Kahani Uttar Pradesh ki: अखिलेश यादव की शादी का कार्ड लेकर जब ‘दोस्त’ के ढाबे पर पहुंचे थे मुलायम सिंह

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Kahani Uttar Pradesh ki: अखिलेश यादव की शादी का कार्ड लेकर जब ‘दोस्त’ के ढाबे पर पहुंचे थे मुलायम सिंह

कानपुर
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ऐक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं। वह भारतीय राजनेताओं की उस जमात में शामिल हैं, जो अपनी समर्थक जनता से सीधे संपर्क में रहना चाहते थे। उनकी सादगी के किस्से भी काफी मशहूर हैं। अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दौर में मुलायम सिंह अपने दोस्त दर्शन सिंह के साथ साइकिल से प्रचार करते थे। फर्श से अर्श तक के सफर का यह संघर्ष ही था, जो उन्हें जमीन से जुड़े रहने को प्रेरित करता था।

कानपुर से इटावा जाते हुए रास्ते में हाइवे के किनारे दीपू चौहान का ढाबा पड़ता है। इस ढाबे के बारे में मशहूर है कि मुलायम सिंह यादव इटावा जाने के क्रम में जब भी इस रास्ते से गुजरते हैं, दीपू चौहान के ढाबे पर जरूर रुकते हैं। ढाबे के मालिक दीपू चौहान बताते हैं कि 31 जनवरी 1991 को उनकी मुलाकात पहली बार मुलायम सिंह यादव से हुई थी। उस समय वह यूपी के एक बार मुख्यमंत्री रह चुके थे और उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन नहीं किया था।

मुलायम सिंह यादव ने दीपू चौहान के ढाबे का उद्घाटन किया था। इसके बाद उनकी चौहान से ऐसी दोस्ती हो गई कि वह जब कभी भी लखनऊ से इटावा जाते, तो उनके ढाबे पर जरूर रुकते थे। चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी मुलायम सिंह उनके ढाबे पर आते रहते थे और घंटों अपने सहयोगियों, समर्थकों के बीच बैठे चाय पर चर्चा करते थे। दीपू चौहान ने यह भी बताया कि मुलायम सिंह की सादगी और विनम्रता ऐसी थी कि कई बार वह उनसे भी पूछा करते थे कि उनकी विधानसभा में कौन सा प्रत्याशी ऐसा है, जिसे टिकट दिया जा सके।

चौहान ने बताया कि मुलायम सिंह ऐसा सिर्फ उनके साथ करते हों, ऐसा नहीं था। उनके ढाबे से कुछ दूरी पर अमरूदों का एक छोटा बाजार लगता था। मुलायम सिंह को अमरूद बेहद पसंद हैं तो वह अक्सर वहां जाते और कई दुकानों से अमरूद खरीदते थे। इतना ही नहीं, वहां उपस्थित लोगों से वह बात राजनीति पर बात करने की कोशिश करते थे। उनसे भी मुलायम वही सवाल करते थे कि उनके विधानसभा क्षेत्र में कौन सा प्रत्याशी बेहतर है, जिसे पार्टी टिकट दे।

चौहान याद करते हैं कि आखिरी बार साल 2015 में मुलायम सिंह उनके ढाबे पर आए थे। वह बताते हैं कि उनके लिए मुलायम सिंह से मिलना हमेशा आसान रहा है। वह उन्हें अपने दत्तक पुत्र जैसा स्नेह देते हैं। वह कहते हैं कि मेरे लिए अधिकारियों से मिलना ज्यादा मुश्किल होता है लेकिन मुलायम सिंह यादव से मिलना कभी कठिन नहीं रहा। उन्होंने बताया कि अखिलेश यादव की शादी का कार्ड लेकर नेताजी खुद उनके यहां आए थे।

चौहान ने बताया कि वह समाजवादी पार्टी से साल 2017 में विधानसभा का टिकट चाहते थे लेकिन उन्हें नहीं मिल पाया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इस दौरान चौहान काफी भावुक हो गए थे और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था।



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