GDA ने 5 करोड़ में 11 जगह लगवा तो दिया सोलर प्लांट, चालू कराना भूल गए! हर महीने भर रहे हैं 20 लाख का बिजली बिल

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GDA ने 5 करोड़ में 11 जगह लगवा तो दिया सोलर प्लांट, चालू कराना भूल गए! हर महीने भर रहे हैं 20 लाख का बिजली बिल

GDA ने 5 करोड़ में 11 जगह लगवा तो दिया सोलर प्लांट, चालू कराना भूल गए! हर महीने भर रहे हैं 20 लाख का बिजली बिल

गाजियाबाद: जीडीए ने साल 2018 में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के साथ करार करके करीब 5 करोड़ रुपये खर्च करके 11 जगहों पर सोलर प्लांट लगवाए थे। दावा किया गया था कि इससे जीडीए हर साल 2 करोड़ रुपये से अधिक की बिजली की बचत करेगा। यह दावा महज दावा बनकर ही रह गया है। सोलर प्लांट लगे हुए हैं लेकिन उनसे अभी तक एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हो सका है। यदि अगर उत्पादन हो रहा है तो वह बिजली कहां जा रही है, इसकी जानकारी जीडीए के किसी अधिकारी के पास नहीं है। फिलहाल जीडीए हर महीने करीब 20 लाख रुपये के बिजली बिल का भुगतान कर रहा है।

वहीं यह मामला जब जीडीए वीसी राकेश कुमार सिंह तक पहुंचा तो उन्होंने चीफ इंजीनियर समेत सभी अधिकारियों की क्लास लगाई। फिर सिस्टम के नहीं चलने का कारण जाना तो उन्होंने तत्काल भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड को पत्र भेजने का निर्देश दिया। जीडीए की तरफ से भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड को पत्र शुक्रवार को भेजने की बात कही जा रही है। जीडीए के चीफ इंजीनियर मानवेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि इस मामले में कंपनी को पत्र भेजा जा रहा है। जिससे इन सोलर प्लांटों को चालू करवाकर बिजली विभाग के ग्रिड के साथ लिंक किया जा सके। इससे जीडीए की बिजली की बचत होगी।

ऐसे हुई गड़बड़ी

जीडीए ऑफिस के अलावा अन्य 10 जगहों पर सोलर प्लांट तो लगवा दिए गए लेकिन उनमें नेट मीटर नहीं लगाए जाने की वजह से सिस्टम अभी तक एक्टिवेट नहीं हुआ है। जीडीए के अधिकारियों की मानें तो नेट मीटर वह मीटर होता है कि जिससे सोलर प्लांट जो बिजली पैदा करता है वह सीधे बिजली विभाग के ग्रिड में चली जाती है। फिर बिजली विभाग द्वारा बिजली का जो उपयोग होता है, उसे ग्रिड में सोलर प्लांट के माध्यम से गई बिजली को माइनस कर दिया जाएगा। फिर जितनी यूनिट बिजली का प्रयोग किया गया है उतने का ही बिल का भुगतान किया जाता है। यूपीपीसीएल को कई बार नेट मीटर लगवाने का पत्र लिखा गया है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया जा सका है।

ऑफलाइन भी नहीं हुआ संचालन

खास बात यह है कि ग्रिड के साथ सोलर प्लांट का कनेक्शन नहीं हुआ तो जीडीए के बिजली अनुभाग के इंजीनियरों ने इसका ऑफलाइन भी संचालन नहीं किया। जिससे ऑफिस के लाइट और पंखे चलाने का काम भी नहीं हुआ। इसमें बैटरी सिस्टम नहीं लगा था। केवल पैनल लगा था। पैनल से बिजली पैदा होती तो सीधे ग्रिड में जाती। लेकिन सिस्टम को अभी तक लिंक नहीं किया जा सका।

बिजली विभाग का यह है कहना

यूपीपीसीएल के गाजियाबाद एरिया के चीफ इंजीनियर नीरज स्वरूप का कहना है कि नेट मीटर लगाए जाने का सिस्टम अभी दो महीने पहले ही शुरू हुआ है। जिस संस्था में सोलर प्लांट लगा है वह नेट मीटर खरीदेगा फिर उसे मेरठ के बिजली विभाग के प्लांट में टेस्ट करवाएगा। फिर उसे लगाया जाएगा। एक बार नेट मीटर लग जाएगा तो उसको ग्रिड से लिंक कर दिया जाएगा। जिस समायोजित होकर बिजली का बिल आने लगेगा।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार की है योजना

अधिकारी बताते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय हित में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्लांट लगाए जाने का फैसला किया गया था। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिली थी। इसका सबसे अधिक फायदा प्राधिकरण को मिलने का दावा किया किया था। लेकिन हालात जस के तस बने हुए है।

सोलर प्लांट लगाने के पीछे सरकार की मंशा थी कि अनवीकरणीय ऊर्जा (कोयला, नेचुरल गैस, परमाणु ऊर्जा) का कम से कम उपयोग हो। अधिक से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा (सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा) का प्रयोग किया जाए। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सब्सिडी मिलती है। जिससे अधिक से अधिक लोग इसे लगवाएं और नवीकरणीय ऊर्जा से बिजली का पैदा करें। इसलिए ही जीडीए समेत अन्य जगह पर इसे लगाया गया था। इससे बिजली की डिमांड और सप्लाई के गैप को कम किया जा सकेगा।

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