Ludhiana Court Blast Case: लुधियाना ब्लास्ट केस की जांच के दौरान हाथ पर टैटू और मोबाइल फोन से हुई मरने वाले की पहचान, ड्रग्स केस में फंसने से गई थी नौकरी

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Ludhiana Court Blast Case: लुधियाना ब्लास्ट केस की जांच के दौरान हाथ पर टैटू और मोबाइल फोन से हुई मरने वाले की पहचान, ड्रग्स केस में फंसने से गई थी नौकरी

हाइलाइट्स

  • हाथ में टैटू और मोबाइल फोन से हुई है लुधियाना ब्लास्ट केस में मरने वाले की पहचान
  • पूर्व हेड कॉन्स्टेबल को वर्ष 2019 में करीब 400 हेरोइन के साथ किया गया था गिरफ्तार
  • गिरफ्तारी के बाद नौकरी से हटा दिया गया था, शुक्रवार को कोर्ट में मामले की थी सुनवाई
  • मृतक के संबंध में पंजाब के डिप्टी सीएम ने भी की पुष्टि, परिवार वालों ने की शव की पहचान

चंडीगढ़
लुधियाना जिला कोर्ट परिसर में विस्फोट के दौरान मरने वाले शख्स की पहचान उसके हाथ पर बने टैटू और मोबाइल फोन से हुई है। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है। हाथ पर बने टैटू के आधार पर पता चला है कि वह पंजाब पुलिस के पूर्व हेड कॉन्स्टेबल गगनदीप सिंह था। गगनदीप को वर्ष 2019 में ड्रग्स तस्करी के एक मामले में बर्खास्त कर दिया था। गगनदीप के मामले की सुनवाई शुक्रवार को लुधियाना जिला कोर्ट में होनी थी। इससे पहले वह गुरुवार को कोर्ट परिसर में ब्लास्ट की घटना को अंजाम दे दिया।

लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट में गगनदीप की मौत हो गई। उसकी उम्र करीब 30 साल बताई जा रही है। वह खन्ना के लल्हेरी रोड का रहने वाला था। खन्ना पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि अगस्त 2019 में ड्रग्स मामले में गिरफ्तारी के बाद गगनदीप को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इस साल सितंबर में वह जेल से जमानत पर बाहर आया था। मामले की सुनवाई शुक्रवार को लुधियाना के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शातिन गोयल की अदालत में होनी थी। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि सुनवाई से एक दिन पहले वह कोर्ट क्यों गया?

डिप्टी सीएम ने भी की है पुष्टि
लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट मामले में पंजाब के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी मृतक की पहचान को लेकर पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मृतक के शरीर पर एक टैटू और मौके से बरामद एक मोबाइल फोन से उसकी पहचान की गई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उसके हाथ पर बने बने टैटू में सिख धार्मिक प्रतीक खंडा को दर्शाया गया था। लुधियाना पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि पुलिस मान रही है, गगनदीप अपने साथ या तो विस्फोटक ले जा रहा था या उन्हें लगाने की योजना बना रहा था। धमाका कोर्ट परिसर की दूसरी मंजिल पर वाशरूम में हुआ था।

400 ग्राम हेरोइन के साथ हुआ था गिरफ्तार
खन्ना पुलिस के अनुसार, गगनदीप सिंह उर्फ गग्गी करीब 400 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया गया था। 11 अगस्त, 2019 को वह कार से सेक्टर 39 से गुजर रहा था। इसी दौरान उसे दो साथियों अमनदीप सिंह और विकास कुमार के साथ पकड़ा गया। उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की कड़ी धाराओं के प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में पुलिस की पूछताछ में उसने माना था कि दिल्ली से ड्रग्स मंगवाता है। खन्ना पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि जब गगनदीप को गिरफ्तार किया गया, उस समय उसके पास 385 ग्राम हेरोइन थी। उसके ड्रग्स नेटवर्क में शामिल होने का भी अंदेशा तभी लग गया था।

10 साल पहले पुलिस में शामिल हुआ था गगनदीप
गगनदीप सिंह करीब 10 साल पहले वर्ष 2011 में पंजाब पुलिस में शामिल हुआ था। उसकी नियुक्ति कॉन्स्टेबल के पद पर हुई थी। बाद में उसे हेड कॉन्स्टेबल के पद पर प्रोन्नति मिली। गिरफ्तारी से करीब आठ माह पहले उसकी शादी हुई थी। उस समय वह खन्ना में तैनात था। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उसने माना था कि करीब छह माह से वह छोटे तस्करों और नशेड़ियों को ड्रग्स बेचना शुरू किया था। पुलिस अधिकारियों को संदेह है कि वह कट्‌टरपंथियों के भी संपर्क में था। विस्फोट का अगले साल होने वाले पंजाब चुनाव से कोई कनेक्शन तो नहीं है, इस बिंदु पर भी जांच शुरू हुई है।

परिवार ने भी की है गगनदीप की पहचान
विस्फोट में मरने वाले पूर्व हेड कॉन्स्टेबल की पहचान उसके परिवार के सदस्यों ने भी की है। इसके बाद एनआईए की टीम ने उसके घर पर पहुंच कर तलाशी ली। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पहले ही कह चुके हैं कि लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट केस को स्वर्ण मंदिर में बेअदबी और शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच से जोड़ा जाएगा। इससे राजनीति गरमानी तय मानी जा रही है। हालांकि, लुधियाना कोर्ट पहुंचे केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें विस्फोट के पीछे दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगी। रिजिजू ने कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार को जांच पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है।

डीजीपी के बयान से बढ़ा है मामला
पंजाब के डीजीपी सिद्धार्थ चट्‌टोपाध्याय के बयान ने पूरे मामले को गरमा दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व हेड कांस्टेबल कोर्ट के बाथरूम में बम को असेंबल कर रहे थे। हालांकि, अभी तक पता नहीं चल पाया है कि उसे विस्फोटक उपकरण या आईईडी बनाने के लिए सामग्री कहां से मिली थी। विस्फोट से पानी का पाइप फटने और उसमें विस्फोटकों के बहने की भी बात कही जा रही है। इससे जांच का महत्वपूर्ण सुराग नहीं मिल पा रहा है। डीजीपी ने कहा है कि यह एक बहुत शक्तिशाली विस्फोट था। हमें साइट से कई सुराग मिले हैं।

डीजपी ने कहा कि प्रारंभिक आकलन से पता चलता है, बर्खास्त पुलिसकर्मी ने विस्फोट को अंजाम दिया। उसके खालिस्तानी और माफिया संगठनों के साथ संबंध थे। चट्‌टोपाध्याय ने कहा कि हम निर्णायक रूप से यह नहीं कह सकते कि पाकिस्तान की भूमिका है, लेकिन हमें संदेह है। इस कोण पर जांच अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। गगनदीप सिंह के सिम कार्ड और एक वायरलेस डोंगल ने उसकी पहचान करने में मदद की और परिवार ने भी पुष्टि की है कि शव उसी का था।

लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट केस में टैटू और मोबाइल फोन से हुई मरने वाले की पहचा

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