Delhi By Poll: राजेंद्र नगर उपचुनाव में आप पर जीत की हैट्रिक का मौका, बीजेपी की कोशिश आप की इमेज को चोट पहुंचाए
प्रमुख संवाददाता, नई दिल्लीः राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में जीत हार से भले ही दिल्ली सरकार के बहुमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन आप और बीजेपी दोनों के लिए ही ये सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। चूंकि ये सीट आप विधायक राघव चड्ढा के राज्यसभा सदस्य चुने जाने की वजह से खाली हुई है इसलिए आम आदमी पार्टी चाहती है कि इस सीट पर उसका कब्जा बना रहे। जिससे दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश में ये मैसेज जाए कि दिल्ली में पार्टी की लोकप्रियता बरकरार है। पार्टी को उम्मीद है कि इसका फायदा उसे दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।
दूसरी ओर बीजेपी जीत के साथ दिल्ली में अपनी स्थिति मजबूत करने और आप सरकार की इमेज पर चोट पहुंचाना चाहेगी। बीजेपी अगर उपचुनाव में वह जीत हासिल करती है तो इससे साफ संकेत जाएगा कि उसके आंदोलनों और पोल खोल अभियान जैसे कार्यक्रमों की वजह से दिल्ली सरकार की छवि प्रभावित हुई है। आगामी नगर निगम चुनाव पर भी इस उपचुनाव के नतीजे का असर पड़ेगा।
दरअसल, पंजाबी और पूर्वांचली वोटरों के दबदबे वाली इस विधानसभा सीट पर 1993 के बाद अब तक हुए सात विधानसभा चुनाव में चार बार बीजेपी ने और दो बार आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। कांग्रेस ने इस सीट पर अब तक सिर्फ एक बार 2008 में जीत हासिल की थी। 2015 और 2020 में आप ने ही जीत हासिल की है इसलिए अगर इस बार आप उम्मीदवार जीतता है तो ये उसकी हैट्रिक होगी। बीजेपी के पूरन चंद योगी ने 1993 से 2003 तक लगातार तीन जीत हासिल करके हैट्रिक लगाई थी।
इस बार आम आदमी पार्टी ने दुर्गेश पाठक को मैदान में उतारा है, जो नगर निगम के मुद्दों पर पिछले दो साल से लगातार बीजेपी को घेरते रहे हैं। जबकि बीजेपी ने राजेश भाटिया को उम्मीदवार बनाया है, जो इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। उधर कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार प्रेम लता पर अपना दांव खेला है।
चुनावी गणित
- कुल वोटर्स : 1,64,698
- पुरुष वोटर्स : 92,221
- महिला वोटर्स : 72,473
- सीनियर सीटिजन वोटर्स (80 साल या अधिक) : 2886
- 18-19 साल के वोटर्स : 1899
- दिव्यांग वोटर्स : 591
- पोलिंग स्टेशन : 190
- संवेदनशील बूथ : 14
लोगों ने बताए अपने चुनावी मुद्दे
राजेंद्र नगर में पानी की समस्या सबसे गंभीर है। 40-50 साल में यहां पानी की समस्या कभी खत्म ही नहीं हुई। शुरुआत में तो पाइप लाइन से पानी सप्लाई ही नहीं होता, तब भी यह समस्या थी। जब पाइप लाइन से यहां पानी सप्लाई होने लगा, तब भी दिक्कत है। वजह यह है कि यहां मकान पर सिंगल स्टोरी थे। अब चार-चार मंजिला बिल्डिंग बन गई हैं। लोगों ने कमरे किराए पर दे रखे हैं। किराए पर रहने वाले स्टूडेंट्स की संख्या इतनी अधिक है कि यह सही अनुमान लगाना मुश्किल है कि पानी की सप्लाई इस एरिया में कितनी होनी चाहिए? रोड की हालत भी अच्छी नहीं है। दो या तीन महीने पहले बनी सड़कें अभी से टूटने लगी हैं। – डॉ. विक्रम बहल, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल (हेल्थ मिनिस्ट्री)
इलाके में पानी की समस्या है और पार्कों में स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं हैं। अंधेरे के कारण महिलाओं को पार्क में जाने में परेशानी होती है। राजेंद्र नगर में कई पार्क हैं और ज्यादातर पार्कों में यही हाल है।
आनंदिता केसरी
पानी की समस्या गंभीर है। कभी पानी आता है, कभी नहीं आता है। कई जगहों पर गंदे पानी की भी समस्या है। – समीर नागिया
इस विधानसभा इलाके में पावर सप्लाई भी उतनी बेहतर नहीं है। जगह-जगह तारों का जाल बिछा है और आए दिन इसमें स्पार्किंग के चलते बिजली जाने की समस्या है। – दीपांश कटारिया
रोजगार यहां के लोगों के लिए मेन समस्या है। टोडापुर मेन रोड पर जितनी भी दुकानें थीं, उनमें से कई दुकानें कुछ साल पहले सील कर दी गई थीं। जिनकी दुकानें सील हुईं, आज भी वे बेरोजगार हैं। – अरुण यादव
यहां तीन समस्याएं हैं। पहला रोजगार, दूसरा पानी की समस्या और तीसरा कॉलोनियों में सही से साफ-सफाई नहीं होना। – कृष्णा नंद झा
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दरअसल, पंजाबी और पूर्वांचली वोटरों के दबदबे वाली इस विधानसभा सीट पर 1993 के बाद अब तक हुए सात विधानसभा चुनाव में चार बार बीजेपी ने और दो बार आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। कांग्रेस ने इस सीट पर अब तक सिर्फ एक बार 2008 में जीत हासिल की थी। 2015 और 2020 में आप ने ही जीत हासिल की है इसलिए अगर इस बार आप उम्मीदवार जीतता है तो ये उसकी हैट्रिक होगी। बीजेपी के पूरन चंद योगी ने 1993 से 2003 तक लगातार तीन जीत हासिल करके हैट्रिक लगाई थी।
इस बार आम आदमी पार्टी ने दुर्गेश पाठक को मैदान में उतारा है, जो नगर निगम के मुद्दों पर पिछले दो साल से लगातार बीजेपी को घेरते रहे हैं। जबकि बीजेपी ने राजेश भाटिया को उम्मीदवार बनाया है, जो इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। उधर कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार प्रेम लता पर अपना दांव खेला है।
चुनावी गणित
- कुल वोटर्स : 1,64,698
- पुरुष वोटर्स : 92,221
- महिला वोटर्स : 72,473
- सीनियर सीटिजन वोटर्स (80 साल या अधिक) : 2886
- 18-19 साल के वोटर्स : 1899
- दिव्यांग वोटर्स : 591
- पोलिंग स्टेशन : 190
- संवेदनशील बूथ : 14
लोगों ने बताए अपने चुनावी मुद्दे
राजेंद्र नगर में पानी की समस्या सबसे गंभीर है। 40-50 साल में यहां पानी की समस्या कभी खत्म ही नहीं हुई। शुरुआत में तो पाइप लाइन से पानी सप्लाई ही नहीं होता, तब भी यह समस्या थी। जब पाइप लाइन से यहां पानी सप्लाई होने लगा, तब भी दिक्कत है। वजह यह है कि यहां मकान पर सिंगल स्टोरी थे। अब चार-चार मंजिला बिल्डिंग बन गई हैं। लोगों ने कमरे किराए पर दे रखे हैं। किराए पर रहने वाले स्टूडेंट्स की संख्या इतनी अधिक है कि यह सही अनुमान लगाना मुश्किल है कि पानी की सप्लाई इस एरिया में कितनी होनी चाहिए? रोड की हालत भी अच्छी नहीं है। दो या तीन महीने पहले बनी सड़कें अभी से टूटने लगी हैं। – डॉ. विक्रम बहल, पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल (हेल्थ मिनिस्ट्री)
इलाके में पानी की समस्या है और पार्कों में स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं हैं। अंधेरे के कारण महिलाओं को पार्क में जाने में परेशानी होती है। राजेंद्र नगर में कई पार्क हैं और ज्यादातर पार्कों में यही हाल है।
आनंदिता केसरी
पानी की समस्या गंभीर है। कभी पानी आता है, कभी नहीं आता है। कई जगहों पर गंदे पानी की भी समस्या है। – समीर नागिया
इस विधानसभा इलाके में पावर सप्लाई भी उतनी बेहतर नहीं है। जगह-जगह तारों का जाल बिछा है और आए दिन इसमें स्पार्किंग के चलते बिजली जाने की समस्या है। – दीपांश कटारिया
रोजगार यहां के लोगों के लिए मेन समस्या है। टोडापुर मेन रोड पर जितनी भी दुकानें थीं, उनमें से कई दुकानें कुछ साल पहले सील कर दी गई थीं। जिनकी दुकानें सील हुईं, आज भी वे बेरोजगार हैं। – अरुण यादव
यहां तीन समस्याएं हैं। पहला रोजगार, दूसरा पानी की समस्या और तीसरा कॉलोनियों में सही से साफ-सफाई नहीं होना। – कृष्णा नंद झा
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