Kashmir Files: ‘1990 से पहले जन्नत था कश्मीर?’…. कश्मीरी पंडितों पर कांग्रेस ने रखे ऐसे फैक्ट्स कि भड़क गए ट्विटर यूजर्स

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Kashmir Files: ‘1990 से पहले जन्नत था कश्मीर?’…. कश्मीरी पंडितों पर कांग्रेस ने रखे ऐसे फैक्ट्स कि भड़क गए ट्विटर यूजर्स

बॉलिवुड फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ (Kashmir Files) के बहाने एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का मामला चर्चा में है। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बहस छिड़ी है। इसी बीच केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों के जम्मू-कश्मीर से पलायन को लेकर कई ट्वीट किए हैं। कांग्रेस में कश्मीरी पंडित मुद्दे को लेकर कुछ फैक्ट रखे हैं और इसके जरिए उसने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। हालांकि, सोशल मीडिया पर कांग्रेस का यह दांव तब उल्टा पड़ गया, जब टि्वटर यूजर्स ने कांग्रेस की ओर से दिए जा रहे फैक्ट्स पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए।

क्या है पूरा मामला
दरअसल रविवार को केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों को लेकर सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए थे। कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘वे आतंकवादी थे जिन्होंने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया। साल 1990 से लेकर 2007 के बीच के 17 सालों में आतंकवादी हमलों में 399 पंडितों की हत्या की गई। इसी समयांतराल में आतंकवादियों ने 15 हजार मुसलमानों की हत्या कर दी। कांग्रेस ने आगे लिखा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के निर्देश पर हुआ था, जो कि आरएसएस के आदमी थे।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पलायन बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार के समय में शुरू हुआ था। बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। पंडितों का पलायन उसके ठीक एक महीने बाद से शुरू हो गया। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी ने इस पर कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह सरकार को अपना समर्थन देती रही। कांग्रेस ने दावा किया कि यूपीए सरकार ने जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए 5242 आवास बनवाए। इसके अलावा पंडितों के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी, इसमें पंडितों के परिवार के छात्रों को स्कॉलरशिप और किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल थीं।

यूजर्स ने दिए जवाब
कांग्रेस के ट्वीट पर जवाब देते हुए कई ट्विटर यूजर्स ने उससे तीखे सवाल भी किए। @पल्लवीसीटी नाम के यूजर ने लिखा, ‘आप ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे कश्मीर 1990 के पहले जन्नत था। क्या आप इससे इंकार कर सकते हैं कि गवर्नर जगमोहन साल 1988 की शुरुआत से ही राजीव गांधी की सरकार को कश्मीर में आतंकवादियों के जुटने की चेतावनी दे देने लगे थे। विजय ने बताया कि जगमोहन ने केंद्र सरकार को लिखा था, ‘आपके और आपके आसपास के लोगों के पास इन संकेतों को देखने के लिए ना तो समय था, न दिलचस्पी और न ही दृष्टि।

उन्होंने आगे लिखा है कि जगमोहन इतने ज्यादा स्पष्ट थे कि उनके उनकी उपेक्षा करना ऐतिहासिक दृष्टि से अपराध जैसा था। सुमित भसीन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ यासीन मलिक की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि वह (कांग्रेस) इस पर कोई स्पष्टीकरण दें। कुमार 4018 नाम के एक यूजर ने लिखा कि इस तरह की चीजें एक दिन में नहीं होतीं। राजीव गांधी दिसंबर 1989 के मध्य तक प्रधानमंत्री थे। कश्मीर दंगे 1986 में शुरू हुए थे। तब राजीव गांधी की सरकार थी।

कश्मीरी पंडितों पर बहस



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