो सीट तक रिजर्व रखी गई हैं। सबसे खास बात यह है कि अगर कोई मरीज रैपिड रेल में अपने स्ट्रेचर के साथ आना चाहता है तो उसे इसकी अनुमति होगी। ऐसे मरीजों के लिए प्लैटफॉर्म पर स्ट्रेचर वाली लिफ्ट का इंतजाम किया गया है। मेट्रो की तरह रैपिड रेल में बैठने की जगह भी पूरी तरह से अलग है। रैपिड रेल में कुशन वाली सीट हैं, जो बहुत आरामदायक हैं। जबकि मेट्रो की सीट पर बैठना आरामदायक नहीं होता है।
पार्किंग का काम चल रहा
साहिबाबाद स्टेशन पर सिविल वर्क पूरा हो चुका है। एस्कलेटर और लिफ्ट का काम भी पूरा हो चुका है। एफओबी की छत बनाने और इसके रूफ शेड को बनाने का काम चल रहा है। साहिबाबाद स्टेशन 216 मीटर लंबा और 25 मीटर चौड़ा है। यहां पर 1100 सोलर पैनल लगाने का काम मार्च में शुरू हो जाएगा, क्योंकि रूफ शेड का काम अब खत्म होने वाला है। आरआरटीएस स्टेशन पर 50 फोर विलर और 48 टू विलर के लिए पार्किंग बनाने का काम भी चल रहा है, जो जल्द ही खत्म हो जाएगा।
अधूरे काम
- कोच में सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह से इंस्टॉल नहीं हैं।
- महिलाओं के लिए कोच आगे लगेगा या पीछे, यह तय नहीं है।
- कोच के अंदर अभी तक इमरजेंसी नंबर नहीं दिया गया है।
- प्रीमियम कोच में फूड वेंडिंग मशीन नहीं लगाई गई है।
- प्लैटफॉर्म स्क्रीन डोर का काम अभी पूरा नहीं हुआ है।
- ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसी) अभी तक नहीं लगाया गया है।
- अभी तक पैसेंजर्स के लिए वॉशरूम का काम पूरा नहीं हुआ है।
रैपिड रेल की खास बातें
- हर कोच में टॉक बैक की सुविधा है। टॉक बैक का मतलब एक ऐसी मशीन, जिसका बटन दबाने पर सीधे पायलट से बात की जा सकती है। एक स्पेशल टॉक बैक मशीन मरीजों के लिए चयनित जगह पर भी है जहां इमरजेंसी होने पर पायलट उनसे तुरंत बात कर सकता है।
- किसी भी तरह की इमरजेंसी या ट्रेन रुकने पर पैसेंजर्स खुद कोच का दरवाज़ा खोल सकते हैं। इसके लिए एक लाल रंग का नॉब दिया गया है।
- हर कोच में छह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। पूरे ट्रेन में 36 सीसीटीवी कैमरे लगेंगे।
- महिला कोच के अलावा हर कोच में मेट्रो की तरह वरिष्ठ, दिव्यांगजन, और महिलाओं के लिए दो-दो जगह सीट आरक्षित की गई हैं।
- आम कोच में पैसेंजर्स के लिए छह दरवाजे दिए गए हैं
आम और प्रीमियम कोच में ये होगा अंतर
- प्रीमियम कोच में हर सीट के पास लैपटॉप चार्जिंग और मोबाइल चार्जिंग के लिए यूएसबी दी गई है। आम कोच में भी हर सीट पर चार्जिंग की सुविधा
- हर सीट के ऊपर सामान रखने की जगह तो है ही साथ ही अलग से एक बैगेज काउंटर बना है। आम कोच में बैगेज काउंटर नहीं है।
- आम कोच से प्रीमियम कोच में नहीं जा सकते हैं। इसे बीच में बंद किया गया है।
- प्रीमियम कोच में आम कोच की तुलना में अधिक स्पेस है। प्रीमियम कोच की सीट का रंग ब्लू है, जबकि आम कोच का लाल रंग है।
- प्लेटफॅार्म की जानकारी के लिए प्रीमियम कोच में छह मॉनिटर लगे हैं, जबकि आम कोच में चार मॉनिटर मौजूद हैं।
- प्रीमियम कोच में सीट की संख्या केवल 60 है, जबकि आम कोच में 72 है।
- प्रीमियम कोच में फूड वेंडिंग मशीन भी है। यहां जैकेट हैंगर भी दिया गया है।
- प्रीमियम कोच में केवल चार दरवाजे हैं।
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