LG vs सरकार? सर्विसेज का कंट्रोल होगा किसके हाथ, दीपावली के बाग होगी सुनवाई

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LG vs सरकार? सर्विसेज का कंट्रोल होगा किसके हाथ, दीपावली के बाग होगी सुनवाई

हाइलाइट्स

  • चीफ जस्टिस रमना बोले- इस मामले में वह तीन जजों की बेंच का गठन करेंगे
  • दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा कि इस मामले में जल्द सुनाई की दरकार है
  • 14 फरवरी 2019 को जो फैसला दिया था उसमें दोनों जजों का मत अलग था

नई दिल्ली: दिल्ली में सर्विसेज का कंट्रोल किसके हाथ में होगा इस विवाद की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में दीपावली के बाद होगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि इस मामले में वह तीन जजों की बेंच का गठन करेंगे और वह बेंच दीपावली के बाद इस मामले की सुनवाई करेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने 14 फरवरी 2019 को जो फैसला दिया था उसमें दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज किसके कंट्रोल में होगा इस मामले में दोनों जजों का मत अलग था लिहाजा इस मामले में फैसले के लिए तीन जजों की बेंच गठन करने के लिए मामले को चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने यह मामला उठाया और कहा कि इस मामले में जल्द सुनाई की दरकार है। चीफ जस्टिस ने कहा कि बेंच का गठन दशहरे के बाद किया जाएगा और दीपावली बाद इस मामले की सुनवाई होगी । मेहरा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने फैसले में कहा था कि पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर केंद्र के कंट्रोल में होगा जबकि बाकी मसले दिल्ली सरकार के अंडर में होंगे और उसमें सर्विसेज भी शामिल है और दिल्ली सरकार के कंट्रोल में सर्विसेज भी होने चाहिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक जजमेंट में कहा था कि दिल्ली में एलजी मंत्री परिषद के सलाह से काम करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एलजी के अधिकार को लिमिट कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एलजी स्वतंत्र तौर पर काम नहीं करेंगे अगर कोई अपवाद है तो वह मामले को राष्ट्रपति को रेफर कर सकते हैं और जो फैसला राष्ट्रपति लेंगे उस पर अमल करेंगे यानी खुद कोई फैसला नहीं लेंगे।

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14 फरवरी 2019 का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामले में सर्विसेज मामले को लार्जर बेंच को रेफर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने इस मामले में अलग-अलग मत व्यक्त किया था और इस कारण सर्विसेज से संबंधित मामले को लार्जर बेंच रेफर किया गया था। हालांकि इसके अलावा अन्य मामले में दोनों जजों ने सहमति से फैसले दिए थे। इसके तहत एंटी करप्शन ब्रांच को केंद्र सरकार के अधीन कर दिया गया है।

सर्विसेज मामले में दोनों जज बंटे
मामले में जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने अलग-अलग फैसला सुनाया। सर्विसेज को छोड़कर बाकी मुद्दे पर दोनों ने एक मत से फैसला दिया। लेकिन सर्विसेज मामले में दोनों जजों का मत अलग था। और मामले को तीन जजों के लिए रेफर कर दिया गया था।

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