Fake Remedisivir Injection Case: शुरूआती जांच में हुई चूक पड़ रही महंगी

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Fake Remedisivir Injection Case: शुरूआती जांच में हुई चूक पड़ रही महंगी

-Fake Remedisivir Injection Case: सिटी हॉस्पिटल के निदेशक मोखा की गिरफ्तारी के वक्त ही हुई थी चूक
– हॉस्पिटल से मोखा का मोबाइल जब्त न करना बड़ी चूक
-पत्रिका ने 15 मई की न्यूज में जताई थी चूक की आशंका
-अब मोबाइल नष्ट होने से छिपे कई रहस्य

जबलपुर. Fake Remedisivir Injection Case की जांच में अब सिटी हॉस्पिटल के निदेशक सरबजीत सिंह मोखा का मोबाइल न मिलना पुलिस व एसआईटी टीम के लिए सिरदर्द बन गया है। पुलिस और एसआईटी टीम का कहना है कि मोखा ने मोबाइल नष्ट कर दिए, जबकि मोखा का कहना है कि उसका मोबाइल गिरफ्तारी के वक्त अस्पताल में ही छूट गया था। जो भी हो पर मोखा के मोबाइल से इस पूरे केस से जुड़े कई राज खुल सकते थे, कई सफेदपोश के नाम उजागर हो सकते थे। लेकिन यह मौका पुलिस व एसआईटी के हाथ से निकल चुका है। कहा जा रहा है कि और तो और इसमें कहीं न कहीं पुलिस और एसआईटी टीम भी जिम्मेदार है, उसकी छोटी से चूक से बड़ा साक्ष्य हाथ से निकल गया है। बता दें कि पत्रिका ने 15 मई के अंक में ही मोखा के मोबाइल को जब्त करने में हुई चूक का अंदेशा जताया था।

दरअसल एसआईटी टीम सिटी हॉस्पिटल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने वाले पीड़ितों और उनके परिवार के लोगों से पूछताछ कर रही थी। अस्पताल की मैनेजेर सोनिया खत्री व सीनियर मैनेजर अभिषेक चक्रवर्ती को तलब किया था उसी वक्त वह अस्पताल से मोखा का वो मोबाइल हासिल करने से चूक गई। जब उसे इस गलती का एहसास हुआ तब तक मोखा जेल जा चुका था। तब ये जानकारी मिली थी कि सरबजीत का मोबाइल उसकी पत्नी के कब्जे में चला गया था। अब ये कयासल लगाया जा रहा है कि जब सरबजीत की पत्नी ने अपने घर में रखी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की सीसियों को नष्ट कराया उसी वक्त पति के मोबाइल को भी नष्ट करा दिया होगा।

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शुरूआती दौर में ही यह भी बताया गया था कि जब सरबजीत पुलिस से बचने के लिए लापता हुआ तभी उसका मोबाइल अस्पताल में छूट गया था और उसे जब याद आया तो उसने दूसरे मोबाइल से मैनेजर सोनिया खत्री को फोन कर मोबाइल अपने कब्जे में लेने को कहा था, लेकिन इस संबंध में तब सोनिया ने कहा था कि वह सरबजीत का मोबाइल कब्जे में लेना भूल गई। ऐसे में तभी यह सवाला खड़ा हुआ कि सरबजीत मोबाइल ले नहीं गया, सोनिया ने उसे अपने कब्जे में लिया नहीं तो वह मोबाइल गया कहां?

अब उस मोबाइल का न मिलना पुलिस व एसआईटी के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया है। पांच दिन के रिमांड पर भी एसआईटी व पुलिस सरबजीत से यह नहीं पता कर सकी कि उसका मोबाइल कहां है? अगर उसे नष्ट किया गया है तो यह काम किसने और क्यों किया? उधर सरबजीत इस प्रकरण में लगातार यही कह कहा है कि उसका मोबाइल गायब हो गया, जबकि गिरफ्तारी के वक्त तक उसका मोबाइल आईसीयू में था।

सूत्र बताते हैं कि उन मोबाइलों में उन रसूखदारों की कॉल-एसएमएस डिटेल थी, जिन्होंने आरोपियों सरबजीत सिंह मोखा और हरकरण मोखा की नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को नष्ट करने में मदद की। सूत्रों की मानें तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप इंदौर से जबलपुर जल्दी पहुंचाने के लिए किसी बड़े सफेदपोश ने सरबजीत सिंह मोखा की मदद की थी। इसके बाद जैसे ही सरबजीत को इन इंजेक्शन के नकली होने का पता चता तो उसने शहर के कई जिम्मेदार और कद्दावर चेहरों को इसकी जानकारी दी। इन सभी ने उसे इन नकली इंजक्शन को नष्ट करने की सलाह दी थी। लेकिन इन सवालों के जवाब में पुलिस अब इंकार कर रही है। पुलिस का कहना है कि उसे ऐसी कोई जानकारी नहीं है।

अब आईसीयू बेड से मोखा का मोबाइल गायब होने का तर्क लोगों के गले नहीं उतर रहा है। सूत्रों की मानें तो मोबाइल की मदद से मोखा इस केस को प्रभावित करने की कोशिश बाद में कर सकता है। दरअसल, मोखा लोंगों की बातचीत रिकॉर्ड करता था। वहीं, उसके मोबाइल से भेजे गए मैसेज और डिलीट डाटा भी मिलने पर रिकवर हो सकता था।

इस बीच एसआईटी ने सिटी अस्पताल कर्मचारी देवेश, मैनेजर सोनिया खत्री, मोखा की पत्नी जसमीत, राकेश के छह मोबाइल का डिलीट हुआ डाटा रिकवर कराने भोपाल भेजा था उसकी रिपोर्ट दो दिन में एसआईटी को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे ये पता चलेगा कि उक्त डिलीट डाटा में आरोपियों ने कौन से राज छुपाए थे?

एसआईटी ने देवेश, सोनिया व जसमीत से जब्त नकली रेमडेसिविर के वायल और मोखा के प्लाट व नाले से जब्त टूटे वायल के कांच को सागर एफएसएल भेज रही है, ताकि यह पता चल सकेकि साबुत वायल और टूटे वायल की कांच एक जैसी है। एफएसएल की यह रिपोर्ट इस केस में वैज्ञानिक साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत करने में मदद देगी।



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