असम के कौन से जिलों में चाय की खेती अधिक की जाती है ?

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असम के कौन से जिलों में चाय की खेती अधिक की जाती है ? ( In which districts of Assam tea is cultivated more? )
असम के कौन से जिलों में चाय की खेती अधिक की जाती है ? ( In which districts of Assam tea is cultivated more? )

असम के कौन से जिलों में चाय की खेती अधिक की जाती है ? ( In which districts of Assam tea is cultivated more? )

चाय की खेती – चाय एक सुप्रसिद्ध पेय पदार्थ है. इसे विश्व के अनेंक देशों में प्रय़ोग किया जाता है. अगर हमारे देश के नजरिये से बात करें, तो यह चाय इतनी सामान्य बात है कि अगर कोई मेहमान आता है, तो सबसे पहले उसे चाय का ही प्रस्ताव दिया जाता है. इसके अलावा शायद ही कोई सड़क या बाजार ऐसा हो जहां पर हमें चाय विक्रेता ना मिलें.

इतना सुप्रसिद्ध पेय पदार्थ होने के कारण लोगों के मन में इसके प्रति जिज्ञासा पैदा होना एक आम बात है. लोगों के मन में चाय के उत्पादन या गुणवत्ता से संबंधित कई तरह के सवाल पैदा होते हैं. इसी तरह का एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि असम के कौन से जिलों में चाय की खेती अधिक की जाती है ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

UK harvesting tea leaves -
चाय

असम के किन जिलों में चाय का अधिक उत्पादन –

हमारे देश में चाय के उत्पादन की बात करें,तो सबसे अधिक चाय का उत्पादन असम में ही होता है. इसके बाद दूसरे राज्यों का नंबर आता है. चाय के उत्पादन में असम , पश्चिम बंगाल , तमिलनाडु और केरल राज्य ही पूरे देश के चाय उत्पादन का 95 फिसदी उत्पादन करते हैं. तमिलनाडु की नीलगिरी की पहाड़िया भी चाय के उत्पादन के लिए विश्व में प्रसिद्ध हैं.

अगर असम के राज्यों की बात करें, तो शिवसागर , कामरूप , नवागांव इत्यादी में चाय का अधिक उत्पादन होता है. असम को Tea City of India भी कहा जाता है. अगर असम में चाय के उत्पादन की बात करें, तो यहां पर लगभग 652 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है.

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चाय

देश की सबसे महंगी चाय –

अगर हम बाजार में जाते हैं, तो चाय पत्ति के लिए हमें ज्यादा पैसा नहीं खर्च करने पड़ते है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय की कीमत लाखों में भी है. दरअसल, असम राज्य के गोलाघाट जिले में एक दुर्लभ किस्म की ऑर्गेनिक खेती की गई थी. इसको जोरहाट के एक निलामी क्रेंद द्वारा बेचा गया था.

इस चाय को पाभोजन गोल्ड टी (Pabhojan Gold Tea) 1 लाख रूपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा. आमतौर पर लोगों को विश्वास नहीं होता है कि इतनी महंगी भी चाय हो सकती है. लेकिन कहा भी जाता है कि असली हीरे की परख जौहरी को ही होती है. इस चाय की विशेषताओं के कारण ही इसको इतनी कीमत पर खरीदा गया.

असम राज्य की चाय का इस्तमाल सिर्फ भारत में ही नहीं होता है. इस चाय का निर्यात विदेशों में भी किया जाता है. असम की चाय की विदेशों में भी डिमांड है. चाय भारत ही नहीं बल्कि विश्व में एक लोकप्रिय पेय पदार्थ है. यह चाय के पौधे की पत्तियों से तैयार किया जाता है. चाय मुख्यरूप से 3 तरह की होती है. 1. काली चाय 2. हरी चाय 3. गट्टी चाय .

ऐसा माना जाता है कि अंग्रेजों के आने से पहले भारत में लोगों को चाय के बारे में जानकारी नहीं थी. लेकिन जब चीन से चाय लाने पर भारत में इसकी जानकारी हुई तो चाय भारत में प्रत्येक का एक अभिन्न अंग बन गई.

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रॅाबर्ट ब्रूस ने असम में चाय के पौधे की खोज की थी. इसके साथ ही चाय बनाने की प्रकृति के आधार पर भी हम इसके अलग अलग स्वाद का सेवन कर सकते हैं. आमतौर पर दूध की बनी चाय का इस्तमाल किया जाता है. अगर कश्मीर की बात करें, तो वहां पर कहवा चाय पी जाती है. यह चाय हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होती है. इसके साथ ही इसका स्वाद भी बहुत ही लाजवाब होता है.

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