Explainer: विधानसभा का सत्र बुलाने पर राज्यपाल कोश्यारी और सीएम उद्धव में टकराव, जानिए क्या कहता है संविधान

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Explainer: विधानसभा का सत्र बुलाने पर राज्यपाल कोश्यारी और सीएम उद्धव में टकराव, जानिए क्या कहता है संविधान

हाइलाइट्स

  • मुख्यमंत्री को विशेष सत्र बुलाने के लिए नहीं कह सकते हैं राज्यपाल
  • विधानसभा सत्र बुलाने की मांग मंत्रिमंडल कर सकता है
  • राज्यपाल राज्य की समस्या को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं
  • संविधान किसी भी राज्य के गवर्नर को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं

मुंबई
महाराष्ट्र में एक बार फिर से ठाकरे सरकार (Uddhav Thackeray Government) और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari ) महिला सुरक्षा के मुद्दे को लेकर आमने सामने आ चुके हैं। मुंबई के साकीनाका रेप केस के बाद महाराष्ट्र में महिलाओं की सुरक्षा (Women Security Issue) को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखकर विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र (Special Assembly Session ) बुलाने की मांग की है। राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र बीजेपी की महिला विधायकों ने यह मांग की है।

हालांकि गवर्नर के पत्र के जवाब में मुख्यमंत्री ने भी उन्हें चार पन्नों का लम्बा चौड़ा खत (Uddhav Thackeray Letter to Governor) भेजा है। जिसमें खुद सीएम ने आग्रह किया है कि रेप सिर्फ (Mumbai)मुंबई, महाराष्ट्र की समस्या नहीं है बल्कि पूरे देश की समस्या है। ऐसे वे पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में संसद का चार दिवसीय सत्र बुलवाने की मांग करें। उसी समय साकीनाका रेप केस (Sakinaka Rape Case) पर भी चर्चा हो जाएगी।

हालांकि यह टकराव कोई पहली बार नहीं हुआ है, इसके पहले भी उद्धव ठाकरे और राज्यपाल मंदिर और 12 विधायकों की सूची के मुद्दे पर आमने- सामने आ चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राज्यपाल इस तरह से सीएम को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए कह सकते हैं? आखिर क्या हैं राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियां?

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए नहीं कह सकते हैं
राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों के बारे जानने की एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने संविधान के जानकार डॉ. सुरेश माने से बातचीत की। जिस पर माने ने स्पष्ट रूप से कहा कि विधानसभा का सत्र मंत्रिमंडल और विधानसभा अध्यक्ष की सहमति और मांग पर बुलाया जाता है। राज्यपाल किसी सीएम को इस तरह से विशेष सत्र बुलाने के लिए नहीं कह सकते हैं। यह अधिकार राज्य मंत्रिमंडल का होता है।

दूसरी बात – विधानसभा सत्र के बीच में 6 महीने का अंतर होना जरुरी होता है। हाल में महाराष्ट्र सरकार का दो दिवसीय मानसून सत्र आयोजित हुआ था। कोरोना महामारी की वजह से यह सत्र सिर्फ दो दिन का रखा गया था।

तीसरी बात – राज्यपाल राज्य में किसी भी जनसामान्य के मुद्दे पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं और पत्र भी लिख सकते हैं। हालांकि वे मुख्यमंत्री या राज्य सरकार को विशेष सत्र बुलाने का आदेश नहीं दे सकते हैं।

चौथी बात– संविधान ने किसी भी राज्य के गवर्नर को कुछ विशेषाधिकार दिए हैं। जैसे विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद किस दल को सरकार बनाने के लिए पहले आमंत्रित करना है। राज्य के विकास मंडल पर टिप्पणी का अधिकार, राज्य की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करने का अधिकार आदि।

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