Goddess Parvati Blessings: जानें माता पार्वती को प्रसन्न करने की पूजन विधि, महत्व और इस साल की तिथियां
साल 2021 में बेहद विशेष है मंगला गौरी व्रत, जानें क्यों?
Mangla Gauri Vrat 2021: हिंदू नववर्ष 2078 यानि वर्ष 2021-22 में विष योग को देखते हुए इस साल लोगों की रक्षा का दायित्व मंगल पर माना जा रहा है। कारण सीधा सा है कि इस नववर्ष के राजा व मंत्री दोनों ही मंगल है। ऐसे में इस साल जहां हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, वहीं देवी मां की पूजा भी इस साल खास मानी जा रही है।
दरअसल इस साल पर मंगल का अधिपत्य होने के चलते उनका विशेष असर दिखने की संभावना है। वहीं मंगल के दिन यानि मंगलवार को हनुमान जी सहित देवी मां के पूजन का भी विधान है। ऐसे में जल्द ही सावन/श्रावण में देवी मां के मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं। माना जा रहा है ऐसे में देवी मां की पूजा इस साल आने वाली परेशानियों से सबकी रक्षा करेंगी।
इस संबंध में ज्योतिष के जानकार पंडित एसके पांडे के अनुसार इस साल रविवार, 25 जुलाई 2021 से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है, जो रविवार, 22 अगस्त 2021 तक चलेगा। ऐसे में श्रावण मास में आनेवाले सभी मंगलवार को मंगला गौरी माता का व्रत किया जाएगा।
Must Read- 2021 में हनुमान भक्तों को होगा खास फायदा, जानिये नए साल का हनुमान जी से संबंध
जिस तरह सावन के सोमवार भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय हैं। ठीक उसी तरह देवी मां पार्वती को सावन महीने का हर मंगलवार अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता के अनुसार सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का पूजन करने से माता पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य मिलता है।
2021 में श्रावण माह के सभी मंगलवार की तिथियां…
इस श्रावण 2021 में कुल 4 मंगलवार पड़ रहे हैं।
: श्रावण 2021 का पहला मंगलवार- 27 जुलाई को,
: श्रावण 2021 का दूसरा मंगलवार- 3 अगस्त,
: श्रावण 2021 का तीसरा मंगलवार- 10 अगस्त
: श्रावण 2021 का चौथा यानी अंतिम मंगलवार- 17 अगस्त को पड़ेगा।
मंगला गौरी व्रत से ये मिलता है आशीर्वाद…
मान्यता के अनुसार मंगला गौरी व्रत पूजन से व्रती का सौभाग्य अखंड होता है। यदि किसी के दांपत्य जीवन में कोई कष्ट होता है तो वह भी मां की कृपा से दूर हो जाता है। इसके अलावा देवी मां जीवन में सुख और शांति का आर्शीवाद देती हैं।
Must Read- चातुर्मास की पूरी अवधि में ये देवी करती हैं सृष्टि की रक्षा
यदि व्रती को संतान प्राप्ति की मनोकामना हो तो यह व्रत करने से उसकी यह भी कामना पूरी हो जाती है। देवी पार्वती भक्त से बड़ी ही जल्दी प्रसन्न हो जाती है। नियम बस इतना सा है कि व्रती पूरी श्रद्धा और निष्कपट भावना से मां का व्रत और पूजन करें।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि-
: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
: नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए या कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।
:अब मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
इसके बाद- ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’
इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
अर्थ- ऐसा माना जाता है कि मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि और मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।
: एक लकड़ी के तख्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां मंगला गौरी यानी मां पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
Must Read- सोमवार के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना नाराज हो जाएंगे शिव
प्रतिमा के सामने एक घी का आटे से बनाया हुआ दीपक जलाएं। ध्यान रहे दीपक में 16 बत्तियां लगाई जा सकें।
: इसके बाद –
‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्…।।’
यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
: पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है। (कथा के लिए यहां क्लिक करें – READ MORE )
: इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।
माता के पूजन की सामग्री
इस पूजन में षोडशोपचार में माता को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। ध्यान रखें कि इनकी संख्या 16 होनी चाहिए। इसमें फल, फूल, माला, मिठाई और सुहाग की वस्तुओं को शामिल करें। संख्या लेकिन 16 ही हो। पूजन समाप्ति के बाद आरती पढ़ें। मां से अपनी मनोकामना पूर्ति का अनुनय-विनय करें।
Must Read- मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा
यूं तो सावन का महीना भोलेनाथ का माना जाता है। लेकिन सावन के दौरान पड़ने वाले मंगलवार के दिन देवी पार्वती को भी अत्यंत प्रिय हैं। यही वजह है कि इस दिन मां गौरी का व्रत और पूजन किया जाता है और इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।
माना जाता है कि माता पार्वती को प्रसन्न करने वाले इस सरल व्रत से अखंड सुहाग और पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है। मंगला गौरी व्रत विशेष तौर पर राजस्थान,मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश,पंजाब आदि राज्यों में प्रचलित है।
साल 2021 में बेहद विशेष है मंगला गौरी व्रत, जानें क्यों?
Mangla Gauri Vrat 2021: हिंदू नववर्ष 2078 यानि वर्ष 2021-22 में विष योग को देखते हुए इस साल लोगों की रक्षा का दायित्व मंगल पर माना जा रहा है। कारण सीधा सा है कि इस नववर्ष के राजा व मंत्री दोनों ही मंगल है। ऐसे में इस साल जहां हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, वहीं देवी मां की पूजा भी इस साल खास मानी जा रही है।
दरअसल इस साल पर मंगल का अधिपत्य होने के चलते उनका विशेष असर दिखने की संभावना है। वहीं मंगल के दिन यानि मंगलवार को हनुमान जी सहित देवी मां के पूजन का भी विधान है। ऐसे में जल्द ही सावन/श्रावण में देवी मां के मंगला गौरी व्रत आ रहे हैं। माना जा रहा है ऐसे में देवी मां की पूजा इस साल आने वाली परेशानियों से सबकी रक्षा करेंगी।
इस संबंध में ज्योतिष के जानकार पंडित एसके पांडे के अनुसार इस साल रविवार, 25 जुलाई 2021 से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है, जो रविवार, 22 अगस्त 2021 तक चलेगा। ऐसे में श्रावण मास में आनेवाले सभी मंगलवार को मंगला गौरी माता का व्रत किया जाएगा।
Must Read- 2021 में हनुमान भक्तों को होगा खास फायदा, जानिये नए साल का हनुमान जी से संबंध
जिस तरह सावन के सोमवार भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय हैं। ठीक उसी तरह देवी मां पार्वती को सावन महीने का हर मंगलवार अत्यंत प्रिय हैं। मान्यता के अनुसार सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत का पूजन करने से माता पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य मिलता है।
2021 में श्रावण माह के सभी मंगलवार की तिथियां…
इस श्रावण 2021 में कुल 4 मंगलवार पड़ रहे हैं।
: श्रावण 2021 का पहला मंगलवार- 27 जुलाई को,
: श्रावण 2021 का दूसरा मंगलवार- 3 अगस्त,
: श्रावण 2021 का तीसरा मंगलवार- 10 अगस्त
: श्रावण 2021 का चौथा यानी अंतिम मंगलवार- 17 अगस्त को पड़ेगा।
मंगला गौरी व्रत से ये मिलता है आशीर्वाद…
मान्यता के अनुसार मंगला गौरी व्रत पूजन से व्रती का सौभाग्य अखंड होता है। यदि किसी के दांपत्य जीवन में कोई कष्ट होता है तो वह भी मां की कृपा से दूर हो जाता है। इसके अलावा देवी मां जीवन में सुख और शांति का आर्शीवाद देती हैं।
Must Read- चातुर्मास की पूरी अवधि में ये देवी करती हैं सृष्टि की रक्षा
यदि व्रती को संतान प्राप्ति की मनोकामना हो तो यह व्रत करने से उसकी यह भी कामना पूरी हो जाती है। देवी पार्वती भक्त से बड़ी ही जल्दी प्रसन्न हो जाती है। नियम बस इतना सा है कि व्रती पूरी श्रद्धा और निष्कपट भावना से मां का व्रत और पूजन करें।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि-
: इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
: नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे धुले हुए या कोरे (नवीन) वस्त्र धारण कर व्रत करना चाहिए।
:अब मां मंगला गौरी (पार्वतीजी) का एक चित्र अथवा प्रतिमा लें।
इसके बाद- ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।’
इस मंत्र के साथ व्रत करने का संकल्प लें।
अर्थ- ऐसा माना जाता है कि मैं अपने पति, पुत्र-पौत्रों, उनकी सौभाग्य वृद्धि और मंगला गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का संकल्प लेती हूं।
: एक लकड़ी के तख्त पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां मंगला गौरी यानी मां पार्वती की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
Must Read- सोमवार के दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना नाराज हो जाएंगे शिव
प्रतिमा के सामने एक घी का आटे से बनाया हुआ दीपक जलाएं। ध्यान रहे दीपक में 16 बत्तियां लगाई जा सकें।
: इसके बाद –
‘कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्।
नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्…।।’
यह मंत्र बोलते हुए माता मंगला गौरी का षोडशोपचार पूजन करें।
: पूजन के बाद मंगला गौरी की कथा सुनी जाती है। (कथा के लिए यहां क्लिक करें – READ MORE )
: इस व्रत में एक ही समय अन्न ग्रहण करके पूरे दिन मां पार्वती की आराधना की जाती है।
माता के पूजन की सामग्री
इस पूजन में षोडशोपचार में माता को सुहाग की सामग्री अर्पित करें। ध्यान रखें कि इनकी संख्या 16 होनी चाहिए। इसमें फल, फूल, माला, मिठाई और सुहाग की वस्तुओं को शामिल करें। संख्या लेकिन 16 ही हो। पूजन समाप्ति के बाद आरती पढ़ें। मां से अपनी मनोकामना पूर्ति का अनुनय-विनय करें।
Must Read- मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा
यूं तो सावन का महीना भोलेनाथ का माना जाता है। लेकिन सावन के दौरान पड़ने वाले मंगलवार के दिन देवी पार्वती को भी अत्यंत प्रिय हैं। यही वजह है कि इस दिन मां गौरी का व्रत और पूजन किया जाता है और इसे मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।
माना जाता है कि माता पार्वती को प्रसन्न करने वाले इस सरल व्रत से अखंड सुहाग और पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है। मंगला गौरी व्रत विशेष तौर पर राजस्थान,मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश,पंजाब आदि राज्यों में प्रचलित है।