India GDP: वर्ल्ड बैंक की मानें तो उम्मीद से कम रहेगी भारत की जीडीपी ग्रोथ, जानिए कितने का है फर्क

133

India GDP: वर्ल्ड बैंक की मानें तो उम्मीद से कम रहेगी भारत की जीडीपी ग्रोथ, जानिए कितने का है फर्क

नई दिल्ली
GDP Growth: चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ को लेकर दो बड़े अनुमान में तकरीबन एक फ़ीसदी का अंतर देखा जा रहा है। वर्ल्ड बैंक (IBRD) के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान 8.3 फ़ीसदी के करीब हैं, जबकि भारत सरकार के एनएसओ (National Statistical Organisation) के आंकड़े कहते हैं कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 9.2 फ़ीसदी रह सकती है।

वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट (India GDP growth Rate) के अनुमान को 8.3 फीसदी पर बरकरार रखा है। वर्ल्ड बैंक ने वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत के अपने अनुमान को बढ़ाकर 8.7 फीसदी और 6.8 फीसदी कर दिया है।

यह भी पढ़ें: Warren Buffett के छह मनी टिप्स जानिए, बरसेंगे पैसे, जीवन में कभी नहीं होगी धन की तंगी

वर्ल्ड बैंक ने मंगलवार को ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्टस रिपोर्ट (Global Economic Prospectus Report) में भारत की जीडीपी को लेकर यह अनुमान जताया है। वर्ल्ड बैंक का यह अनुमान ऐसे वक्त आया है, जब कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने अपने पहले आधिकारिक अनुमान में वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहने की बात की है।

पिछले साल के कम बेस का असर

भारत सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (NSO) ने पिछले शुक्रवार को जारी आंकड़े में देश की विकास दर वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में कोरोना महामारी और संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए सख्त लॉकडाउन की वजह से भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट में 7.3 फीसदी की गिरावट आई थी। पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ का बेस कमजोर रहने की वजह से इस बार विकास दर बढ़ी हुई दिख रही है। एनएसओ का यह अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2021-22 के लिए जताए गए 9.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान से कुछ कम है।

ग्लोबल ग्रोथ रेट में कमी

वर्ल्ड बैंक ने बताया कि साल 2021 में ग्लोबल ग्रोथ रेट 5.5 फीसदी रही है। हालांकि साल 2022 में इसमें गिरावट आने के साफ़ संकेत दिख रहे हैं और यह 4.1 फीसदी रह सकती है। साल 2023 में यह और घटकर 3.2 फीसदी पर आ सकती है। वर्ल्ड बैंक ने इसके पीछे पेंट-अप डिमांड के धीमा पड़ने और सरकारों की तरफ से महामारी में बड़े पैमाने पर जारी किए वित्तीय उपायों के असर के कम पड़ने को वजह बताया है।

एनएसओ का बयान

एनएसओ ने भारत की जीडीपी के लिए कहा, “कांस्टेंट प्राइस पर भारत की रियल जीडीपी साल 2021-22 में 147.54 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इससे पहले 31 मई 2021 को साल 2020-21 के लिये जारी प्रोविजनल एस्टीमेट में यह 135.13 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह 2021-22 में रियल जीडीपी की ग्रोथ रेट 9.2 फीसदी रहने का अनुमान है। एक साल पहले साल 2020-21 में इसमें 7.3 फीसदी की गिरावट आयी थी।’’

जीडीपी के आंकड़ों से देश की सेहत का अंदाजा
ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को कहते हैं। जीडीपी किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना है। अधिक जीडीपी का मतलब यह है कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी हो रही है। अगर जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार पैदा कर रही है। इसका यह भी मतलब है कि लोगों की आमदनी बढ़ रही है। इससे यह भी पता चलता है कि किस क्षेत्र में विकास हो रहा है और कौन सा क्षेत्र आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है।

जीडीपी को कैसे समझें?
किसी देश की जीडीपी की गणना में सभी सार्वजनिक एवं निजी उपभोग, सरकारी परिव्यय, निवेश, निजी इंवेटरी में वृद्धि, पेड-इन कंस्ट्रक्शन कॉस्ट, और विदेशी व्यापार संतुलन शामिल होते हैं (निर्यातों को जोड़ा जाता है जबकि आयात को घटा लिया जाता है)। जीडीपी के निर्माण में शामिल सभी घटकों में से व्यापार का विदेशी संतुलन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। किसी देश की जीडीपी में उस वक्त बढ़ोतरी का रुझान दिखता है जब वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल मूल्य, जो घरेलू उत्पादक दूसरे देशों को बेचते हैं, उस कुल मूल्य से अधिक हो जाता है जो घरेलू ग्राहक विदेशी वस्तुओं और सेवाओं से खरीदते हैं।

यह भी पढ़ें: भारत के इन 10 गांव के बारे में जानिए जो शहरों से भी हैं बेहतर, कहीं आमदनी तो कहीं का रिवाज इन्हें बनाता है खास

नाइकी, एडिडास जैसे ब्रांडेड शूज सस्ते में खरीदने का आखिरी मौका

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News