Ghaziabad crime news: मॉल में ऑफिस बनाया, 8 साल में 10 हजार लोगों से की करोड़ों की ठगी, गाजियाबाद में 2 गिरफ्तार

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Ghaziabad crime news: मॉल में ऑफिस बनाया, 8 साल में 10 हजार लोगों से की करोड़ों की ठगी, गाजियाबाद में 2 गिरफ्तार

गाजियाबाद
8 वर्षों में देशभर के 10 हजार से ज्यादा लोगों को लोन के नाम पर ठगने वाले 2 बदमाशों को साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है। आरोपित लिंक रोड थाना क्षेत्र के पैसिफिक मॉल में ऑफिस लेकर लोगों को चूना लगा रहे थे। पुलिस ने उनके पास से 25 पेज डेटा, कई मोबाइल, टेलीफोन डायरेक्टरी समेत अन्य सामान बरामद किया है। सीओ साइबर सेल अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि आरोपितों के नाम राघो और शिवकुमार हैं। दोनों ग्रैजुएट हैं।

पूछताछ में उन्होंने बताया कि दोनों ने पढ़ाई के बाद बैंक और लोन ऑफिस के लिए काम किया था, जहां उन्होंने इस प्रक्रिया के बारे में समझा था। इसके बाद उन्होंने लोन के नाम ठगी शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले अपने फर्जी डॉक्युमेंट तैयार किए, जिसके आधार पर ठगी के कारोबार को शुरू किया। पूछताछ में राघो ने बताया कि दोनों ने बीते 8 सालों में ठगी की। इससे खुद पर इतना विश्वास हो गया था कि पुलिस उन्हें पकड़ ही नहीं सकती थी।

10 दिन में 10 लाख का लोन दिलवाने के नाम पर होती थी ठगी
साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि आरोपित लोन के इच्छुक लोगों को अपनी टीम से कॉल करवाता था, जिसमें उन्हें ऑनलाइन ही कम से कम पेपर के साथ 10 दिन में 10 लाख रुपये का बिजनेस लोन देने का वादा किया जाता था।

10 लाख के लोन के बदलने में लोगों से सिर्फ प्रोसेसिंग फीस ली जाती थी, जो 15 से 20 हजार रुपये के बीच में होती थी। उन्होंने बताया कि कई मामलों में पीड़ित ने कम रकम की ठगी के चलते पुलिस से शिकायत तक नहीं की है। हाल में उन्होंने कविनगर थाना क्षेत्र के युवक के साथ जनवरी में ठगी की थी। मामले में अगस्त में शिकायत आने के बाद उस पर काम किया गया तो दोनों की गिरफ्तारी हुई।

4 साल से मॉल में चल रहा था ऑफिस
आरोपित करीब 8 साल से लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। ठगी के रुपये को मार्केट में लेकर आने के लिए वह अपनी 2 फर्जी कंपनी आरएस सर्विस और आरजी मैनेजमेंट का प्रयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि पहले वह वैशाली के एक फ्लैट से ठगी करते थे। 4 साल पहले पैसिफिक मॉल में अपनी फर्जी फर्म के नाम पर ऑफिस खोला था। इस फर्म में 5-6 लड़कियां भी काम करती थीं।

अलग-अलग नाम से खुलवाए सैकड़ों
साइबर सेल के अनुसार, आरोपितों ने बीते 8 सालों में अपने ही नाम और पते बदलकर सैकड़ों बैंक खाते खुलवाए हैं। इन्हीं बैंक खातों में वह लोगों से प्रोसेसिंग फीस के रुपये डलवाया करते थे। पुलिस को उनके 25 अकाउंट की जानकारी मिली है, जिनकी डिटेल को निकाला जा रहा है। एक अकाउंट की डिटेल पुलिस को मिली है। इसमें एक साल में 60 लाख रुपये से अधिक के ट्रांजैक्शन हुए हैं।

लोन की जरूरत हो तो ये गलती न करें
-लोन के लिए वेबसाइट पर मिलने वाले किसी भी लिंक पर अपनी डिटेल को न भरें।
-लोन के लिए आने वाली कॉल को सुनने के बाद वहां बताई स्कीम के बारे में बैंक की ऑफिशियल साइट या टोल फ्री नंबर पर कॉल कर जानकारी करें।
-प्रोसेसिंग फीस डालने के लिए जो अकाउंट दिया गया है उसे जरूर चेक करें, किसी नाम वाले अकाउंट में बैंक रुपये नहीं डलवाती है।
-बैंक या फाइनैंस कंपनी से लोन मिलने की पूरी प्रक्रिया होती है, जिसमें वैरिफिकेशन भी होता है। कोई बिना इसके लोन करवाने की बात करे तो डॉक्युमेंट्स न दें।
-अनजान नंबर से आई कॉल पर बिना सोचें अपने डॉक्युमेंट्स न भेजें।
-लोन की जरूरत हो तो बैंक जाकर भी जानकारी लें।
-ठगी होने पर चाहें वह कम रुपये ही क्यों न हो पुलिस और बैंक दोनों जगहों पर शिकायत करें।

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