IND vs SA : विदेशी धरती पर पहले ही इम्तिहान में द्रविड, राहुल फेल… ढर्रा नहीं बदला तो औंधे मुंह गिरेगी टीम इंडिया

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IND vs SA : विदेशी धरती पर पहले ही इम्तिहान में द्रविड, राहुल फेल… ढर्रा नहीं बदला तो औंधे मुंह गिरेगी टीम इंडिया

नई दिल्‍ली : भारतीय क्रिकेट टीम में संतुलन नहीं बन पा रहा। दक्षिण अफ्रीका ने हमारी ताजा खामियों का फायदा उठाते हुए टेस्‍ट और वनडे, दोनों सीरीज कब्‍जा ली हैं। चिंता की बात यह है कि कोई कॉम्बिनेशन सही नतीजे नहीं दे पा रहा। टेस्‍ट सीरीज के आखिरी दो मैचों में शर्मनाक हार और अब पहले दो वनडे में बुरी गत… कप्‍तानी पर ऊहापोह के बीच घटिया प्रदर्शन बीसीसीआई के लिए नई चुनौती बन गया है। कोच के रूप में राहुल द्रविड़ अपने पहले विदेशी असाइनमेंट में फेल हुए हैं। लिस्‍ट ए क्रिकेट में कप्‍तानी का कोई अनुभव न होने के बावजूद वनडे टीम के कप्‍तान बनाए गए केएल राहुल भी प्रभावित नहीं कर सके। भारतीय क्रिकेट अभी उस मोड़ पर खड़ा दिख रहा है जहां उसे कुछ कड़े फैसले करने होंगे। टीम सिलेक्‍शन और प्‍लेइंग 11 चुनने का ढर्रा बदलना होगा, नहीं तो टीम इंडिया के औंधे मुंह गिरने का खतरा मंडरा रहा है।

ऐसी तो न थी टीम इंडिया
ऑस्‍ट्रेलिया में दूसरी बार ऐतिहासिक टेस्‍ट सीरीज जीतना, गाबा का घमंड तोड़ना और उसके बाद इंग्‍लैंड को उसी के घर में धूल चटाना… कोविड-19 के बीच भारतीय टीम बेहतरीन लय में थी। यह सब तब था जब कप्‍तानी को लेकर किसी तरह की सुगबुगाहट नहीं थी। फिर टी-20 वर्ल्‍ड कप आया और टीम इंडिया का महल ताश के पत्‍तों की तरह बिखरता चला गया। बेआबरू होकर टूर्नमेंट से बाहर हुए तो घरेलू मैदान पर न्‍यूजीलैंड को टी-20 और वनडे सीरीज में पीटकर चैन की सांस ली गई। दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जाने से पहले इसे हमारा ‘बेस्‍ट चांस’ बताया जा रहा था।

राहुल, द्रविड़ पर उठ रहे सवाल
कुछ एक्‍सपर्ट्स की राय में यह भारतीय क्रिकेट के इतिहास की सबसे मजबूत टीम थी। मगर हुआ क्‍या? सेंचुरियन का किला तो ढहा मगर फिर जोहान्‍सबर्ग और केपटाउन में भारतीय टीम ने घुटने टेक दिए। वनडे सीरीज के हालिया प्रदर्शन की बात तो जाने ही दीजिए। केएल राहुल की कप्तानी का स्‍तर इतना घटिया रहा है कि सुनील गावस्‍कर जैसे दिग्‍गज कह रहे हैं कि ‘मुझे नहीं लगता कि उसने कभी कर्नाटक की कप्‍तानी भी की है।’ सवाल द्रविड़ के रवैये पर भी उठ रहे हैं। फैन्‍स का एक तबका मानता है कि द्रविड़ की कोचिंग में टीम इंडिया कम आक्रामक होती जा रही है।

(केएल) राहुल के पास कप्‍तानी का उतना अनुभव नहीं है। उन्‍होंने केवल पिछले दो IPLs में पंजाब किंग्‍स की कप्‍तानी की है। उसके अलावा, किसी भी दूसरे फॉर्मेट- चाहे वह रणजी ट्रोफी हो या लिस्‍ट ए, किसी में नहीं। इसीलिए जब आप उन्‍हें कप्‍तान के रूप में देखते हैं तो धैर्य रखना होगा। अगर आप IPL में उनकी कप्‍तानी देखें तो पंजाब किंग्‍स ने पिछले दो साल में कुछ खास नहीं किया है।

सुनील गावस्‍कर, पूर्व क्रिकेटर

पिछले 10 मैचों में टीम इंडिया का प्रदर्शन

  • दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरा वनडे – 7 विकेट से हारे
  • दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला वनडे – 31 रन से हारे
  • दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरा टेस्‍ट – 7 विकेट से हारे
  • दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरा टेस्‍ट – 7 विकेट से हारे
  • दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टेस्‍ट – 113 रन से जीते
  • न्‍यूजीलैंड के खिलाफ दूसरा टेस्‍ट (मुंबई) – 372 रन से जीते
  • न्‍यूजीलैंड के खिलाफ पहला टेस्‍ट (कानपुर) – मैच ड्रॉ
  • न्‍यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की टी-20 सीरीज – क्‍लीन स्‍वीप किया

पहले टेस्‍ट का कप्‍तान ढूंढे BCCI
बोर्ड के सामने सबसे बड़ा सवाल टेस्‍ट टीम में नया कप्‍तान चुनने का है। लिमिटेड ओवर्स में रोहित शर्मा कप्‍तान हैं, मगर टेस्‍ट के लिए केएल राहुल, ऋषभ पंत, जसप्रीत बुमराह और रविचंद्रन अश्विन की दावेदारी भी समझी जा रही है। राहुल ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जैसी कप्‍तानी की है, उनकी दावेदारी कहीं से भी मजबूत होती नहीं दिखी। विराट कोहली के फैन्‍स सोशल मीडिया पर अलग गदर काटे हुए हैं कि उनके कप्‍तानी छोड़ते ही टीम इंडिया की ‘अटैकिंग एनर्जी’ गायब हो गई है।

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कहां चूक रही है टीम इंडिया?
वनडे सीरीज में नई गेंद के साथ टीम इंडिया की परेशानी साफ दिखी। ऊपर से एक जेनुइन ऑलराउंडर की गैर-मौजूदगी खासी खली। बल्‍लेबाजी हो या गेंदबाजी, दक्षिण अफ्रीकी टीम हर मोर्चे पर भारी पड़ी। रविचंद्रन अश्विन और युजवेंद्र चहल से टीम इंडिया को जैसी उम्‍मीदें थीं, वे पूरी नहीं हो सकें। भारत की स्पिन जोड़ी पर केशव महाराज, तबरेज शमशी यहां तक कि एडन मार्करम भी हावी नजर आए। टीम इंडिया के लिए मिडल ऑर्डर का क्लिक न करना एक बड़ी चिंता का सबब है। दूसरे वनडे में पंत को नंबर 4 पर भेजा गया था और उन्‍होंने 85 रन की शानदार पारी खेली, मगर उसके अलावा सब हवा साबित हुए।

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गेंदबाजी में हालत खस्‍ता
भारतीय गेंदबाज विरोधी टीम के सलामी बल्‍लेबाजों को शतकीय साझेदारी से नहीं रोक सके। 2019 वर्ल्‍ड कप के बाद खेले गए 23 वनडे मैचों में ऐसा 8 बार हो चुका है कि विपक्षी टीम पहले विकेट के लिए 100 से ज्‍यादा रन जोड़ने में कामयाब रही। वेंकटेश अय्यर को बतौर ऑलराउंडर शामिल किया गया था मगर पहले वनडे में उनसे गेंदबाजी नहीं कराई गई। दूसरे वनडे में वे औसत और विकेटलेस रहे। भुवनेश्‍वर कुमार भी लय में नहीं हैं। पहले वनडे में अपने 10 ओवर में उन्‍होंने 64 रन दिए और दूसरे के 8 ओवर में 67 रन लुटाए। दोनों वनडे में भुवी को कोई विकेट नहीं मिला। अश्विन और चहल भी बेहद साधारण दिखे।

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बोर्ड को करने होंगे कुछ कड़े फैसले
BCCI को टेस्‍ट में कप्‍तान ढूंढने के अलावा अंजिक्‍य रहाणे, चेतेश्‍वर पुजारा के भविष्‍य पर भी विचार करना होगा। लिमिटेड ओवर्स में भुवनेश्‍वर कुमार की टीम में जगह भी खतरे में है। सोशल मीडिया पर भुवी की जगह मोहम्‍मद सिराज को लाने की मांग तेज हो रही है और काफी हद तक यह जायज भी है। अश्विन को भी वनडे व टी-20 से बाहर बिठाया जा सकता है। पूर्व क्रिकेटर व कमेंटेटर संजय मांजरेकर कहते हैं कि भारत कुलदीप यादव की प्रतिभा बेकार जाने दे रहा है। यही स्थिति ऋतुराज गायकवाड़, दीपक चाहर और सूर्यकुमार यादव के साथ भी है। लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में ये खिलाड़ी बेहतरीन विकल्‍प साबित हो सकते हैं।



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