Ganga Bridge Collapse: बिहार बदनाम क्यों… पुल, रेल पटरी और रेल इंजन भी रहे हैं चोरों के निशाने पर

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Ganga Bridge Collapse: बिहार बदनाम क्यों… पुल, रेल पटरी और रेल इंजन भी रहे हैं चोरों के निशाने पर

Ganga Bridge Collapse: बिहार बदनाम क्यों… पुल, रेल पटरी और रेल इंजन भी रहे हैं चोरों के निशाने पर

Bhagalpur Bridge Collapse: बिहार में रविवार का दिन नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेरने वाला साबित हुआ। विपक्षी एकता की बैठक नीतीश को टालनी पड़ी तो गंगा पर पुल बनाने की उनकी महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फिर गया। भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा पुल भ्रष्टचार और लापरवीही की भेंट चढ़ गया।

 

हाइलाइट्स

  • पांच की बजाय नौ साल में पूरा नहीं हुआ पुल निर्माण का काम
  • तेजस्वी यादव को पहले से आशंका थी कि पुल के डिजाइन पर
  • नीतीश सरकार ने भवन निर्माण विभाग को दिए जांच के आदेश
  • नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना पर गंगा ने फेर दिया पानी
पटना: बिहार में 1710 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन पुल ढह गया। बिहार में को चूहे भी नदियों पर बने बांध कुतर देते हैं। चूहे इतना बदनाम हैं कि पुलिस थाने के मालखाने में रखी शराब भी पी जाते हैं। नहर पर बना लोहे का पुल चोरी हो जाता है। एक ही नाम वाले पति की दर्जनों पत्नियां सामने आती हैं। कोरोना कै वैक्सिन लेने नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर सीएम योगी और हेमंत सोरेन तक बिहार आते हैं। दारूबंदी का सख्त कानून बनाने वाले सीएम नीतीश के काफिले में चल रही गाड़ी में दारू पीने वाले पकड़े जाते हैं और शराब की बोतलें बरामद होती हैं। बिहार में रोजगार न मिल पाने के कारण लद्दाख से लेकर कश्मीर घाटी तक पहुंचे बिहारी मारे जाते हैं या मरते हैं। बच्चियां दरिंदगी का शिकार होती हैं तो खून पानी से भी बिहार में सस्ता है। बिहार की पहचान बताने के लिए इतना ही पर्याप्त है। ये ऐसी कड़वी बातें हैं, जो इस उपलब्धि को क्षण भर में मिट्टी में मिला देती हैं कि बिहार आईएएस-आईपीएस पैदा करने वाली फैक्टरी है। वेदांता समूह का औद्योगिक एंपायर खड़ा करने वाला आदमी बिहारी है। सेना में फाइटर प्लेन उड़ाने वाली पहली महिला बिहार की है। भ्रष्टाचार के दाग से रहित सीएम बिहार में हैं।

1710 करोड़ की लागत से बन रहा पुल ढहा

खगड़िया और भागलपुर को जोडने के लिए गंगा नदी पर 1710 करोड़ रुपये की लागत बन रहा सुल्तानगंज-अगुवानी पुल रविवार को भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ गया। चूंकि पुल अभी निर्माणाधीन था, इसलिए आवाजाही शुरू नहीं हुई थी। आवाजाही रहती तो जान-माल के नुकसान का अनुमान लगाया जा सकता है। सरकार ने इसकी जांच के आदेश भवन निर्माण विभाग को दे दिए हैं। दोषियों पर कार्रवाई की बात भी सीएम नीतीश कुमार दोहरा रहे हैं। डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ढहे पुल की संरचना और डिजाइल में ही अब खोट बता रहे हैं। विधानसभा में इस बाबात दिए अपने जवाब की कापी वे मीडिया को दिखा रहे हैं। लेकिन अब इन सबका तो कोई फायदा होने वाला है नहीं। सरकार ठेकेदार पर कार्वाई करेगी। संभव है उससे पैसे की वसूली भी हो, लेकिन जो पैसे अब तक पुलि निर्माण क नाम पर खर्च हुए हैं, वे तो कुछ समय के लिए फंस गए।

9 साल पहले नीतीश ने रखी थी आधारशिला

सीएम नीतीश कुमार ने 2014 में इस पुल की आदारशिला रखी थी। तब से अब तक आठ बार इस पुल के शुरू होने की समय सीमा लैप्स हो चुकी है। यह नौंवा मौका है, जब पुल के शुरू होने पर ग्रहण लग गया। अब यह कब तक बन कर तैयार होगा या पुल निर्माण की योजना ही बदल जाएगी, अभी बता पाना मुश्किल है। नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को पुल निर्माण कार्य का शिलान्यस किया था। पांच साल में पुल बन कर तैयार होना था। लेकिन तैयार नहीं हो पाया। फिर साल दर साल इसकी समय सीमा बढ़ती रही। पुल का अधिकांश काम पूरा हो गया था, इसलिए उम्मीद थी कि इस साल पुल जरूर चालू हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कभी सुपर स्ट्रक्चर का पाया हवा के झोंके से ढहा गया तो अब तो पुल का बड़ा हिस्सा ही गंगा में समा गया है। बताते हैं कि ठेकेदार के साथ सरकार ने जो एग्रीमेंट किया था, उसमें ससमय काम पूरा न होने पर पेनाल्टी का प्रावधान था। पता नहीं क्यों, राज्य सरकार ने ठेकेदार से पेनाल्टी वसूलने के बजाय उसे बार-बार समय सीमा बढ़ाने की छूट दे दी। विपक्ष इसमें भ्रष्टाचार की गंध ढूंढ रहा है।

बिहार में पुल और रेल पटरी की भी हुई है चोरी

बिहार में चोरों का आतंक ऐसा है कि लोहे के पुलों की चोरी सामान्य बात है। पहले रोहतास जिले में नहर पर बने लोहे के पुल की चोरी हो गई। चोर ट्रक लेकर आए। पुलि को कटर से काटा और आराम से ट्रक पर लाद कर चलते बने। गांव वालों ने भी अपनी आंखों से पुल चोरी होते देखा, पर नये पुल की प्रत्याशा में इसे सरकारी काम समझ कर किसी ने नहीं टोका। उसके बाद बांका और पूर्णिया में भी लोहे के पुल की चोरी की घटनाएं हुईं। पूर्णिया के धमदाहा थाना इलाके में कदई नदी पर बना लोहे का पुल काट कर चोर ले गए। गांव वालों ने इसलिए नहीं रोका कि नदी पर उसके बगल में ही नया पुल बन गया है।

रेल इंजन के बाद रेल पटरी भी चुरा ले गए चोर

बिहार इस कदर कुशासित प्रदेश बन गया है कि रेल इंजन, मोबाइल टावर और रेल की पटरियां तक चोर आसानी से चुरा लेते हैं। सुनने में यह थोड़ा अटपटा लगेगा, पर सच्चाई यही है। दरअसल समस्तीपुर रेल मंडल में बिना टेंडर स्क्रैप की बिक्री की गई। इसमें आरपीएफ की मदद से स्क्रैप के नाम पर रेल की पटरियां भी बेच दी गईं। लोहट चीनी मिल के लिए रेलवे ने पटरी बिछाई थी। मिल बंद होने के कारण रेल पटरी बेकार थी। उसी रेल पटरी को स्कैरप के नाम पर बेच दिया गया। इसमें रे कर्मियों की ही संलिप्तता पाई गई थी। इससे पहले रेल इंजन के चोरी की खबर बरौनी से आई थी। वहां दीवार तोड़ कर चोरों ने डीजल इंजन के 95 प्रतिशत पार्ट्स चुरा लिए थे।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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