Gurugram news : सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से हो रहा सिर्फ 3 लाख लीटर पानी सप्लाई, गुरुग्राम में भूजल से बन रहीं 1500 इमारतें

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Gurugram news : सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से हो रहा सिर्फ 3 लाख लीटर पानी सप्लाई, गुरुग्राम में भूजल से बन रहीं 1500 इमारतें

दीपक आहूजा, गुरग्राम : गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (जीएमडीए) के बहरामपुर और धनवापुर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से निर्माण कार्यों के लिए रोजाना सिर्फ 3 लाख लीटर पानी दिया जा रहा है। यह खुलासा अथॉरिटी से मिली रिपोर्ट में हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि गुड़गांव में निर्माणाधीन करीब 1500 इमारतों में क्या भूजल का इस्तेमाल किया जा रहा है?

जीएमडीए के मुताबिक 1 से 31 मई तक धनवापुर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से 39 लाख 50 हजार, जबकि बहरामपुर के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से 66 लाख 2 हजार ट्रीट वॉटर टैंकरों के माध्यम से लिया गया है। प्रतिदिन करीब 3 लाख लीटर पानी निर्माण कार्यों के लिए लिया जा रहा है।

क्या है मामला

गुड़गांव में भूजल स्तर गिरने से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि भूजल का इस्तेमाल निर्माण और व्यावसायिक कार्यों में नहीं होगा। निर्माण में एसटीपी से ट्रीट पानी का इस्तेमाल किया जाएगा। रियल एस्टेट कंपनी को निर्माणस्थल पर पैकेजिंग यूनिट लगानी होगी, जिसमें इस सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से लिए ट्रीट पानी को फिर ट्रीट करने के पश्चात निर्माण में लाया जाएगा।

प्रशासन ने सख्ती के लिए बनाई थी टीम
भूजल से निर्माण और व्यावसायिक कार्यों में प्रतिबंध के लिए बाद जिला प्रशासन ने 12 टीम का गठन किया था। इसमें सभी विभागों के अधिकारियों को अलग-अलग एरिया सौंपा गया था। निरीक्षण में यदि बोरवैल का गलत इस्तेमाल हो रहा है तो उसे सील किया जाना था। शुरूआती दौर में टीम ने छापेमारी की पर फिर सब ठंडे बस्ते में चला गया।

कहां-कहां चल रहे बोरवैल
गांव दौलताबाद, धनवापुर, बाबूपुर, चौमा, बसई, धनकोट, कार्टरपुरी, डूंडाहेड़ा, गाड़ौली, कादीपुर, बहरामपुर, फाजिलपुर, गढ़ी हरसरू आदि में भूजल का व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां टैंकरों में पानी भरकर निर्माणाधीन साइट्स पर पहुंचाया जाता है। साथ ही जिन सोसायटियों में पानी की सप्लाई नहीं है, वहां भूजल बेचा जाता है।

निर्माण और व्यावसायिक कार्यों में भूजल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। निर्माणाधीन साइटों का जल्द ही निरीक्षण किया जाएगा। यदि भूजल से निर्माण होता मिला तो एफआईआर कराई जाएगी। जीएमडीए से रिकॉर्ड लिया जाएगा कि कौन बिल्डर ट्रीट पानी ले रहे हैं।

आरएस बाठ, डीटीपीई, टीसीपी डिपार्टमेंट

जीएमडीए सीईओ ने बुलाई थी बैठक
जीएमडीए के सीईओ सुधीर राजपाल ने इसे रोकने को लेकर नवंबर में बैठक बुलाई थी। इसमें 22 बिल्डर को तलब किया गया था पर पहुंचे सिर्फ 6। उन्होंने सभी को निर्माण कार्यों में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से लिए ट्रीट वॉटर का इस्तेमाल करने के आदेश दिए थे।

मार्च में बनी कमिटी
डीसी निशांत कुमार यादव ने भूजल का निर्माण कार्यों में इस्तेमाल रोकने के लिए मार्च में 3 सदस्यीय कमिटी गठित की। इसमें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के डीटीपीई, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और सिंचाई विभाग के ईएक्सईएन शामिल हैं। अभी तक कमिटी ने कोई अभियान नहीं चलाया।

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