दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल हुए 50 साल के, जारी है उनका विवादों से नाता

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नई दिल्ली: आज दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का जन्मदिन है. इस अवसर पर उन्हें तमाम नेताओं ने ढेरों बधाई दी है. अरविंद केजरीवाल ने 2011-12 में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की शुरुआत से राजनीती की केंद्र में आए है. उनका सीएम के रूप में अब तक कार्यकाल काफी विवादों से घिरा रहा है. आपको बता दें कि जब से उन्होंने सत्ता में कदम रखा है, तब से कभी केंद्र से तकरार तो कभी अपने साथियों के विवादित कारनामों की वजह से सुर्खियों में बने हुए है.

पीएम मोदी समेत देशभर के दिग्गज नेताओं ने जन्मदिन की ढेरों बधाई दी

इस अवसर पर पीएम मोदी समेत देशभर के कई दिग्गज नेताओं और कई राज्यों के वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी केजरीवाल को उनके 50वें जन्मदिन पर खूब सारी बधाई दी है. चलिए जानते है कैसा रहा उनका अब तक का राजनीती का सफर और कैसे पिछले एक साल में बदल गए सीएम….

अरविंद केजरीवाल ने 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की

अरविंद केजरीवाल का जन्म हिसार में हुआ है. उन्होंने साल 1989 में आईआईटी खड़गपुर से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की है. साल 1992 में वे भारतीय नागरिक सेवा (आईसीएस) के एक भाग, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में आ गए और उन्हें दिल्ली में आयकर अधिकारी नियुक्त किया गया. उन्होंने आयकर कार्यालय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाई है.

जनवरी में उन्होंने काम से विश्रम लेकर दिल्ली आधारित एक नागरिक आंदोलन परिवर्तन की स्थापना की जो एक पारदर्शी और जवाबदेही प्रशासन को सुनिश्चित करने का कार्य करता है. फिर केजरीवाल ने 2006 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और पूरी तरह से ‘परिवर्तन’ में काम करने लगाए.

सूचना अधिकारी अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया

फिर उन्होंने अरुणा रॉय और कई अन्य लोगों के साथ मिलकर, सूचना अधिकारी अधिनियम के लिए अभियान शुरू किया. जो आगे चलाकर एक मूक सामाजिक आंदोलन बन गया. दिल्ली में सूचना अधिकार अधिनियम को साल 2001 में पारित किया गया.

केजरीवाल मफलर मैन के नाम से भी मशहूर

फिर 2 अक्टूबर को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत की. आपको बता दें कि केजरीवाल को मफलर मैन के नाम से भी जाना जाता है. उनका यह स्टाइल एक टाइम पर काफी सुर्खियों में भी बना रहा. आम आदमी पार्टी की अधिकारिक घोषणा अरविंद केजरीवाल और लोकपाल आंदोलन के बहुत से सहयोगियों द्वारा 26 नवम्बर 2012, को जंतर-मंतर पर की गई.

28 दिसंबर 2013 में पहली बार दिल्ली के सीएम के पद की शपथ ली

फिर केजरीवाल ने 28 दिसंबर 2013 में पहली बार दिल्ली के सीएम का पद संभाला. यह उनकी जिंदगी का सबसे अहम दिन था. पहली बार राजनीतिक गलियारों में उतरे केजरीवाल ने चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे और ‘आम आदमी’ की आवाज बनकर काम करने का ऐलान किया.

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों से हार दर्ज हुई

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना काफी महंगा साबित हुआ. उन्हें 3.37 लाख वोटों से हार दर्ज हुई. इस चुनाव में केजरीवाल को दो बार हिंसक विरोध का भी सामना करना पड़ा.

साल 2015 में भी केजरीवाल को लोगों की निंदा का सामना करना पड़ा. ये ही नहीं उनके अब तक सफर में उनके कई करीबियों ने उनका साथ तक छोड़. वह अपने कई विवादित बयानों की वजह से खूब चर्चाओं में रहें है.