Gurugram Corona News: कोरोना से दम तोड़ने वाला हर दूसरा शख्स 21 से 40 की उम्र का, गुरुग्राम में युवाओं की अधिक मौत
हाइलाइट्स:
- गुरुग्राम में अप्रैल 1 से 10 मई के बीच 235 लोगों की कोरोना की वजह से जान गई
- पहली लहर और दूसरी लहर में अब तक 599 लोगों की इस बीमारी से जान गई
- 235 लोगों की इस दौरान जान गई उसमें 140 पुरुष और 95 महिलाएं
गुरुग्राम
दूसरी लहर में इस बार कोरोना ने यंग लोगों को अधिक निशाना बनाया है। दिल्ली से सटे गुरुग्राम के आंकड़े इस मामले में काफी चौंकाने वाले हैं। अप्रैल 1 से 10 मई के बीच में कोरोना से दम तोड़ने वाले मरीजों में हर दूसरा शख्स 21 से 40 आयु वर्ग के बीच का है।
50 फीसदी जान गंवाने वाले 21 से 40 साल के बीच
स्वास्थ्य विभाग की ओर से आंकड़े सामने आए हैं उसमें गुरुग्राम में अप्रैल 1 से 10 मई के बीच कुल 235 लोगों की कोरोना की वजह से जान चली गई। पिछले साल यानी जब कोरोना की पहली लहर आई थी और उसके बाद दूसरी लहर में अब तक कुल मिलाकर 599 लोगों की इस बीमारी से जान चली गई है। अप्रैल से 10 मई के बीच इस साल की संख्या को देखा जाए तो कुल होने वाली मौतों का यह 40 प्रतिशत है।
जिन 235 लोगों की कोरोना से जान चली गई है उसमें 117 लोग 21-40 आयु वर्ग के बीच के हैं। यानी 50 फीसदी इस आयु वर्ग के हैं। गुरुग्राम के डॉक्टरों का कहना है कि देर से मरीजों की भर्ती, टाइम पर इलाज शुरू न हो पाना, जरूरी दवाओं का समय पर नहीं मिल पाना और पहले से कोई बीमारी होने की वजह इनके जान जाने का कारण बनी।
दूसरे आयु वर्ग के मरीजों का हाल
अप्रैल 1 से 10 मई के बीच 51 से 60 आयु वर्ग के बीच के 20 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई। 61 से 70 के बीच 19 लोगों ने दम तोड़ दिया। 71 से 80 साल के बीच 14 कोरोना पॉजिटिव लोगों की जान चली गई। 81 से 90 के बीच 4 और 91 से 100 साल के बीच 3 कोरोना मरीजों की जान गई। साथ ही इस दौरान दस बच्चों की भी जान कोरोना से चली गई जिनकी उम्र दस साल से कम थी।
डॉक्टरों का यह भी कहना है कि इस आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन न लग पाने की वजह से संक्रमण की दर अधिक थी। जिन 235 लोगों की कोरोना की वजह से इस दौरान जान गई उसमें 140 पुरुष और 95 महिलाएं थी।
डॉक्टरों का क्या है कहना
डॉ. शिबा कल्याण बिस्वाल,पलमनॉलजिस्ट (फेफड़ों, सांस विशेषज्ञ) का कहना है कि पिछली लहर के दौरान इस आयु वर्ग के बीच वाले लोग कम संक्रमित हुए थे। कई केस में ऐसा भी देखने में आया कि इलाज देर से शुरू हुआ। कोरोना का संक्रमण हर आयु वर्ग के लिए खतरनाक है।
मेदांता की डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट की वजह से संक्रमण की रफ्तार तेज हुई। कई मरीजों की जान भी इस वजह से चली गई। उन्होंने कहा कि युवाओं की जो संख्या अधिक है उसके पीछे एक बड़ी वजह जरूरी दवाओं की कमी और समय पर हॉस्पिटल में एडमिट न होने की वजह से भी ऐसा हुआ।
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