India’s GDP: साल 2003-10 की तर्ज पर भारत की जीडीपी ग्रोथ का दावा क्यों कर रहे हैं एक्सपर्ट

90

India’s GDP: साल 2003-10 की तर्ज पर भारत की जीडीपी ग्रोथ का दावा क्यों कर रहे हैं एक्सपर्ट

नई दिल्ली
GDP Growth: भारत की अर्थव्यवस्था साल 2003 से 2010 की तर्ज पर फिर से ग्रो कर सकती है। इसकी मुख्य वजह कॉरपोरेट डिलिवरेजिंग और प्रॉफिटेबिलिटी के साथ बैड एसेट की घटती संख्या और हाउसिंग की डिमांड बढ़ना है।

जेफरीज ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। साल 2003 से 2010 के बीच भारत की इकोनामिक ग्रोथ का औसत 9 फ़ीसदी के करीब रहा था। उस अवधि से पहले भारत की जीडीपी ग्रोथ करीब 6 फ़ीसदी रही थी। अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी ने भारत के इकोनामिक साइकिल के लिए छह प्रमुख कंपोनेंट को जिम्मेदार बताया है।

यह भी पढ़ें: Power Crisis: फिलहाल टल गया है देश में बिजली का संकट, जानिए क्या हैं मुख्य वजहें

इन छह चीजों से जीडीपी ग्रोथ
अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी ने कहा है कि भारत में हाउसिंग की डिमांड, बैंक के एनपीए में कमी, कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि, ब्याज दरों का साइकिल, कॉरपोरेट लिवरेज और केपेक्स में रिवाइवल के बूते भारत की अर्थव्यवस्था दोबारा तेज रफ्तार से ग्रो कर सकती है। जेफरीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2003-04 में जब बैंकों का बैड लोन घटा था तो उनके जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी थी। कुछ उसी तर्ज पर दोबारा बैंक जोखिम लेने की अपनी क्षमता में इजाफा कर सकते हैं।

एनपीए का लेवल घटा
जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 1997 से 2004 के बीच बैंकों का ग्रॉस एनपीए रेश्यो 16 फ़ीसदी से घटकर 8 फ़ीसदी पर आ गया था। इसी तरह भारत के बैंकिंग सिस्टम का ग्रॉस एनपीए मार्च 2018 में 12 फीसदी से घटकर अब 7 फीसदी पर आ गया है। इसके साथ ही लोन के प्रोविजनिंग में वृद्धि हुई है, उससे नेट एनपीए 59 फीसदी तक कम हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोविजनिंग कॉस्ट में काफी कमी आई है। इस समय भले ही बैंक जोखिम लेने से बच रहे हैं, लेकिन बैड एसेट की घटती संख्या के बाद बैंकों के जोखिम लेने की क्षमता बढ़ सकती है। इससे भारत की इकोनामिक ग्रोथ में तेजी आ सकती है।

हाउसिंग दिखाएगा राह
जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में ब्रॉडर कैपिटल एक्सपेंडिचर साइकिल अभी तक नहीं बदला है, लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ कमजोरी के बाद यह हाउसिंग साइकिल की तर्ज पर फिर से टर्न हो सकता है। जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है भारत में हाउसिंग साइकिल में सुधार देखा जा सकता है। 1996-97 के ऐतिहासिक आंकड़ों की मदद से यह समझ आता है कि भारत में हाउसिंग अप साइकिल और डाउन साइकिल छह से 8 सालों तक चलता है।

हाउसिंग का अप और डाउन साइकिल
भारत में 2012-13 से 2020 तक हाउसिंग सेक्टर के हिसाब से डाउन साइकिल चला था। 2021 अप साइकिल का पहला साल है। अब रियल स्टेट के वॉल्यूम और प्राइसिंग में तेजी देखी जा रही है। हाउसिंग कंस्ट्रक्शन सेक्टर में जॉब के बहुत से मौके मिलते हैं और इकनोमी को आगे बढ़ाने में यह कई तरह से योगदान कर सकता है।

यह भी पढ़ें: IIM-A के इस युवा ने कैसे बदली देश के लाखों रिक्शेवालों की जिंदगी?

LIC न्यू जीवन शांति प्लान: बुढ़ापे में पेंशन का हो जाएगा इंतजाम

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News