Digital Emergency : राजस्थान सरकार ने 10 साल में 85 बार इंटरनेट बंद किया

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Digital Emergency : राजस्थान सरकार ने 10 साल में 85 बार इंटरनेट बंद किया

Digital Emergency : राजस्थान सरकार ने 10 साल में 85 बार इंटरनेट बंद किया

जयपुर : पिछले 10 साल में 85 बार इंटरनेट सेवाएं बंद करने को ‘राजस्थान में डिजिटल इमरजेंसी’ करार दिया जा रहा है। उदयपुर में 28 जून को कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के बाद गहलोत सरकार ने पूरे राजस्थान में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया था। राजस्थान ने पिछले एक दशक में लगभग 85 बार इंटरनेट निलंबन देखा है। कानून और व्यवस्था के मुद्दों पर नेट सेवा को निलंबित करने की बात आती है तो जम्मू और कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर है।
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लोग झेल रहे हर जगह परेशानी
राज्य में इंटरनेट बंद होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। न तो वे कैब बुक कर सकते हैं और न ही ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। साथ ही ऑनलाइन पेमेंट करना भी एक चुनौती बन गया है। बी. टेक प्रथम वर्ष के छात्र अथर्व कहते हैं, ‘हम इस डिजिटल आपातकाल (‘नेटबंदी’) के अभ्यस्त हो गए हैं। भारी बारिश के बीच कॉलेज जाना चुनौती है। सड़कों पर पानी भर गया है और हम कैब भी बुक नहीं कर सकते हैं।’ अथर्व के दोस्त अपूर्व ने कहा, ‘अप्रैल में रामनवमी पर करौली में तनाव पैदा हुआ तो मध्य प्रदेश में झड़पें हुईं। वहां कर्फ्यू लगा लेकिन, एमपी सरकार ने नेट सेवाओं को निलंबित नहीं किया।’ जयपुर के एक अन्य निवासी ने कहा, ‘मेरे फोन की स्क्रीन क्षतिग्रस्त हो गई। सर्विस सेंटर वालों ने 19,000 रुपये मांगे। चूंकि इंटरनेट काम नहीं कर रहा था इसलिए मुझे एटीएम में जाना पड़ा, जहां लंबी कतारें थीं। मेरी बारी आई तो कैश खत्म हो चुका था। अब मैं बिना फोन के मैनेज कर रहा हूं।’
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सोशल मीडिया एप ब्लॉक करें इंटरनेट नहीं
अधिकारियों का कहना है कि इंटरनेट सेवाओं को बंद करने से अफवाहें फैलना बंद हो जाएंगी। हालांकि, लोग कह रहे हैं कि सरकार ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप को ब्लॉक करने के बजाय इंटरनेट क्यों बंद कर रही है। व्यवसायी मुक्ता ने कहा, ‘अफवाह फैलाने वाले ब्रॉडबैंड कनेक्शन की मदद से जहर उगल रहे हैं। राज्य सरकार को इंटरनेट सेवाओं को मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान करने पर विचार करना चाहिए। उसे जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को पढ़ना चाहिए, जिसमें कहा गया था कि ‘इंटरनेट संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लोगों का मौलिक अधिकार है।’ हालांकि, राज्य के गृहमंत्री राजेंद्र यादव ने कहा, ‘अफवाह फैलने से रोकने के लिए ‘नेटबंदी’ के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।’

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