Delhi Air Pollution: दिल्लीवालों की 10 साल उम्र छीन रहा प्रदूषण, कौन सी वजह कितनी घटा रही है हमारी उम्र जानिए…

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Delhi Air Pollution: दिल्लीवालों की 10 साल उम्र छीन रहा प्रदूषण, कौन सी वजह कितनी घटा रही है हमारी उम्र जानिए…

प्रदूषण हमारी जिंदगी पर कितना असर डाल रहा है, इस पर एक बेहद चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। प्रदूषण का बढ़ता लेवल हर दिल्ली वाले की जिंदगी 10 साल कम कर रहा है। पूरे देश की बात करें तो हर भारतवासी की जिंदगी के 5 साल कम हो रहे हैं। हमें समझना होगा कि प्रदूषण के खिलाफ हमें सिर्फ कुछ दिन की लड़ाई नहीं लड़नी बल्कि यह जंग लंबी चलेगी… पेश है स्पेशल रिपोर्ट

​दिल्ली के लोगों की 10 साल घट रही जिंदगी

प्रदूषण लोगों से जीने का हक छीन रहा है। वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की जिंदगी पांच साल कम हो रही है। दिल्ली के लोग भी प्रदूषण की वजह से दस साल कम जी रहे हैं। एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (एपिक) ने मंगलवार को अपना एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स (एक्यूएलआई) जारी किया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुपोषण और धूम्रपान से बड़ी समस्या अब गंदी हवा है। कुपोषण की वजह से औसत 1.8 साल और धूम्रपान की वजह से 1.5 साल जिंदगी कम हो रही है। WHO के प्रदूषण के संशोधित मानकों के आधार पर इस बार यह एक्यूएलआई जारी किया गया है। एक्यूएलआई के अनुसार दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और त्रिपुरा टॉप लिस्ट में हैं। अगर यहां हवा मानकों के अनुरूप रहे तो लोग कई साल अधिक जी सकते हैं।

​बांग्लादेश पहले, भारत दूसरे नंबर पर

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दुनिया भर की बात करें तो बांग्लादेश इस मामले में पहले नंबर पर है, जहां लोग प्रदूषण की वजह से 6.9 साल कम जीते हैं। इसके बाद भारतीय पांच साल कम, नेपाल के लोग 4.1 साल कम, पाकिस्तान के लोग 3.8 साल कम जीते हैं। जबकि दुनिया भर के लोगों की औसत उम्र गंदी हवा की वजह से 2.2 साल कम हो रही है।

जहां जितना PM, वहां उतनी कम हो रही जिंदगी

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एपिक के प्रोफेसर मिल्टन फ्रीडमैन ने कहा कि अगर मंगल ग्रह के लोग धरती पर आकर कुछ ऐसी चीज छिड़क दें जिससे जिंदगी के दो साल कम हो जाएं तो यह दुनिया भर के लिए आपात स्थिति होगी। इस समय दुनिया के बहुत सारे हिस्सों में ऐसी ही स्थिति हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि यह चीजें इस समय बाहरी आक्रमणकारियों के बजाय हम खुद छिड़क रहे हैं।

​गंगा के मैदानी इलाकों में सबसे अधिक प्रदूषण

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गंगा के मैदानी इलाकों के लोगों को प्रदूषण काफी अधिक प्रभावित कर रहा है। यहां भारत की करीब 40 प्रतिशत आबादी रहती है। इस क्षेत्र में प्रदूषण औसत 7.6 साल जिंदगी कम कर रहा है। लखनऊ में भी प्रदूषण की वजह से जिंदगी 9.5 साल कम हो रही है। अहम यह है कि इस स्टडी के लिए एक्यूएलआई टीम ने प्रदूषण के 2020 के डेटा का इस्तेमाल किया है। उस दौरान कोविड की वजह से कई तरह के प्रतिबंध पूरी दुनिया पर थे। रिपोर्ट के अनुसार, सैटलाइट से मिले डेटा के अनुसार 2019 और 2020 के दौरान पीएम 2.5 के स्तर में वैश्विक स्तर में कुछ कमी आई थी। यह 27.7 से कम होकर 27.5 एमजीसीएम पर पहुंच गया था। हालंकि यह भी डब्ल्यूएचओ की नई गाइडलाइंस से पांच गुना तक अधिक है। प्रदूषण के मामले में दुनिया फिर से 2003 की स्थिति में पहुंच गई है। दुनिया भर में वायु प्रदूषण का सबसे अधिक भार साउथ एशिया पर पड़ रहा है। इसके भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश दुनिया में टॉप पर हैं। भारत में 2013 में पीएम 2.5 का स्तर 53 एमजीसीएम था, जो अब बढ़कर 56 एमजीसीएम तक पहुंच गया है। यह डब्ल्यूएचओ के मानकों से करीब 11 गुना अधिक है।

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