Ghaziabad News: पुलिस के हत्थे चढ़ा 10 हजार लोगों से 50 करोड़ की ठगी करने वाला साइबर गिरोह, जानिए कैसे लगाते थे ‘चूना’

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Ghaziabad News: पुलिस के हत्थे चढ़ा 10 हजार लोगों से 50 करोड़ की ठगी करने वाला साइबर गिरोह, जानिए कैसे लगाते थे ‘चूना’

गाजियाबाद : मोबाइल पर गेम और बेटिंग (सट्टेबाजी) के साथ कमाई का ट्रेंड आजकल चर्चा में है। कई बड़ी कंपनियां इस तरह की ऐप और वेबसाइट के माध्यम से लोगों को रुपये जीतने की ऑफर दे रही हैं। आईपीएल के दौरान लोग लगातार लीग का हिस्सा बन रहे हैं। इसी का फायदा उठाकर ठगों ने लोगों को चूना लगाना शुरू कर दिया है। शातिर ठग इसी तरह के गेम में लाखों की कमाई का झांसा देकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसे ही ठगों का एक गैंग इंदिरापुरम में ऑफिस खोलकर देशभर के लोगों के अकाउंट खाली कर रहा था। इसके लिए वे एक रशियन बेटिंग साइट के नाम का इस्तेमाल कर रहे थे।

सीओ साइबर अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से 100 से ज्यादा डेबिट कार्ड, 4 लाख रुपये, 5 लैपटॉप, कार समेत अन्य सामान बरामद किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में नीरज कुमार, अवधेश कुमार और कैलाश के अलावा 5 नेपाली नागरिक प्रदीप कुमार, दीपेंद्र शर्मा, ताराकांत, सुशांत सहाय और हरिदेव शामिल हैं। गैंग लीडर रंजीत भी नेपाल का नागरिक है। वह नेपाल में बैठकर वहीं से गैंग को ऑपरेट करता है। पुलिस अब उसे गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है।

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इस तरह होती है ठगी
गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने रशियन बेटिंग साइट की तरह अपना एक वेबपेज तैयार किया था। जिसके जरिए बल्क मेसेज के माध्यम से देशभर के रेंडम नंबरों को लिंक भेजते थे। इस लिंक पर गेम के संबंध में पूरी जानकारी दी जाती थी। इसमें हिस्सा लेने के लिए 350 रुपये फीस भी थी। इसमें लोगों को क्रिकेट की फेंटेसी लीग के साथ कई प्रकार के अन्य गेम भी खिलाए जाने की बात थी। जो लोग वेबपेज पर अपनी डिटेल डालकर 350 रुपये की पेमेंट करते थे। उन्हें कुछ समय बाद वाट्सऐप या अन्य मेसेंजर पर वॉलेट का आईडी पासवर्ड दिया जाता था। शुरु में लोग जब तक 500 या 1 हजार रुपये लगाते हैं तो उन्हें गेम को जिताया जाता है, लेकिन जैसे ही लालच में आकर बड़ी रकम लगा देते हैं उनके अकाउंट को फ्रीज कर ठग सारे रुपये अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे।

130 अकाउंट में ट्रांसफर होते थे रुपये
साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि इस गैंग को अकाउंट दिलवाने का काम एमबीए पास नीरज करता था। कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद वह गैंग से जुड़ा और ठगी में उनका साथ देने लगा। अकाउंट के लिए वह फर्जी डॉक्यूमेंट के साथ ऐसे लोगों को तलाशता था तो इन अकाउंट को खुलवाने में उसका साथ दें। साथ ही कुछ अकाउंट ऐसे भी हैं जो किसी कंपनी के नाम पर खोले गए हैं। पूछताछ में ठगों ने बताया कि फर्जी कंपनियों के नाम से अकाउंट खोल रुपये उसमें ट्रांसफर किए जाते थे, जिसके बाद रुपये को विदेशी अकाउंट में भी ट्रांसफर कर दिया जाता था। पुलिस इन पूरे ट्रांजेक्शन की जांच कर रही है।

अब तक 10 हजार लोगों को बनाया शिकार

सीओ साइबर ने बताया कि प्राथमिक जांच और ठगों के पास से मिले डेटा के अनुसार वह अभी तक 10 हजार से ज्यादा लोगों से 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुके हैं। आईपीएल के दौरान वह लगातार लोगों को टारगेट कर रहे थे। इस मामले में गैंग से जुड़े अन्य लोगों की भी डिटेल निकाली जा रही है। साथ ही गैंग लीडर रंजीत के बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है।

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