भगवान परशुराम का जन्म त्रेता युग ( रामायण काल ) में एक ब्रहामण ऋषि के यहां हुआ था. ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव द्वारा दिए गए परशु धारण किए रहने के कारण इनका नाम परशुराम पड़ा. ये शस्त्र विद्या के महान गुरू रहे हैं. महाभारत काल में भीष्म, द्रोण , कर्ण को इन्होंने ही शस्त्र विद्या दी थी.
परशुराम शिक्षा केवल ब्रहामणों को ही देता था. लेकिन भीष्म और कर्ण इसके अपवाद हैं. जहां तक कर्ण को शिक्षा देने की बात है, तो कर्ण को भी नहीं पता था कि वह क्षत्रिय कुल से संबंध रखता है. जब परशुराम को पता चला कि कर्ण क्षत्रिय कुल से संबंध रखता है, तो परशुराम ने उसे श्राप दिया कि जब तुमकों सबसे ज्यादा मेरी इस शिक्षा की जरूरत होगी तो ये तुम्हारे काम नहीं आएगी. उसी श्राप के कारण युद्ध मैदान में जब कर्ण और अर्जुन आमने-सामने होते हैं, तो कर्ण को परशुराम से ली गई शिक्षा का लाभ नहीं मिल पाता.
भगवान परशुराम ने अपने परसे से किसी देवता पर प्रहार किया था ? इसके बारे में मान्यता है कि एक बार भगवान परशुराम शंकर से मिलने कैलाश पर्वत पर गए लेकिन द्वार पर गणेश जी पहरा दे रहे थे. परशुराम ने गणेश से कहा कि आप शिव और माता पार्वती के पुत्र नहीं दिखते. तुम्हारा मुँह तो गज का है तथा शरीर मानव का इस पर परशुराम का उपहास उड़ाते हुए गणेश जी ने कहा आप भी ब्रहामण नहीं दिखते. इस तरह की बहस के बाद परशुराम ने अपने परसे से भगवान शिव के पुत्र गणेश पर प्रहार किया था. जिसके कारण उनका एक दांत टूट गया था और उनका नाम एकदंत पड़ा.
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भगवान शिव को अनेंक नामों से जाना जाता है. जिसमें से भगवान शिव का एक नाम खंडपरशु भी है. कुछ लोगों की मान्यता है कि टूटा हुआ परशु रखने के कारण भगवान परशुराम को भी खंडपरशु कहा जाता था