Mayawati: निकाय चुनाव के जरिए शहरों पर एक नजर, लोकसभा की डगर BSP गांव की ओर चली… समझिए मायावती की सियासत

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Mayawati: निकाय चुनाव के जरिए शहरों पर एक नजर, लोकसभा की डगर BSP गांव की ओर चली… समझिए मायावती की सियासत

Mayawati: निकाय चुनाव के जरिए शहरों पर एक नजर, लोकसभा की डगर BSP गांव की ओर चली… समझिए मायावती की सियासत


लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती ने बिखड़े जनाधार को समेटने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। अभी तक नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी बसपा अब बदले हालात में गांवों की ओर भी कदम बढ़ाएगी। पार्टी का पूरा फोकस अब 2024 लोकसभा चुनाव होगा। बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को यूपी और उत्तराखंड के प्रदेश एवं जिला स्तर के पदाधिकारियों की बैठक में लोकसभा चुनाव का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि नए साल से ही सभी पदाधिकारी-कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। उन्होंने गांव-गांव तक जाने के लिए कहा। साथ ही विधानसभा क्षेत्र से लेकर सेक्टर और बूथ स्तर तक कमिटियों की समीक्षा करने का निर्देश दिया।

नगर निकाय की तैयारी पहले से पूरी

पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही बसपा ने नगर निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं। मकसद यह था कि इस चुनाव के जरिए नई टीम खड़ी हो जाए और उसका फायदा लोकसभा चुनाव में लिया जा सके। पार्टी ने प्रत्याशियों के पैनल तक तैयार कर लिए हैं। सबसे पहले बसपा ने सहारनपुर में इमरान मसूद की पत्नी का मेयर पद के लिए टिकट भी फाइनल कर दिया है। फिलहाल नगर निकाय चुनाव टल गया है। ऐसे में पार्टी का मानना है कि नगर निकाय की तैयारी तो लगभग पूरी ही चुकी है और यह भी तय नहीं है कि चुनाव में कितना और वक्त लगे। यही वजह है कि मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है कि वे निकाय की तैयारी तो रखें ही, लेकिन अब फोकस लोकसभा चुनाव हो।

कहीं सपा बाजी न मार ले!

बसपा ने इस साल मैनपुरी, रामपुर और खतौली में उपचुनाव भी नहीं लड़ा था। मायावती ने उपचुनाव में सपा को अकेले दम पर भाजपा से मुकाबला करने की चुनौती भी दी थी। इसमें सपा का प्रदर्शन अच्छा रहा। मैनपुरी लोकसभा सीट सपा भारी अंतर से जीती, जबकि खतौली में उसके सहयोगी आरएलडी को जीत मिली। ऐसे में मायावती को यह भी लग रहा है कि अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारी नहीं शुरू की तो कहीं सपा बाजी न मार ले जाए।

भाजपा, सपा, कांग्रेस… सब पर हमलावर

बसपा अध्यक्ष मायावती भाजपा पर हमलावर हैं। सपा को निशाने पर रख रही हैं। उन्होंने शुक्रवार को यूपी की सत्ता पर काबिज भाजपा पर नगर निकाय चुनावों को साजिशन टालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नीयत सही होती तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘तुष्टीकरण’ में वक्त बर्बाद करने के बजाय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के आरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती। मायावती ने पार्टी की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इकाइयों के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के एक महत्वपूर्ण सम्मेलन में आरोप लगाया कि भाजपा ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत स्थानीय निकाय चुनावों को टाला है।

मायावती ने कहा कि बसपा कार्यकर्ता भाजपा के इस ‘षड्यंत्र’ से उठे राजनीतिक उबाल पर प्रतिक्रिया लें और नए साल की शुरुआत से ही आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। भाजपा की नीयत और नीति अगर उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को टालने की नहीं होती तो वह धर्मांतरण, हेट जेहाद, मदरसा सर्वे आदि से संघ के तुष्टीकरण में समय बर्बाद करने के बजाय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर ध्यान केंद्रित करती। इससे आज जैसी विचित्र एवं दुखद स्थिति नहीं पैदा होती।

मायावती ने भाजपा और कांग्रेस को आरक्षण विरोधी पार्टी करार दिया। उन्होंने कहा कि इन दोनों पार्टियों ने मिलकर पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को लगभग निष्क्रिय और निष्प्रभावी बना दिया। अब वही द्वेषपूर्ण रवैया ओबीसी वर्ग के आरक्षण के संबंध में भी अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी जातिवादी नीयत के कारण सरकारी विभागों में हजारों आरक्षित पद खाली हैं। इस मामले में सपा की सोच, नीति और नीयत भी ठीक नहीं है।

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