आधार की विफलता के लिए गूगल रच रहा है षड्यंत्र!

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आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं| पिछले कुछ समय में कई मौकों पर आधार जानकारी लीक होने की खबरें सामने आयी हैं| लेकिन इन सबके बावजूद आधार कार्ड मुहैया कराने वाली और उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदार यूआईडीएआई ने इस तरह की हर खबर को नकारा है| यूआईडीएआई ने हर बार दावा किया कि आधार कार्ड के लिए दी गयी हर सूचना सुरक्षित हाथों में है और ज्कोई जानकारी लीक नहीं हुई है|

फिलहाल इस वक़्त चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की पांच जजों वाली बेंच आधार मामले की सुनवाई कर रही है| कुछ याचिकाकर्ताओं जिन्होंने आधार एक्ट को चुनौती दी है, उनका कहना है कि आधार के डाटा को यूआईडीए के पास ना रखकर एक डेबिट या क्रेडिट की तरह स्मार्ट कार्ड में रखा जाना चाहिए| इससे आधार की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी|

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले की सुनवाई के दौरान यूआईडीएआई ने हैरान करने वाला बयान दिया है| आधार की संरक्षक यूआईडीएआई ने आधार की सुरक्षा में हुई चूक के लिए गूगल को दोषी ठहराया है| दरअसल यूआईडीएआई की दलील है कि उसे विफल करने के लिए गूगल झूठ फैला रहा है| वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट में कहा कि गूगल और स्मार्ट कार्ड लॉबी चाहते हैं कि आधार असफल हो जाए| चूंकि यूआईडी पूरी तरह से सुरक्षित है और यह लोगों की पहचान प्रमाणित करने के लिए आसान रूप में उभर रहा है इसलिए उसे बिज़नेस से बाहर करने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है|

यूआईडीएआई के वकील ने इस केस की सुनवायी कर रहे जजों के पैनल को बताया कि यूरोप आधारित एक कॉमर्शियल वेंचर की ओर से ऐसा अभियान चलाया गया कि आधार को स्मार्ट कार्ड की तरह नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए| यदि आधार सफल हो जाता है तो स्मार्ट कार्ड बिज़नेस से बाहर हो जाएंगे| गूगल ऐसा नहीं चाहता है| स्मार्ट कार्ड की लॉबी आधार को सफल होने देना नहीं चाहती है| इसी वजह से इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं| बता दें कि कोर्ट ने इस बात की आशंका जताई थी कि आधार के लिए ली गई जानकारी सुरक्षित है या नहीं|

 

 

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सुनवाई कर रहे पैनल में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने द्विवेदी से पूछा कि मुख्य आशंका यह है कि आधार के लिए जो डाटा लिया गया है उस उपलब्ध डाटा से चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं| कोर्ट ने कहा कि आधार के लिए लिया जाने वाला डाटा सुरक्षित है, यह कहना मुश्किल है क्योंकि देश में डाटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून मौजूद नहीं है|

इसके जवाब में राकेश द्विवेदी ने कहा कि बायोमेट्रिक डाटा किसी के साथ शेयर नहीं किया जाता है| जिसका आधार है उसकी सहमति के बिना यह किसी और को नहीं दिया जाता है| हम यह सुनिश्चित करेंगे कि डाटा लीक ना हो लेकिन इसकी 100 फीसदी गारंटी नहीं दी जा सकती है| उन्होंने कहा कि इसे फेसबुक लीक से जोड़ना सही नहीं है| कैंब्रिज एनालिटिका की तरह आधार आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का प्रयोग नहीं करता है और यह व्यक्तिगत है| इसे लेकर एक तरह का डर फैलाया जा रहा है कि डाटा असुरक्षित है|