पहली ही बारिश में खुल गई सरकार की पोल

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पहली ही बारिश में खुल गई सरकार की पोल
पहली ही बारिश में खुल गई सरकार की पोल

यूपी के बुंदेलखंड के जालौन के उरई ईलाकें में पहली ही बारिश ने यूपी सरकार के गड्ढा मुक्त आभियान की पोल खोल कर रख दी। दरअसल यूपी सरकार ने जालौन में गड्ढा मुक्त अभियान चलाया था, जिसमें तकरीबन चार करोड़ रूपये लगाए गये थे। जिले में पहली ही बारिश ने अभियान में लगाए गये चार करोड़ रूपये पर पानी फेर दिया।

गड्ढा मुक्त अभियान के तहत अधिकारियों ने 751 किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की औपचारिकता तो पूरी की लेकिन गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा। गुणवत्ता का ख्याल न रखने की वजह से कई जगह से शिकायतें भी आईं थी, लेकिन अफसरों ने शिकायतों को अनसुनी कर दिया था। दरअसल, जिले में पहली बारिश से सड़कों पर डाले गये मिट्टी-गिट्टी बह गये और सड़कों पर एक बार फिर से गड्ढें हो गये। कई जगह तो हालात इतने बिगड़ गये है कि सड़कें तालाब में तब्दील हो चुकी हैं।

यूपी में बीजेपी की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़कों को गड्डा मुक्त करने के आदेश दिए थे। जिसके लिए विभाग ने 751 किलोमीटर सड़कें गड्ढा मुक्त करने में करीब 4 करोड़ रुपये खर्च किए। पंरन्तु गुणवत्ता का ध्यान कहीं नहीं दिया गया। गुणवत्ता अच्छी न होने की वजह से ही शिकायतें मिलने लगी थी, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने शिकायतों को दरकिनार करते हुए मामला पर पर्दा डालने की भरसक प्रयास किया।

आपको बता दें कि 15 जून 2017 तक सड़कें गड्ढा मुक्त करने की औपचारिकता पूरी कर ली गई। इस औपचारिकता की पोल पहली ही बारिश में खुल गई। बारिश के बाद ज्यादातर सड़कों पर फिर बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्र के हालात कैसें होगें? इसका अंदाजा जिला मुख्यालय पर ही घंटा घर रोड, जेल रोड, कालपी रोड, करमेर रोड, बस स्टैंड आदि जगहों पर गड्ढे बनने से लगाया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्र में तो सड़के तालाब में तब्दील हो गई है, जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार की पोल खुलने पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी अभियंता एपी श्रीवास्तव का कहना है कि शहर की सड़कों में जो गड्ढे हो रहे है, उन्हें जल्द सर्वे कराकर भरवा दिया जाएगा। सरकार मामलें को लेकर कितनी गंभीर है, ये तो तभी पता चलेगा जब जालौन जिले के सड़कों पर हो रहे गड्ढों को जल्द ही खत्म कर दिया जाए। बहरहाल, मामला चाहें जो कुछ भी हो, सच्चाई तो यही है कि काम की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता, तो शायद आज जालौन जिले के निवासियों को ऐसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है।