Happiness Class में बच्चों के मन से निकलेगी कोरोना की दहशत, जानें- क्या है हैप्पीनेस क्लासेज

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Happiness Class में बच्चों के मन से निकलेगी कोरोना की दहशत, जानें- क्या है हैप्पीनेस क्लासेज

Happiness Classes in UP- उत्तर प्रदेश के इन 16 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू होगी योजना

लखनऊ. Happiness Classes in UP- रक्षाबंधन के बाद यूपी में 6वीं से ऊपर की कक्षाएं खुल रही हैं। सितंबर में प्राइमरी स्कूल खुल जाएंगे। स्कूल पहुंचने पर बच्चों का खास तरीके से स्वागत किया जाएगा। उन्हें पाठ्यक्रम की चीजें पढ़ाने से पहले हैप्पीनेस क्लास में बैठना होगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने हैप्पीनेस पाठ्यक्रम को पिछले डेढ़ साल से बच्चों के मन में बैठे कोरोना के डर को दूर करने के लिए डिजाइन किया है।

नई शिक्षा नीति में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम लागू करने की बात थी। अब कोविड काल में इस तरह के कोर्स की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। हापुड़ और बुलंदशहर में कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में इस पायलट प्रोजेक्ट की सालभर पहले शुरुआत हुई थी। लेकिन तब यह कोर्स प्रदेश की पारस्थितिकी के मुताबिक नहीं था। यूपी में हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की चर्चा तब हुई जब अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का दौरा कर हैप्पीनेस क्लास की जानकारी ली थी।

यहां चलेगा पायलट प्रोजेक्ट
अब इसे 16 जिलों में पायलट के तौर पर लागू किया जा रहा है। वाराणसी, देवरिया, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, प्रयागराज, अमेठी, अयोध्या, लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, मथुरा, झांसी व चित्रकूट में यह कोर्स सफल रहा तो हर जिले में कोर्स को लागू किया जाएगा।

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क्या है हैप्पीनेस पाठ्यक्रम
खुशी क्या है, क्या हमारे पास उपलब्ध सुविधाएं खुशी हैं, हम खुश कब होते हैं, जब कोई दुखी हो तो क्या हम खुश हो सकते हैं, किसी ने हमें परेशान किया तो हम कितनी बार परेशान हुए। इस तरह के कई सवालों का जवाब हैप्पीनेस पाठ्यक्रम में शामिल हैं। किस तरह खुश रहा जा सकता है। किस तरह कृतज्ञता, दयालुता, सहज, सरल रहा जा सकता है। यह सब कोर्स में शामिल है।

क्या होगा फायदा
मनोचिकित्सक अनुराधा पाल बताती हैं कि कोविड काल में यह कोर्स विद्यार्थियों को खुशी पहचानने की समझ देगा। जागरूकता पैदा करेगा, समझने का नजरिया और विकसित करेगा और उन्हें नैराश्य से उबारेगा। इसके अलावा बच्चों में अपने आसपास के माहौल के प्रति संवेदनशील बनाएगा। पहचान पर गर्व करने वाला और तार्किक सोच और दिमागी स्पष्टता बढ़ाएगा। इससे बच्चों में साहस का संचार होगा और कृतज्ञता का भाव विकसित होगा।

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