PNB से 110Cr रुपये का फ्रॉड करने के आरोप में फंसे ये, रह चुके हैं मारुति के MD

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने मारुति उद्योग के पूर्व एमडी जगदीश खट्टर को उनकी नई कंपनी द्वारा 110 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी में के केस दर्ज किया है।

खट्टर के खिलाफ लगाए गए अन्य आरोप आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक व्यवहार हैं।

खट्टर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि कंपनी को फोरेंसिक ऑडिट में मंजूरी दे दी गई है।

जांच एजेंसी ने खट्टर, उनकी कंपनी कार्नेशन ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस कंपनी में खट्टर ने 2007 में मारुति छोड़ने के बाद शुरू किया।

पंजाब नेशनल बैंक की शिकायत के अनुसार, खट्टर ने 2009 में अपनी कंपनी, कार्नेशन ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के लिए 170 करोड़ रुपये का ऋण लिया और बाद में इसे घटाकर 110 करोड़ रुपये कर दिया गया।

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पीएनबी ने आरोप लगाया कि खट्टर ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर बैंक को धोखा दिया और कर्ज नहीं चुकाया और 30 सितंबर, 2015 को इसे गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित कर दिया।

शिकायत के अनुसार, जिस संपत्ति को खट्टर ने कर्ज लेने के लिए गिरवी रखा, उसे बाद में बैंक को बताए बिना बेच दिया गया और पैसे भी डायवर्ट कर दिए गए। बैंक ने केजी सोमानी एंड कंपनी के माध्यम से खट्टर को दिए गए ऋण का फॉरेंसिक ऑडिट किया और पता चला कि 6692.48 लाख रुपये की संपत्ति जो कि सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर है, को 455.89 लाख रुपये में बेची गई थी।

बैंक ने कहा कि खट्टर ने कथित रूप से लोन देने के नाम पर अपनी दूसरी कंपनियों में कर्ज की रकम को लगा दिया, जोकि गैरकानूनी है।

बैंक ने कहा है इस घोटाले में PNB बैंक के कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल है। उनके बिना इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं होता। कुछ बड़े अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह असंभव था।

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खट्टर एक एक पूर्व IAS अधिकारी रह चुके हैं। वह1999 में मारुति उद्योग के एमडी बने थे। 2002 में निजीकरण के बाद वह कंपनी के एमडी बने रहे। वह 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हुए और अपनी खुद की कंपनी कार्नेशन ऑटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड,जोकि एक मल्टी-ब्रांड कार की बिक्री और सेवा नेटवर्क कंपनी है, उसकी स्थापना की।

खट्टर ने बैंक के आरोपों पर कहा, “मैंने अपनी सेविंग्स कंपनी में निवेश की थी। मैं समझता हूं कि बैंक एक प्रक्रिया का पालन कर रहा है। मैंने हमेशा खुद को जाँच के लिए उपलब्ध कराया है और सभी एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करता रहूंगा। किए जा रहे दावों की फोरेंसिक ऑडिट के दौरान बहुत विस्तार से जांच की गई और हमने प्रत्येक पर संतोषजनक जवाब दिया। हमें प्रत्येक गणना पर फोरेंसिक ऑडिट में मंजूरी दी गई थी। मुझे कोई संदेह नहीं है कि एक बार जांच पूरी हो जाने के बाद सबकुछ साफ़ हो जायेगा।”