भारत खरीद सकेगा अब रूस से रक्षा हथियार, अमेरिका ने हटाया प्रतिबंध

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नई दिल्ली: अमेरिका और भारत के रिश्ते काफी समय से कुछ सही नहीं चल रहें थे क्योंकि अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले एल्युमिनियम और इस्पात पर आयात शुल्क को अधिक कर दिया है और ‘टू प्लस टू’ मीटिंग को भी काफी समय से टाला था. पर दोनों ही देशों के बीच मामला थोड़ा ठीक होता नजर आ रहा है. जी हां, अमेरिका ने भारत के साथ अपने रिश्तों में सुधार और रक्षा भागीदारी पर संसद में एक और मुहर लगाई है.

अमेरिकी संसद ने 16 अरब डॉलर का रक्षा विधेयक किया पारित

बता दें कि अमेरिकी संसद ने 16 अरब डॉलर का रक्षा विधेयक पारित किया है. इस विधेयक के पास होने से भारत के साथ दोनों देशों की रक्षा भागीदारी मजबूत करने की बात कही गई है. अमेरिकी संसद ने राष्ट्रीय रक्षा विधेयक, 2019 पारित कर सीएएटीएस कानून के अंतर्गत भारत के खिलाफ रूस से खरीदे जाने वाले रक्षा उपकरणों पर लगाने वाले प्रतिबंध की आशंका को खत्म करने का रास्ता साफ कर लिया है. इस प्रतिबंधों के द्वारा अमेरिका के विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई कानून (सीएएटीएसए) के माध्यम उन देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाते है जो रूस से जरूरी रक्षा उपकरणों की खरीदा करते है.

अमेरिका को भारत के साथ अपनी मुख्य रक्षा साझेदारी मजबूत करना चाहिए- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स 

बीते दिन अमेरिका कांग्रेस में 2019 वित्त वर्ष के लिए जॉन एस मैक्केन नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनटीएए) (रक्षा विधेयक) कल 10 मतों के मुकाबले 87 मतों से पारित कर दिया गया. हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने संयुक्त कॉन्फ्रेंस रिपोर्ट में बताया कि अमेरिका को भारत के साथ अपनी मुख्य रक्षा साझेदारी को काफी मजबूत करना चाहिए. दोनों ही देशों को ऐसी साझेदारी साझा करनी चाहिए जिससे हमारी सेनाओं के बीच रणनीतिक, परिचालन और रणनीतिक समन्वय को बढ़ा सकें.

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वहीं विधेयक के मुताबिक, कांग्रेस का मानना है कि अमेरिका को जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और समेत अन्य सहयोगियों के साथ साझेदारों के समकक्ष मिलकर मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मूल्य बरकरार रखने की ओर काम करना चाहिए तथा क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता कायम करनी चाहिए.

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जोसुआ व्हाइट का बयान

हालांकि, व्हाइट हाउस में राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य रहे जोसुआ व्हाइट ने कहा कि सीएएटीएसए के नए संशोधित प्रावधानों को कानूनी रूप मिलने के बाद भारत के लिए रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदना आसान साबित होगा.