Divorce: गुस्से में 8 सालों से पत्नी नहीं पहन रही थी मंगलसूत्र, कोर्ट ने दे डाला ये आदेश | Divorce: 510 cases reached Lok Adalat, in 27 cases husband and wife are ready to live together. | News 4 Social

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Divorce: गुस्से में 8 सालों से पत्नी नहीं पहन रही थी मंगलसूत्र, कोर्ट ने दे डाला ये आदेश | Divorce: 510 cases reached Lok Adalat, in 27 cases husband and wife are ready to live together. | News 4 Social

Divorce: गुस्से में 8 सालों से पत्नी नहीं पहन रही थी मंगलसूत्र, कोर्ट ने दे डाला ये आदेश | Divorce: 510 cases reached Lok Adalat, in 27 cases husband and wife are ready to live together. | News 4 Social

कोर्ट परिसर में ही एक-दूजे को वरमाला पहनाई। नाजिर राकेश गुप्ता ने बताया, प्रधान न्यायाधीश एनपी सिंह, प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश संगीता मदान, द्वितीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश भागवत प्रसाद पांडे, तृतीय अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश माया विश्वलाल और अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश प्रवीणा व्यास ने लोक अदालत का शुभारंभ किया। इस दौरान अधिवक्ता प्रमोद जोशी, जितेन्द्र सिंह ठाकुर, प्रीति मेहना, विजय राठौर, प्रणय शर्मा व अन्य स्टॉफ मौजूद रहा।

इस तरह पति-पत्नी के विवाद की कराई सुलह

केस 1- कोर्ट के आदेश पर पत्नी ने पहना मंगलसूत्र

प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय संगीता मदान की कोर्ट में आंबेडकर नगर निवासी सोनाली (परिवर्तित नाम) व पति चिंतन (परिवर्तित नाम) का केस पहुंचा। दोनों लगभग आठ वर्ष से अलग रह रहे थे। विवाद बेटे के जन्म के बाद भी नहीं थमा। 2019 में तलाक के लिए केस कुटुंब न्यायालय पहुंचा। कोर्ट में पति ने बताया, पत्नी सुहाग का चिह्न (मंगलसूत्र) नहीं पहनती है। लोक अदालत में दोनों को समझाया गया। इसके बाद बेटे के भविष्य को देखते हुए दोनों साथ रहने को तैयार हुए। न्यायालय ने पत्नी को सुहाग चिह्न पहनकर आने को कहा। पत्नी मंगलसूत्र पहनकर आई। इसके बाद दोनों को खुशी-खुशी विदा किया। प्रकरण में अधिवक्ता राहुल विजयवर्गीय ने पैरवी की।

केस 2- पति ने मानी गलती, पत्नी ने छोड़ा गुस्सा

प्रथम अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय संगीता मदान की कोर्ट में मुसाखेड़ी निवासी सोनिया (परिवर्तित नाम) व रिंगरोड निवासी राजेश (परिवर्तित का केस पहुंचा। दोनों का विवाह 2019 में हुआ था। पत्नी ने दहेज को लेकर परेशान करने का केस लगाया था। विवाद होने पर बच्चे की देखरेख में परेशानी आने लगी, जिसके कारण पत्नी पुत्र सहित मायके चली गई। 2022 में पत्नी ने भरण-पोषण का प्रकरण प्रस्तुत कर दिया तथा केस चलने लगा। न्यायालय में बातचीत से पति को गलती का अहसास हुआ। दोनों पक्ष लोक अदालत में आए व प्रकरण समाप्त किया। पैरवी अधिवक्ता मीना ने की।

केस 3 – 15 साल पुराने विवाद में हुई सुलह

रजनी (परिवर्तित नाम) व तेज सिंह (परिवर्तित नाम) का विवाह 2002 में हुआ था। इनका एक आठ वर्ष का पुत्र भी है। पति-पत्नी 15 वर्ष से अलग रह रहे थे व भरण-पोषण का विवाद चलता रहा। जब न्यायालय ने समझाइश दी तो पति को भी जिम्मेदारी का अहसास हुआ। पुत्र की शिक्षा व भविष्य को देखते हुए पति ने माफी मांगी, जिसके बाद पत्नी साथ रहने को तैयार हो गई।

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