Delhi Snooping Case: फीडबैक यूनिट मामले में मनीष सिसोदिया पर केस चलाने की मंज़ूरी

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Delhi Snooping Case: फीडबैक यूनिट मामले में मनीष सिसोदिया पर केस चलाने की मंज़ूरी

Delhi Snooping Case: फीडबैक यूनिट मामले में मनीष सिसोदिया पर केस चलाने की मंज़ूरी


विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट (FBU) स्नूपिंग मामले में सीबीआई को उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इसी महीने की शुरुआत में उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने अभियोजन की स्वीकृति के लिए सीबीआई की तरफ से किए गए अनुरोध को मंजूरी देकर फाइल गृह मंत्रालय के पास भेजी थी। सीबीआई ने सिसोदिया के खिलाफ नियमित केस दर्ज करके जांच शुरू करने की अनुमति एलजी से मांगी थी। उसी के बाद बुधवार को यह जानकारी सामने आई कि गृह मंत्रालय ने भी सीबीआई को सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई करने के लिए मंजूरी दे दी है।

माना जा रहा है कि इससे मनीष सिसोदिया के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सीबीआई ने पहले ही एक्साइज पॉलिसी मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज कर रखा है। रविवार को उन्हें इस केस में पूछताछ के लिए सीबीआई हेडक्वॉर्टर भी बुलाया गया है। हालांकि, मनीष सिसोदिया पहले ही जासूसी के आरोपों से इनकार कर चुके हैं। गृह मंत्रालय की अनुमति पर भी प्रतिक्रिया देते हुए अपने ट्वीट में उन्होंने यही कहा कि ‘अपने प्रतिद्वंद्वियों पर झूठे केस करना एक कमजोर और कायर इंसान की निशानी है। जैसे-जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी, हम पर ऐसे और भी बहुत केस किए जाएंगे।’

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सीबीआई को जिस मामले में सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मिली है, वह 2015 का है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद सतर्कता विभाग के तहत फीडबैक यूनिट बनाई गई थी। सिसोदिया इस विभाग के मुखिया थे। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों, विपक्षी राजनीतिक दलों और तमाम सरकारी विभागों की खुफिया निगरानी करने और उनसे जुड़ी सूचनाएं और जानकारियां जुटाने के लिए इस यूनिट का इस्तेमाल किया था। सीबीआई ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में इस यूनिट के गठन और इसके कामकाज से लेकर यूनिट के संचालन के लिए किए गए सरकारी खर्च पर भी कई सवाल खड़े किए थे। खुद दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप है कि वैसे तो यह यूनिट सतर्कता विभाग के तहत बनाई गई थी, लेकिन यूनिट के अधिकारी विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव को रिपोर्ट करने के बजाय सीधे सीएम ऑफिस को रिपोर्ट कर रहे थे।

सीबीआई की रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यह यूनिट करीब 8 महीने तक सक्रिय रही और इस दौरान इसने करीब 700 मामलों की पड़ताल की। आरोप है कि उनमें से 60 पर्सेंट मामले राजनीतिक थे और उनका विजिलेंस विभाग से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं था। यूनिट के लिए आबंटित किए गए सीक्रेट सर्विस फंड के हिसाब किताब में भी कई गड़बड़ियों का आरोप लगा था। सीबीआई ने विस्तृत जांच की जरूरत बताते हुए एलजी से सिसोदिया के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी। इस पर पहले एलजी ने और अब गृह मंत्रालय ने मंजूरी दी है।

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