Delhi LG vs Kejriwal : विनय कुमार ने रोकी केजरीवाल की सिंगापुर विजिट वाली फाइल, दिल्ली एलजी और सीएम के बीच फिर मचा घमासान

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Delhi LG vs Kejriwal : विनय कुमार ने रोकी केजरीवाल की सिंगापुर विजिट वाली फाइल, दिल्ली एलजी और सीएम के बीच फिर मचा घमासान

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार और दिल्ली के उप-राज्यपाल के बीच फिर से टकराव और मनमुटाव की स्थिति पैदा होती नजर आ रही है। दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्रों ने एलजी विनय कुमार सक्सेना पर कई अहम फाइलें रोकने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि एलजी ने सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रस्तावित सिंगापुर दौरे की अनुमति से जुड़ी फाइल भी रोक रखी हैं, जिसकी वजह से सीएम अभी तक अपनी यात्रा का शेड्यूल फाइनल नहीं कर पा रहे हैं। सीएम को अगस्त में सिंगापुर में होने वाली वर्ल्ड सिटीज समिट में हिस्सा लेने जाना है।

दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वॉन्ग ने 1 जून को दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उन्हें वर्ल्ड सिटीज समिट-2022 में शिरकत करने के लिए आमंत्रित किया था। इसका आयोजन 2 और 3 अगस्त 2022 को होना है।

7 जून को भेजी गई थी फाइल
केजरीवाल ने समिट में हिस्सा लेने की मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद उनके सिंगापुर दौरे की रूपरेखा तैयार की गई। दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस प्रस्तावित दौरे के संबंध में 7 जून को फाइल एलजी के पास भेज दी गई थी, लेकिन एलजी ने अभी तक उसे रोक रखा है और क्लियरेंस नहीं दी है। इस समिट में सीएम अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार के दिल्ली मॉडल को दुनिया के सामने रखने वाले हैं।

दौरे को लेकर असमंजस
सूत्रों का कहना है कि सीएम की सिंगापुर विजिट की फाइल पिछले तीन हफ्तों से एलजी ऑफिस में रुकी हुई है, जबकि पहले ऐसा कभी नहीं होता था। पहले सीएम के ऐसे किसी भी दौरे की फाइल एक-दो दिन में क्लियर हो जाती थी। इसके चलते अभी तक सीएम के इस दौरे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, इन आरोपों को लेकर अभी एलजी ऑफिस की तरफ से कोई सफाई नहीं दी गई है और न ही इसके जवाब में एलजी की तरफ से कोई बयान जारी किया गया है।

दिल्ली के कई महत्वपूर्ण काम रुकने का दावा
सूत्रों का यह भी कहना है कि उप-राज्यपाल ने सीएम के दौरे के अलावा कई अन्य फाइलें भी रोक रखी हैं। इनमें कई ऐसी फाइलें भी हैं, जिन पर एलजी को सिर्फ अपनी सलाह देनी है। इसके अलावा कुछ अन्य अहम फाइलें भी रुकी हुई हैं, जिसका खमियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि इन फाइलों के रुके होने के कारण दिल्ली के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम भी रुके हुए हैं। सूत्रों का आरोप है कि नए एलजी की प्रशासनिक अनुभवहीनता का खमियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है और छोटे-छोटे मामलों की फाइलें भी लंबे समय तक डंप हो रही हैं।

पिछले महीने भी उठा था विवाद
पिछले दिनों, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सक्सेना पर आरोप लगाया था कि वह भारतीय जनता पार्टी का पक्ष लेने के लिए कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने यह आरोप तब लगाया था जब उपराज्यपाल ने कोविड महामारी के दौरान यहां सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए भ्रष्टाचार रोधी शाखा को मंजूरी दे दी थी। इस मामले में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने शिकायत दर्ज कराई थी।

‘कई छोटे मुद्दों की फाइलें भी अटकीं’
आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने एक बयान में आरोप लगाया कि उपराज्यपाल चार अधिकारियों के निलंबन को लेकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने भूमि संबंधी भ्रष्टाचार का मामला विधानसभा में उठाया था और सदन की विशेषाधिकार समिति ने इसकी जांच की थी। उन्होंने दावा किया कि कई छोटे मुद्दों की फाइलें भी उपराज्यपाल कार्यालय में अटकी हुई हैं।

यह है प्रोटोकॉल
अधिकारियों ने बताया कि प्रोटोकॉल के मुताबिक मुख्यमंत्री समेत किसी भी मंत्री को आधिकारिक विदेश यात्राओं के लिए गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती है और मंजूरी के लिए फाइल उपराज्यपाल कार्यालय के जरिए गृह मंत्रालय को भेजी जाती है। सूत्रों ने बताया कि पिछले उपराज्यपाल के समय, मुख्यमंत्री के दौरों से संबंधित फाइलों को मंजूरी दे दी गई थी और एक या दो दिनों में दिल्ली सरकार को वापस भेज दी गई थी।

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