Gyanvapi Survey Live: अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने कोर्ट में दायर की याचिका, झूठी खबर पर रोक लगाने की मांग
विकास पाठक, वाराणसी: वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में चल रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे के पांचवें दिन मंगलवार को मुख्य केंद्र नंदी के ठीक सामने स्थित व्यास तहखाना(दक्षिणी तहखाना) रोशनी आदि के प्रबंध के बीच जरूरी साक्ष्य जुटाए गए। एएसआई सर्वे के लिए डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) और ग्लोबल नेविगेशन सैटलाइट सिस्टम (जीएनएनएस) सहित ग्राउंड पैनिट्रेटिंग रेडार (जीपीआर) का प्रयोग किया गया। इसमें तहखाने और उसके नीचे की संरचना की जानकारी सामने आई है। बुधवार से आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों सर्वे में शामिल हो सकते हैं।
10.26 बजे – अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा वाराणसी कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया है ताकि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को ज्ञानवापीमस्जिद के चल रहे सर्वे के बारे में ‘झूठी खबर’ प्रकाशित करने से रोका जा सके।
8.30 बजे – सर्वेक्षण के छठे दिन ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की एक टीम वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंची।
एएसआई की टीमें मंगलवार सुबह आठ बजे ज्ञानवापी पहुंची। पहली बार शृंगार गौरी केस की मुख्य वादिनी राखी सिंह भी अपने अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी के साथ सर्वे में शामिल हुईं। दो पालियों में शाम पांच बजे तक सर्वे का काम चलता रहा। दो टीमें गुंबदों और उसके नीचे के मुख्य हॉल में तो एक टीम ने व्यास तहखाने में जांच का काम संभाला। एएसआई विशेषज्ञों ने सीढ़ी लगाकर गुंबदों के ऊपर जाकर नाप-जोख के साथ वैज्ञानिक पद्धति से जांच की। व्यास तहखाने में पूरे दिन मशीनों के प्रयोग से तथ्यों को एकत्र किया गया। सूत्रों ने बताया कि अन्य मशीनों के प्रयोग के दौरान तहखाने और उसके नीचे की संरचना और तमाम अवशेष देखने में आए हैं। प्रारंभिक तौर पर तहखाने में मिले अवशेष और संरचना मस्जिद के हिस्सों से अलग और उससे पुराने होने का अनुमान है।
इमारत का इतिहास खंगाला
एएसआई विशेषज्ञों ने गुंबदों और उसके नीचे के मुख्य हॉल के निर्माण के कालखंड और प्रयुक्त सामग्री का पता लगाने के लिए बाकी जांच को पूरा किया। दीवार और गुंबद के निर्माण की जांच के लिए डायल टेस्ट इंडीकेटर लगाया गया। इसके जरिए निर्माण की एकरूपता और सतह का मिलान किया गया। गुंबदों के अंदर और पश्चिमी दीवारों पर बनी कलाकृति, धार्मिक चिह्नों और बनावट की जांच के लिए कॉबिनेशन सेंट वर्नियर प्रॉजेक्टर मशीन का उपयोग किया गया। इससे मिले आंकड़ों को टोपोग्राफी शीट पर उतारा गया। जमीन के ऊपरी सतह की जांच पूरी हो जाने से अब इमारत की नींव का इतिहास खंगाला जाएगा।
‘संयम बरतें और बयानबाजी से बचें’
सर्वे और उससे जुड़ी जानकारी साझा करने पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद प्रशासन ने भी सख्ती की है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी और वादिनी सीता साहू को प्रशासन ने नोटिस जारी कर संयम बरते के साथ ही बयानबाजी से बचने की सलाह दी गई है। हालांकि, अधिवक्ता और वादिनी महिला ने किसी प्रकार का नोटिस मिलने से इनकार किया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन का कहना है कि सर्वे संतोषजनक ढंग से चल रहा है, लेकिन हिंदू पक्ष संयम नहीं बरत रहा है।
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10.26 बजे – अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी द्वारा वाराणसी कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया है ताकि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को ज्ञानवापीमस्जिद के चल रहे सर्वे के बारे में ‘झूठी खबर’ प्रकाशित करने से रोका जा सके।
8.30 बजे – सर्वेक्षण के छठे दिन ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की एक टीम वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंची।
एएसआई की टीमें मंगलवार सुबह आठ बजे ज्ञानवापी पहुंची। पहली बार शृंगार गौरी केस की मुख्य वादिनी राखी सिंह भी अपने अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी के साथ सर्वे में शामिल हुईं। दो पालियों में शाम पांच बजे तक सर्वे का काम चलता रहा। दो टीमें गुंबदों और उसके नीचे के मुख्य हॉल में तो एक टीम ने व्यास तहखाने में जांच का काम संभाला। एएसआई विशेषज्ञों ने सीढ़ी लगाकर गुंबदों के ऊपर जाकर नाप-जोख के साथ वैज्ञानिक पद्धति से जांच की। व्यास तहखाने में पूरे दिन मशीनों के प्रयोग से तथ्यों को एकत्र किया गया। सूत्रों ने बताया कि अन्य मशीनों के प्रयोग के दौरान तहखाने और उसके नीचे की संरचना और तमाम अवशेष देखने में आए हैं। प्रारंभिक तौर पर तहखाने में मिले अवशेष और संरचना मस्जिद के हिस्सों से अलग और उससे पुराने होने का अनुमान है।
इमारत का इतिहास खंगाला
एएसआई विशेषज्ञों ने गुंबदों और उसके नीचे के मुख्य हॉल के निर्माण के कालखंड और प्रयुक्त सामग्री का पता लगाने के लिए बाकी जांच को पूरा किया। दीवार और गुंबद के निर्माण की जांच के लिए डायल टेस्ट इंडीकेटर लगाया गया। इसके जरिए निर्माण की एकरूपता और सतह का मिलान किया गया। गुंबदों के अंदर और पश्चिमी दीवारों पर बनी कलाकृति, धार्मिक चिह्नों और बनावट की जांच के लिए कॉबिनेशन सेंट वर्नियर प्रॉजेक्टर मशीन का उपयोग किया गया। इससे मिले आंकड़ों को टोपोग्राफी शीट पर उतारा गया। जमीन के ऊपरी सतह की जांच पूरी हो जाने से अब इमारत की नींव का इतिहास खंगाला जाएगा।
‘संयम बरतें और बयानबाजी से बचें’
सर्वे और उससे जुड़ी जानकारी साझा करने पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति के बाद प्रशासन ने भी सख्ती की है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी और वादिनी सीता साहू को प्रशासन ने नोटिस जारी कर संयम बरते के साथ ही बयानबाजी से बचने की सलाह दी गई है। हालांकि, अधिवक्ता और वादिनी महिला ने किसी प्रकार का नोटिस मिलने से इनकार किया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन का कहना है कि सर्वे संतोषजनक ढंग से चल रहा है, लेकिन हिंदू पक्ष संयम नहीं बरत रहा है।