Fake Remdesivir Injection Case में नया और बड़ा खुलासा, जान कर चौंक जाएंगे
-Fake Remdesivir Injection Case: जांच में जुटी एसटीएफ
जबलपुर. Fake Remdesivir Injection Case में नया खुलासा हुआ है। यह बहुत चौंकाने वाला है। ऐसा लगने लगा है कि इस पूरे खेल में महज 7-8 नहीं बल्कि पूरी फौज काम कर रही थी। लेकिन अब जैसे-जैसे पुलिस व एसटीएफ की जांच आगे बढ़ रही है, सारे मामले परत-दर-परत प्याज के छिलकों की तरह खुलते जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक एसटीएफ के हाथ ऐसे साक्ष्य लगे हैं जिसे जान कर लोग चकित हैं। बताया जा रहा है कि विक्टोरिया जिला अस्पताल से जब्त दस्तावेजों की जांच में एक ऐसा लाभार्थी मिला है जिसने एसटीफ से बातचीत में बताया कि वह तो कभी जबलपुर गया ही नहीं। जानकारी के अनुसार वह कोरबा,छत्तीसगढ का रहने वाला है। इतना ही नहीं उसने यह भी बताया कि उसे कोरोना संक्रमण हुआ ही नहीं। मगर उसके नाम से जबलपुर जिला अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी किया गया है। ऐसे में जब वह संक्रमित हुआ ही नहीं तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की भला उसे क्या जरूरत?
दरअसल एसटीएफ की पड़ताल में पता चला है कि विक्टोरिया अस्पताल के स्टोर रूम से सारे इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज की डिमांड पर्ची और आधार कार्ड की फोटो प्रति के आधार पर एक ही व्यक्ति ने निकाले हैं। बावजूद इसके स्टोर रूम और रेमडेसिविर इंजेक्शन के आवंटन से जुड़े लोगों ने क्रास चेक करना जरूरी नहीं समझा। फिलहाल एसटीएफ ने पूरा आवंटन रजिस्टर जब्त कर लिया है। इसमें दर्ज आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से एक-एक रेमडेसिविर इंजेक्शन अनुदान पर लेने वालों का वैरिफिकेशन किया जा रहा है। इस खेल में शामिल आरोपियों ने बड़ी ही चालाकी से रजिस्टर में भी फर्जीवाड़ा किया है। कई ऐसे मामले मिले हैं जिनमें पूरा आधार नंबर ही नहीं है। ऐसे ही मोबाइल नंबर भी कई में नौ अंक के ही दर्ज हैं।
एसटीएफ की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि कई स्वस्थ लोगों के नाम पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किया गया है। इनका मोबाइल नंबर औ आधार कार्ड का प्रयोग कर इंजेक्शन विक्टोरिया अस्पताल में ये दर्शा कर निकाले गए कि ये मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती हैं। इस तरह के लोग भी सामने आए हैं, जो मेडिकल में दूसरी बीमारियों से भर्ती थे, उन्हें भी कोरोना मरीज बता कर उनके नाम से इंजेक्शन निकलवा लिए गए। एसटीएफ अब ऐसे लोगों को एक-एक कर बयान दर्ज कराने बुला रही है। कुछ को एसटीएफ गवाह भी बनाने की तैयारी में है।
“रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में नया खुलासा हुआ है। विक्टोरिया अस्पताल से जब्त दस्तावेजों की जांच में एक कोरबा का लाभार्थी मिला। उसने बताया कि वह कभी जबलपुर आया ही नहीं और न ही उसे कोविड हुआ था। फिर रेमडेसिविर इंजेक्शन क्यों निकलवाएगा। इसी तरह और भी दूसरे लोगों के नाम इंजेक्शन निकलवाए गए, जो कोविड पेशेंट नहीं थे।”-नीरज सोनी, एसपी एसटीएफ जबलपुर
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-Fake Remdesivir Injection Case: जांच में जुटी एसटीएफ
जबलपुर. Fake Remdesivir Injection Case में नया खुलासा हुआ है। यह बहुत चौंकाने वाला है। ऐसा लगने लगा है कि इस पूरे खेल में महज 7-8 नहीं बल्कि पूरी फौज काम कर रही थी। लेकिन अब जैसे-जैसे पुलिस व एसटीएफ की जांच आगे बढ़ रही है, सारे मामले परत-दर-परत प्याज के छिलकों की तरह खुलते जा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक एसटीएफ के हाथ ऐसे साक्ष्य लगे हैं जिसे जान कर लोग चकित हैं। बताया जा रहा है कि विक्टोरिया जिला अस्पताल से जब्त दस्तावेजों की जांच में एक ऐसा लाभार्थी मिला है जिसने एसटीफ से बातचीत में बताया कि वह तो कभी जबलपुर गया ही नहीं। जानकारी के अनुसार वह कोरबा,छत्तीसगढ का रहने वाला है। इतना ही नहीं उसने यह भी बताया कि उसे कोरोना संक्रमण हुआ ही नहीं। मगर उसके नाम से जबलपुर जिला अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी किया गया है। ऐसे में जब वह संक्रमित हुआ ही नहीं तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की भला उसे क्या जरूरत?
दरअसल एसटीएफ की पड़ताल में पता चला है कि विक्टोरिया अस्पताल के स्टोर रूम से सारे इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज की डिमांड पर्ची और आधार कार्ड की फोटो प्रति के आधार पर एक ही व्यक्ति ने निकाले हैं। बावजूद इसके स्टोर रूम और रेमडेसिविर इंजेक्शन के आवंटन से जुड़े लोगों ने क्रास चेक करना जरूरी नहीं समझा। फिलहाल एसटीएफ ने पूरा आवंटन रजिस्टर जब्त कर लिया है। इसमें दर्ज आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से एक-एक रेमडेसिविर इंजेक्शन अनुदान पर लेने वालों का वैरिफिकेशन किया जा रहा है। इस खेल में शामिल आरोपियों ने बड़ी ही चालाकी से रजिस्टर में भी फर्जीवाड़ा किया है। कई ऐसे मामले मिले हैं जिनमें पूरा आधार नंबर ही नहीं है। ऐसे ही मोबाइल नंबर भी कई में नौ अंक के ही दर्ज हैं।
एसटीएफ की जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि कई स्वस्थ लोगों के नाम पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किया गया है। इनका मोबाइल नंबर औ आधार कार्ड का प्रयोग कर इंजेक्शन विक्टोरिया अस्पताल में ये दर्शा कर निकाले गए कि ये मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती हैं। इस तरह के लोग भी सामने आए हैं, जो मेडिकल में दूसरी बीमारियों से भर्ती थे, उन्हें भी कोरोना मरीज बता कर उनके नाम से इंजेक्शन निकलवा लिए गए। एसटीएफ अब ऐसे लोगों को एक-एक कर बयान दर्ज कराने बुला रही है। कुछ को एसटीएफ गवाह भी बनाने की तैयारी में है।
“रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में नया खुलासा हुआ है। विक्टोरिया अस्पताल से जब्त दस्तावेजों की जांच में एक कोरबा का लाभार्थी मिला। उसने बताया कि वह कभी जबलपुर आया ही नहीं और न ही उसे कोविड हुआ था। फिर रेमडेसिविर इंजेक्शन क्यों निकलवाएगा। इसी तरह और भी दूसरे लोगों के नाम इंजेक्शन निकलवाए गए, जो कोविड पेशेंट नहीं थे।”-नीरज सोनी, एसपी एसटीएफ जबलपुर
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