Maharatra Politics: शिवसेना ने फिर साधा सहयोगी पार्टी पर निशाना, कहा – ‘अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है कांग्रेस’

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Maharatra Politics: शिवसेना ने फिर साधा सहयोगी पार्टी पर निशाना, कहा – ‘अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है कांग्रेस’

हाइलाइट्स:

  • शिवसेना ने मुखपत्र के जरिये साधा कांग्रेस पर निशाना
  • सामना ने लिखा कि अस्तित्व के लिए लड़ रही है कांग्रेस
  • कांग्रेस पार्टी के पास पूर्णकालिक अध्यक्ष भी नहीं है
  • सामना ने लिखा कि कांग्रेस में आया पतझड़ का मौसम

मुंबई
महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर बनी है लेकिन अक्सर शिवसेना कांग्रेस पर तंज कसते हुए या फिर नसीहत देते हुए नज़र आती है। कांग्रेस ने इसका विरोध भी किया है लेकिन शिवसेना की सेहत पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। अब एक बार फिर से शिवसेना ने कांग्रेस पर चाशनी में डूबा हुआ तंज कसा है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की करारी हार हुई। केरल में कांग्रेस की स्थिति अच्छी होने के बाद भी सत्ता स्थापित नहीं कर सकी। असम में अवसर होने के बावजूद कांग्रेस पिछड़ गई। पुडुचेरी मे सत्ता गंवा दी। इस तमाम पतझड़ में कांग्रेस को क्या करना चाहिए और कैसे खड़ा होना चाहिए? इस पर चर्चा नहीं की जाती है। कांग्रेस पार्टी का कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल को छोड़ दें तो कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।

पार्टी छोड़ते नेता
पूर्व कांग्रेसी नेता जतिन प्रसाद के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद सामना ने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी के बचे-खुचे दिग्गज भी अब नाव से धड़ाधड़ कूद रहे हैं। फिर यह सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हो रहा है, ऐसा नहीं है। राजस्थान में अब सचिन पायलट ने पार्टी नेतृत्व को विदाई की चेतावनी दे दी है। सचिन पायलट और उनके समर्थक पहले से ही नाखुश हैं और उनका एक पैर बाहर है ही। सचिन पायलट ने साल भर पहले बगावत ही की थी। उसे किसी तरह शांत किया गया, फिर भी असंतोष आज भी जारी ही है।

पंजाब कांग्रेस में बड़ी फूट पड़ गई है और मुख्यमंत्री कै. अमरिंदर के खिलाफ विरोधी गुट ने आरपार की लड़ाई छेड़ दी है। उस पर चिंता तब और बढ़ जाती है जब प्रसाद जैसे नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो जाते हैं।

निष्ठावानों की बगावत
सामना ने लिखा है कि कांग्रेस के बागियों के समूह ‘जी 23’ के सदस्य रहे जितिन प्रसाद और उनका परिवार कांग्रेस के निष्ठावान थे। उनके पिता ने सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था। सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट भी उसी तरह के बागी थे, लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़ने की बात कभी भी नहीं की थी। एक अन्य महत्वपूर्ण नेता, मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेसी विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी व इससे कमलनाथ की सरकार गिर गई। इस पतझड़ से बची-खुची कांग्रेस को नुकसान हो रहा है।

कांग्रेस ने बेहतरीन काम किया
कांग्रेस अभी भी देश की मुख्य राष्ट्रीय और विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस ने आजादी से पहले के दौर में और आजादी के बाद भी बहुत बेहतरीन काम किया है। आज जो देश खड़ा है, उसके निर्माण में कांग्रेसी शासन का योगदान रहा है। आज भी विश्व पटल पर ‘नेहरू-गांधी’ के रूप में देश की पहचान मिटाई नहीं जा सकी है। मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की ‘छाप’ को कोई मिटा नहीं पाया है। लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल को छोड़ दें तो कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। देश का राजनीतिक संतुलन बिगाड़ने वाली यह तस्वीर है। यह लोकतंत्र के लिए घातक स्थिति है।

सामना ने लिखा कि कांग्रेस में आया पतझड़ का मौसम

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