ऐसा कौन-सा मंदिर है जहां ईश्वर को चप्पल चढ़ाई जाती है?

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मंदिर में जूते -या फिर चप्पल पहनकर जाना वर्जित है। ऐसा माना जाता है की मंदिर भगवान का घर होता है, जहां वो वास करते है। उनकी शरण में शुद्ध मन के साथ जाना चाहिए साथ ही उनकी पूजा -उपसना स्नान करके खुद को स्वच्छ रख कर करनी चाहिए। तभी ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है। चप्पल और जूते मंदिर के भीतर नहीं लाए जाते है, क्योंकि उनमें घुल -मिटी और गंदगी होती है और वो पैरों में पहनी जाती है लेकिन क्या आप जानते है एक ऐसा भी मंदिर है, जहां खुद ईश्वर को जूते और चप्पलों की माला पहनाई जाती है।

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कनार्टक के गुलबर्ग ज़िले में लकम्‍मा देवी का मंदिर है. यहां हर साल ‘फुटवियर फेस्टिवल’ का आयोजन होता है, जिसमें सैकड़ो लोग शामिल होते है और माता को चप्‍पल चढ़ाते है। इस खास आयोजन में गोला (बी) नामक गांव के लोग बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेते हैं। इतना ही नहीं देश -विदेश के लोग इस महोत्सव में भाग लेते है और माता को फूल और फल की जगह चप्पल अर्पित करते है। इसने ही नहीं यहाँ देवी को शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का भोग भी लगाया जाता हैं। आप जानकर हैरान हो जाएंगे की इस विख्यात मंदिर के पुजारी हिन्दू नहीं बल्कि मुसलमान हैं। हिंदुओं के साथ-साथ यह पवित्र स्थल मुसलमानों के लिए भी श्रद्धा का केंद्र है।

इस प्रथा के पीछे यह मान्यता है की ईश्‍वर को चप्‍पल अर्पित करने से भगवन स्वयं अपने भक्तों की बुरी शक्तियों से रक्षा प्रदान करते है। यह भी कहा जाता है की इससे पैरों और घुटनों का दर्द से राहत मिलती है और दर्द सदैव के लिए दूर हो जाता है। इस मंदिर में हिन्दू ही नही बल्कि मुसलमान भी बड़ी तादाद में आते है। भक्त ईश्वर से मन्‍नत मांगते हैं जिसे पूरा करने के लिए मंदिर के बाहर स्थित एक पेड़ पर चप्‍पलें भी टांगते हैं।