महिलाएं को अपनी जिंदगी में कई संघर्ष और समर्पण का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी दिक्कत उन्हें तब होती है जब मासिक धर्म होता है। इसके कारण उन्हें अपने काम से अवकाश लेना पड़ता है। यह समस्या तब और विकट हो जाती है जब महिला मजदूर हो तो उसके सैनिटरी नैपकिन भी उपलब्ध नहीं हो पाती है।
मासिक धर्म के कारण महिलाएं छुट्टी न लें इसके लिए एक जगह महिलाओं का गर्भाशय ही निकलवा दिया जाता है। गौरतलब है कि गर्भाशय निकलवा देने से मासिक धर्म आना बंद हो जाता है।
यह मामला महाराष्ट्र का है जहाँ महिलाएं रोजगार के लिए गर्भाशय को निकलवा (Hysterectomies) रही हैं, ताकि उनका काम प्रभावित न हो और वो मासिक धर्म पर लगने वाले जुर्माने से बच सकें।
महाराष्ट्र के बीड़ जिले के हाजीपुर गांव को गन्ना श्रमिकों के कारण जाना जाता है। ये मजदूर गन्ने के कटाई का काम करते है। मजदूर अपना घर चलाने के लिए गन्ना की कटाई के दौरान महाराष्ट्र के पश्चिमी इलाके में चले जाते हैं। महाराष्ट्र में सूखे के हालात होने के वजह से यहां श्रामिकों की संख्यां में इजाफा हुआ है।
महाराष्ट्र के वनजारवाड़ी गांव में दो या तीन बच्चों को जन्म देने के बाद महिलाओं का गर्भाशय निकलवाना एक ‘चलन’ बन गया गया है। गांववालों का मानना है कि गर्भाशय की वजह से महिलाओं के काम पर असर पड़ता है। दरअसल, इसके पीछे वह पीरियड्स या मासिक धर्म को जिम्मेदार मानते हैं। उनको लगता है कि पीरियड्स की वजह से काम प्रभावित होता है और काम के दौरान अवकाश लेने से उन पर जुर्माना लगता है।
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दरअसल इस गांव में गन्ना की कटाई करने वाला ठेकेदार पूरे साल भर की कटाई का ठेका लेता है। जिसकी वजह से एक तय समय के अंदर उन्हें अपना कॉन्ट्रेक्ट पूरा करना होता है। ऐसे में उन्हें ऐसे श्रामिकों की जरुरत होती है जो बिना छुट्टी लिए काम कर सकें। काम जल्दी हो जाएं इस वजह से ठेकेदार बिना गर्भाशय वाली महिलाओं को काम पर रखना पसंद करते हैं क्योंकि उनके अनुसार, मासिक धर्म पर होने वाली महिलाओं को अधिक छुट्टियों की आवश्यकता पड़ती है, जिसका असर सीधा काम पर पड़ता है।