फेसबुक डाटा लीक को लेकर मार्क ज़ुकेर्बर्ग के खुलासे के बाद रडार में आये लाखो भारतीय

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जानी मानी सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक का डाटा लीक काण्ड के बाद हर तरफ से इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. इस खुलासेर के बाद फेसबुक को काफी नुकसान झेलना पडा था. कंपनी के सीईओ मार्क ज़ुकरबर्ग को अरबों का नुकसान हुआ, जिसेक बाद उन्होंने क्स्सुराक्षा में हुई चूक के लिए माफी मांगी और जांच की बात कही थी. अब शुरुआती जांच के बाद जो आंकड़े सामने आये हैं उनके मुताबिक फेसबुक का कहना है कि लगभग 87 मिलियन यूज़र्स का निजी डाटा लीक हो सकता है. जिसमें से ज्यादातर यूज़र्स अमेरिका से ताल्लुक रखते हैं. फेसबुक ने कहा कि उनके डाटा को कैंब्रिज एनालिटिका के साथ शेयर किया गया है. बता दें कि यह फेसबुक की तरफ से की गई पहली आधिकारिक पुष्टि है. पहले आ रही मीडिया रिपोर्ट्स में माना जा रहा था कि 50 करोड़ लोगों का डाटा लीक हुआ है. इनमें से 5.6 लाख भारतीय यूजर्स हैं.

डाटा लीक से जुड़ी जानकारी मुताबिक बताया जा रहा है कि लगभग 2,70,000 लोगों ने एक पर्सनैलिटी क्विज़ को डाउनलोड किया और अपने बारे में और अपने दोस्तों के बारे में जानकारी साझा की. इस जानकारी को उन्होंने शोधकर्ता के साथ शेयर किया जिन्होंने इसे एनालिटिका को भेज दिया. फेसबुक ने माना कि यह उसके नियमों के खिलाफ है. फेसबुक का कहना है कि वह 9 अप्रैल से अपने न्यूज़ फीड के ज़रिए लोगों को बताएगा कि उनका डाटा कैंब्रिज एनालिटिका के साथ शेयर किया गया था या नहीं.

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कंपनी डाटा लीक होने का खुलासा होने के बाद से विवादों में है. उसपर आरोप है कि यूज़र्स का डाटा शेयर करने के बाद उसे डिलीट नहीं किया गया. अब फेसबुक ने अपनी प्राइवेसी नीतियों में कुछ अपेडट किए हैं. हालांकि मार्क ज़ुकरबर्ग का कहना है कि यूज़र्स के निजी डाटा लीक जैसी मुश्किलों से निपटने में फेसबुक को कुछ साल लग सकते हैं.

उन्होंने कहा- फेसबुक की एक समस्या यह है कि यह आदर्शवादी है. इसने लोगों को जोड़ने के सकारात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित किया. इसके गलत टूल पर कम समय खर्च किया. अब हम जांच कर रहे हैं. लोग भी इसके खतरों से वाकिफ हो चुके हैं. ज़ुकरबर्ग ने कहा, वह चाहते हैं कि समस्याएं तीन या छह महीने में सुलझ जाएं. पर कुछ सवालों के जवाब जानने में लंबा वक्त लग सकता है.