Farm law rollback: कृषि कानून की वापसी से किसे सबसे अधिक नुकसान होगा

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Farm law rollback: कृषि कानून की वापसी से किसे सबसे अधिक नुकसान होगा

हाइलाइट्स

  • संसद के आगामी शीत सत्र में कृषि कानून को वापस लेने से संबंधित प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
  • फूड प्रोसेसिंग कंपनियां अपनी विस्तार योजना पर काम कर रही थी।
  • कृषि कानून वापस होने के बाद अब उनकी योजना खटाई में पड़ सकती है।

नई दिल्ली
Farm Law Repeal: केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संसद के आगामी शीत सत्र में कृषि कानून को वापस लेने से संबंधित प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

कृषि कानून के वापस होने की वजह से फूड प्रोसेसिंग उद्योग को गहरा झटका लगा है। फूड प्रोसेसिंग कंपनियां अपनी विस्तार योजना पर काम कर रही थी। कृषि कानून लागू होने के बाद उन्हें अपनी लागत कम होने की उम्मीद थी, अब उनकी योजना खटाई में पड़ सकती है।

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अडानी विल्मर ने कहा

देश की सबसे बड़ी पैकेज और ब्रांडेड एडिबल ऑयल कंपनी अदानी विल्मर के अंशु मलिक ने कहा, “कृषि कानून छोटे और बड़े किसानों के लिहाज से अच्छा था और फूड प्रोसेसिंग कंपनियों के लिए भी बढ़िया था। अब जब कृषि कानून को वापस ले लिया गया है तो इससे हमारी उम्मीदों को काफी झटका लगा है।” मलिक ने कहा, “भारत के कृषि कानून में सुधार की जरूरत थी। दुनिया की बदलती परिस्थितियों के हिसाब से कृषि कानूनों में भी बदलाव किया जाना चाहिए था। ” अदानी विल्मर फार्च्यून ब्रांड के नाम से खाद्य तेल, चावल, दाल आदि बेचती है।

प्रोसेस्ड फूड कारोबार को झटका

भारत का प्रोसैस्ड फूड कारोबार 2.6 लाख करोड़ रुपये का है। कृषि कानून लागू होने के बाद बड़ी कंपनियां सीधे किसानों से कृषि उपज खरीदने की योजना बना रही थी। कृषि कानून वापस होने के बाद अब उनकी योजना को झटका लगा है। भारत में कामकाज कर रही फूड प्रोसेसिंग कंपनियां प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का फायदा उठाने के लिए 11000 करोड़ रुपये की सरकारी स्कीम पर भी काम कर रही थी, अब इस तरह की योजना भी खटाई में पड़ सकती है। नेस्ले,आईटीसी, पार्ले प्रोडक्ट्स, ब्रिटानिया, एचयूएल, अमूल, अडानी विल्मर, पेप्सीको और मैरिको जैसी कंपनियां भारत के प्रोसैस्ड फूड मार्केट में बड़े नामों में शामिल हैं।

उद्योग की बढ़ेगी लागत
ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुबोध जिंदल ने कहा, “कृषि कानून वापस होने की वजह से अब उद्योग जगत के लिए लागत बढ़ जाएगी। कुछ राज्यों में नियामक की वजह से परेशानी भी सामने आ सकती हैं।” अगर कृषि कानून लागू हो जाता तो किसानों के पास यह सुविधा होती कि वे अपनी कृषि उपज सीधे बड़ी कंपनियों को बेच सकते थे। इससे कंपनियों को सीधे किसानों से कृषि उपज खरीदने की सुविधा मिलती और वह मंडी जाने से बच जाती जिससे उनके खर्च में कमी आ जाती।

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