हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिनों को देवताओं में बांटा गया है. जैसे सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है, मंगलवार के दिन हनुमानजी की पूजा की जाती है. ऐसे ही शुक्रवार के दिन संतोषी माता की पूजा भी की जाती है तथा शुक्रवार को ही संतोषी माता का व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत रखने से संतोषी माता अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं.
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि संतोषी माता भगवान शिव के पुत्र गणेश भगवान जी की पुत्री हैं. ऐसी भी मान्यता है कि संतोषी माता के व्रत करने वाले को कभी भी पैसे की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है. लेकिन संतोषी माता के व्रत को पूरी विधि के अनुसार करने से ही उसका पूरा फल भक्तों को मिलता है. इसलिए संतोषी माता के व्रत रखने से पहले उनके व्रत की पूरी विधि को अच्छे से जान लेना चाहिएं.
संतोषी माता के व्रत के लिए शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं. इसके बाद सारे घर की साफ-सफाई करनी चाहिएं. उसके बाद स्नान करना चाहिएं. स्नान करने के बाद ही संतोषी माता की पूजा शुरू करें. घर में बने पूजा घर में संतोषी माता की मूर्ति रखें तथा किसी बड़े से बर्तन में जल भरकर रखें. इसके अलावा प्रसाद के लिए गुड और चने को भी रखें. इसके बाद घी का दीपक जलाकर संतोषी माता की व्रत कथा सुननी चाहिएं. कथा सुनने के बाद गुड़ और चने का प्रसाद बांट दे तथा पानी का पूरे घर में छिड़काव करना चाहिएं.
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संतोषी माता का व्रत रखते समय सबसे बडी सावधानी यह रखनी चाहिए कि खट्टी चीजों का सेवन ना करें. इसके अलावा परिवार के सदस्य को भी व्रत के दिन खट्टी चीजों का सेवन नही करना चाहिएं.