नई दिल्ली: साल 2021 की गमियों की दोपहर थी। यह संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले का समय था। इस दौरान भारत के बड़े अंतरराष्ट्रीय बैंकों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी की ओर से ई-मेल मिला। यह ई-मेल आधा दर्जन शेयरों के डिटेल के बारे में था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिए संरक्षक और बहीखाते के रूप में कार्य करने वाले बैंकों को उन लोगों की पहचान करनी थी जो इन शेयरों को रखने वाले FPI को ‘नियंत्रित’ करते हैं। यह पता लगाने का सेबी का तरीका था कि क्या ऑफशोर फंड्स में दखल देने वाले लोग भारतीय एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध शेयरों की कीमतों में हेराफेरी करने के लिए पर्दे के पीछे काम कर रहे थे। संसद के एक सवाल का जवाब देने की हड़बड़ी में नियामक एक पुराने षड्यंत्र सिद्धांत का परीक्षण कर रहा था। जब से मनमोहन सिंह ने एफपीआई के लिए दरवाजे खोले हैं, तब से फुसफुसाहट हो रही है कि कई एफपीआई, सेबी के साथ पंजीकृत है। वहीं एफपीआई मॉरीशस में कार्यालयों में छुपकर काम कर रहे हैं। वह केवल भारतीय प्रमोटरों के सामने हैं जो शेयरों को बढ़ाने के लिए कंपनियों से पैसे वापस ले रहे हैं। यह फुसफुसाहट करीब तीन दशकों से चली आ रही है, शायद अच्छे कारणों से। देखें तो यह सेबी के लिए यह एक साधारण परीक्षा है। अगर इस खोज से अंतिम व्यक्तियों, भाइयों और उनके परिवार के लोगों के रूप में परिचित नाम सामने आए, तो यह संदेह गहराता है कि एफपीआई का पैसा अलग नहीं है।
दरअसल भारत के बाजार नियामक सेबी ने विभिन्न कस्टोडियन बैंकों से ऑफशोर फंडों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लाभार्थी मालिकों के विवरण सौंपने को कहा है। बता दें कि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अडानी समूह पर शेयरों के साथ हेरफेर करने और अनुचित कर प्रणालियों के इस्तेमाल का आरोप लगाने के बाद सेबी ने यह कदम उठाया है। हालांकि अडानी समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी समूह की सात कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली आई थी। 24 जनवरी 2023 के बाद से इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण करीब 100 अरब डॉलर घट गया था। आंकड़े से पता चलता है कि विदेशी निवेशकों ने जनवरी में 288.2 अरब रुपये के भारतीय इक्विटी शेयर बेचे। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, सेबी ने पिछले सप्ताह कस्टोडियन बैंकों (खासकर विदेशी बैंक, जो एफपीआई के पूंजी प्रवाह का प्रबंधन करते हैं) से मार्च तक इन निवेशकों से संपर्क करने और सितंबर के अंत तक उनके विवरण हासिल करने को कहा था।
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