सरकारी अमले की लापरवाही की वजह से बर्बाद हो रहा ताज, विदेशियों ने की शिकायत

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दुनिया के सात मानव निर्मित अजूबों में शुमार ताजमहल को देखने के लिए हर साल लाखों लोग आते हैं. विदेशी पर्यटकों के लिए भी ताज का दीदार हमेशा से लुभावना रहा है. लेकिन हाल ही में शाहजहां की जयंती पर कुछ ऐसा हुआ कि टूरिस्ट नाराज़ हो गए. दरअसल, इस दिन बड़ी तादाद में टूरिस्ट मुग़ल बादशाह और मुमताज की कब्र देखने के लिए ताजमहल आए थे. जब श्रद्धालु यहां प्रार्थना के लिए अंडरग्राउंड चैम्बर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कब्र के ऊपर लगा मार्बल काला पड़ चुका है और आस-पास गंदगी फैली है.नाराज़ श्रद्धालुओं ने जब इसकी शिकायत आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अधिकारियों से की तो उन्होंने इसे साफ़ कराने की बात तो कही, लेकिन बाकी रिपेयरिंग के काम का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया.

बता दें कि हाल ही में ताजमहल के दक्षिण और रॉयल गेट्स की पत्थर की मीनारें तेज तूफ़ान के कारण टूट गईं थी. जिनके रिपेयरिंग का काम अभी भी चल रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016 में भी ताजमहल की मीनारें गिर गई थीं. उस वक्त संभावना जताई गई थी कि साफ-सफाई के काम का असर पड़ने के कारण ऐसा हुआ. हालांकि, पुरातत्व विभाग ने बंदरों को इसकी वजह बताया था. कुछ जानकारों की मानें तो जिन लोहे की रॉड के सहारे ताजमहल की मीनार और दीवारें खड़ी हैं वो प्रदूषण के कारण क्षय हो रही हैं. इन रॉड ने पत्थरों से ग्रिप छोड़ दी है.

गाइड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शमशुद्दीन ने इंडिया टुडे को बताया कि एएसआई कब्र के चैम्बर की साफ़-सफाई का ज़रा भी ध्यान नहीं रखता है. यदि इस चैम्बर को हमेशा टूरिस्ट के लिए खोला जाए तो इसकी देख-रेख बेहतर तरीके से हो सकती है. इसके लिए एएसआई चार्ज भी वसूल कर सकती है और रही बात कब्र पर काले परत की तो उसे मुल्तानी मिट्टी के ट्रीटमेंट से ही हटाया जा सकता है.

बता दें कि इस वक़्त सुप्रीम कोर्ट ताजमहल के मालिकाना हक़ के लिए केस चल रहा है. ये केस एएसआई और सुनी वक्फ बोर्ड के बीच है. वक्फ बोर्ड का कहना है कि शाहजहाँ ने खुद ताजमहल को उनके नाम हस्तांतरित किया था. उन्होंने कहा कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहाँ ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था. बोर्ड ने कहा कि कोई भी मानव ताजमहल का मालिकाना हक नहीं जता सकता, ये ऑलमाइटी (सर्वशक्तिमान) की संपत्ति है. हम मालिकाना हक नहीं मांग रहे सिर्फ ताजमहल के रखरखाव का हक मांग रहे हैं. वहीँ एएसआई की दलील है कि आज़ादी के बाद देश की हर इमारत सरकार की हो गयी थी जिस लिहाज़ से इसके रख रखाव का ज़िम्मा उनका है.

एएसआई का ये भी कहना है कि अगर वक्फ बोर्ड को ताजमहल का हक दिया गया तो ये दिक्कत पैदा करेगा. कल को वो लाल किला और फतेहपुर सीकरी को लेकर भी हक मांगेंगे.

इस मामले की अंतिम सुनवाई 27 जुलाई को होगी.