कोरोना वायरस के कहर के कारण मानो देश रुक सा गया है। कारोबार और उद्योग ठप हो चुके है। देशभर में आम जनता को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ा रहा है। दिहाड़ी मजदूरों के सामने अजीविका का संकट खड़ा है तो वही दूसरी और इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा मार गरीबो को पड़ रही है। गरीबों को अपना और अपने परिवार के भरण पोषण के लिए एक वक़्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए केंद्र सरकार आम जनता को अपनी कई स्कीम द्वारा मदद पहुंचने का दावा कर रही है , आये जानते है आखिर क्या है यह स्कीम और लोगो को कैसे पहुंच रही है इन सरकारी स्कीम द्वारा राहत।
उज्जवला योजना
मोदी सरकार द्वारा 2016 में शुरू की गई उज्जवला योजना के जरिए , गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों को 8600 से अधिक एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, लॉक डाउन के दौरान केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को भी शामिल करते हुए यह एलान किया कि उज्ज्वला योजना के अंतरगर्त आने वाले लोगों को तीन महीने तक मुफ्त रसोई गैस प्रदान किया जाएगा। साथ ही सरकार प्रति लाभार्थियों के खाते में गैस सिलेंडर के लिए 753 रुपए ट्रांसफर करेगी। इस पैसे से इस्तेमाल गरीब तबका सिलेंडर खरीदने के लिए करेगा यानि की सिलिंडर के पैसे सरकार लोगो के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करेगी और लोग उस पैसे का इस्तेमाल सिलिंडर ख़रीदने में करे। केंद्र सरकार ने मुफ्त गैस के लिए गरीबों के लिए 4.82 करोड़ रुपये अकाउंट में ट्रांसफर करेगी।
पीएम किसान योजना
प्रधान मंत्री किसान निधि, एक केंद्र-प्रायोजित योजना, फरवरी 2019 में शुरू की गई थी। इसके तहत, भारत भर के सभी किसान परिवारों को हर चार महीने में 2,000 रुपये की तीन समान किश्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की आय का समर्थन मिलता है।कोरोना संकट के दौरान केंद्र सरकार द्वारा यह दावा किया गया की किसानों के बैंक अकाउंट में पीएम किसान योजना के तहत 71 हजार करोड़ रुपया 9 करोड़ 34 लाख किसानों को दिया है।
प्रधान मंत्री खनिजक्षेत्र कल्याण योजना कोरोना की मार से गरीबो को बचाने के लिए सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा योजना लाई गई इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा सभी राशन कार्ड धारकों को 3 माह तक मौजूदा राशन के मुकाबले 2 गुना राशन देने का घोषणा की गई । एकीकृत कार्यक्रम (INTEGRATED PROGRAMME FOR OLDER PERSONS) केंद्र सरकार वृद्ध, विधवाओं और विशेष रूप से विकलांगों की मदद के लिए कदम उठाते हुए। वृद्ध व्यक्तियों के लिए इंट्रीग्रेटेड प्रोग्राम के तहत जो 1992 से चल रही है, जिसमें अन्य लोगों को आश्रय, भोजन और चिकित्सा देखभाल जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान किया जाता है। इसके तहत, सरकार गैर-सरकारी संगठनों, पंचायती राज संस्थाओं आदि को वृद्धाश्रमों के रखरखाव, राहत घरों, मोबाइल मेडिकेयर इकाइयों, अल्जाइमर रोग / मनोभ्रंश रोगियों के लिए दिन देखभाल केंद्रों के लिए धन मुहैया कराती है।
MNREGA
लॉकडाउन के दौरान ‘मनरेगा’ योजना ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दिया है, जिसे एक अप्रैल से लागू भी कर दिया गया और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 33,300 करोड़ रुपये की राशि मनरेगा के अंतर्गत स्वीकृत प्रदान की। इसमें से 20,225 करोड़ रुपये की राशि पूर्व वर्षों की मजदूरी का बकाया देने का लिए जारी की है। योजना में कहा गया है कि जहां मनरेगा के तहत कुल खर्च का 60 प्रतिशत मजदूरी पर होता है, वहीं 40 प्रतिशत खर्च भौतिक संपत्ति के सृजन पर होना होता है।